मालिक की मौत के बाद बछड़ा पहुंचा श्मशान,शव देखकर खूब रोया,शव को चूमकर की परिक्रमा,लोग इसे चमत्कार बता रहे थे.…

हजारीबाग।झारखण्ड के हजारीबाग जिले में एक ऐसी घटना हुई है कि पूरे जिले के साथ सोशल मीडीया में चर्चा का विषय बना हुआ है।काश ! इतना प्रेम अगर मनुष्य भी करे। बता दें मनुष्य और पशु पक्षियों के प्रेम को लेकर ना जाने कितने कहानी किस्से हमलोगों ने सुना है। यही नहीं इतिहास में भी पशु पक्षियों का प्रेम का जिक्र किया गया है। महाराणा प्रताप का चेतक और राम प्रसाद का हाथी का जिक्र सभी ने पढ़ा है।लेकिन हम हजारीबाग के एक ऐसे मनुष्य और पशु की प्रेम की घटना बता रहें हैं जिसे देखकर पढ़कर देखरकर हैरत में पड़ जाएंगे।

बताया जाता है कि हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के पपरो में शनिवार को एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसे देख और सुनकर हर कोई चर्चा कर रहा है। दरअसल अपने मालिक की मौत पर एक बछड़े ने श्मशान घाट आ कर खूब रोया ही नहीं, बल्कि चिता पर रखे शव का पांच बार ग्रामीण और परिवार वालों के साथ परिक्रमा किया।पूरा मामला ग्राम पपरो का है, जहां मेवालाल ठाकुर की मौत हो गई थी। जिसके पास एक गाय थी।गाय ने एक बछड़ा दिया।उसने बछड़ा को 3 माह पहले दूसरे गांव के किसान को बेच दिया। आज जब मेवालाल ठाकुर की मौत हो गई तो वह बछड़ा गांव पहुंच गया और रोने लगा।यही नहीं उसके अर्थी पर रखे शव के माथे और पैर को भी चूमा। तब तक वह वहां से नहीं हटा जब तक उसका पाथिर्व शरीर पंचतत्व में विलीन न हो गया।

एकाएक बछड़े को शव के पास आकर रंभाता देख लोगों ने पहले इसे हल्के में लिया।फिर डंडे से मारकर भगाने की कोशिश की। लेकिन उनकी आंखे तब फटी की फटी रह गई जब बछड़ा बार-बार शव के आस आने लगा।वृद्धों के कहने पर जब उसे शव के पास जाने दिया गया तो वह ढके मुंह को हटाकर चुमा और फिर पैर को चूमकर रंभाने लगा।यह दृश्य देखकर हर एक की आंखे नम हो गईं और उसे लोगों ने नि:संतान मृतक मेवालाल का पुत्र की संज्ञा देकर दाह संस्कार में शामिल भी कराया। यह पूरी घटना लोागों ने अपने कैमरे में कैद किया।

लोग इसे चमत्कार बता रहे थे, बताया कि यह कैसे संभव है कि जिसे तीन माह पूर्व दूसरे गांव में बेच दिया गया हो। उसे अपने मालिक की मौत हो जाने की जानकारी मिल जाए और वह उसे देखने श्मशान घाट आ जाए, यह अपने आप में अकल्पनीय है। परंतु यह घटना दर्जनों लोगों के सामने हुई और लोग इसे ईश्वर की कृपा और पुत्र के रूप में बछड़ा का आगमन बता रहे थे।