झारखण्ड के अलग अलग जगहों से आतंक का पर्याय बन चुके अमन श्रीवास्तव गिरोह के 11 अपराधी गिरफ्तार।

राँची: आतंक का पर्याय अमन श्रीवास्तव गैंग के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 अपराधी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अपराधी लातेहार, चंदवा, बड़काकाना, रामगढ़, खलारी समेत अन्य जगहों में कोयला साइडिंग पर वर्चस्व कायम करने के लिए दहशत फैलाने का काम कर रहे थे। अमन श्रीवास्तव गैंग के तीन सक्रिय अपराधी को भी पुलिस ने पकड़ा है। गिरफ्तार अपराधी में मुकेश कुमार साव, महमूद मियां, महमूद आलम उर्फ नेपाली, रजाक अंसारी, सौरभ सिन्हा उर्फ विक्की वर्मा, अमरजीत पासवान, कुर्बान अंसारी, सुदर्शन नायक, राजेश कुमार मिश्रा, संजय गंझू और अंकित किशोर नाथ शाही शामिल है।

डीजीपी कमल नयन चौबे के निर्देश पर गठित टीम को यह उपलब्धि मिली है। उक्त जानकारी दक्षिणी छोटानागपुर रेंज के डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकार ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार अपराधी विगत दिनों हुए कई हत्याएं, आगजनी और गोलीबारी की घटना में शामिल थे। गैंग के अपराधियों को पकड़ने में रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता, लातेहार एसपी प्रशांत आनंद, हजारीबाग एसपी, डीएसपी रणबीर सिंह, विरेंद्र राम, रतिभान सिंह की अहम भूमिका रही है।

इनलोगों के पास से पुलिस ने देशी पिस्टल 9 एमएम तीन पीस, देशी पिस्टल 7.62, देशी कट्टा तीन पीस, .315 की 23 राउंड गोली, 9एमएम की 27 राउंड गोली, 7.62 की 20 राउंड गोली, 12 पीस मोबाइल, मैगजीन 6 पीस और पांच मोटरसाईिकल बरामद की गयी है। पूरी गैंग को खत्म करने के लिए पुलिस की छापेमारी अभी भी जारी है।

टीपीसी कनेक्शन पर जांच कर रही है पुलिस

डीआईजी ने कहा कि गिरफ्तार अपराधी में संजय गंझू पूर्व में टीपीसी संगठन के लिए काम करता था। कुछ माह पूर्व संजय टीपीसी से निकल कर अमन श्रीवास्तव गैंग से जुड़ा था। संजय व्हाट्सअप कॉल के माध्यम से लेवी मांगता और सोशल मीडिया पर वीडियो को वायरल करता था। पूछताछ के बाद कई बातें सामने आयी है। अमन श्रीवास्तव गैंग के टीपीसी कनेक्शन से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। पुलिस इन बिंदुओं पर जांच कर रही है।

पांच से छह हजार में गैंग में बहाल करता था अमन

डीआईजी ने कहा कि गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव गैंग को मजबूत करने के लिए सुदूरवर्ती इलाके में युवाओं को पैसा का लालच देकर बहाल करता है। गैंग के लिए काम करने वाले युवाओं को अमन प्रत्येक माह पांच से छह हजार रुपये देता था। काम नहीं करने पर भी पैसा लड़कों के बीच बांटा जाता था। उन्होंने कहा कि गैंग के लड़कों को दूसरे इलाके में काम करने वाले सदस्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी।