राजधानी में अफीम के पौधे हो गए बड़े,अब दिखावे के लिए पुलिस लाठी से कर रही है नष्ट, जब लगते हैं पौधे तो पुलिस को भनक तक नहीं लगती

–राजधानी राँची के नामकुम, पिठौरिया, तुपुदाना और बुंडू,तमाड़ में इस बार भी 200,300 एकड़ से ज्यादा में लगाया गया है अफीम,पुलिस एक दो जगहों पर डंडा चला कर रही है खानापूर्ति, जबकि ट्रैक्टर से रौंद या कटर से काट नष्ट करना है पौधा

राँची।हर साल की तरह इस साल भी राँची जिले में अफीम के पौधा लहलहा गए है। पौधे जब बड़े हो गए तब पुलिस को एक दो जगहों पर जानकारी मिल रही है कि उक्त स्थान पर अफीम की खेती हो रही है। इस सूचना पर पुलिस वहां जाकर लग्घी (डंडे) से पौधों को नष्ट कर रही है। जबकि पुलिस को इन अफीम के पौधों को ट्रैक्टर से रौंद कर नष्ट करना है या फिर कटर से काट कर हटाना है। लेकिन पुलिस जाकर सिर्फ डंडा चला आ रही है। इससे अफीम के पौधा पूरी तरह से नष्ट तक नहीं हो रहे। इस बार राँची में सबसे अधिक अफीम की खेती नामकुम इलाके में हुई है। इसके अलावा पिठौरिया, तुपुदाना और बुंडू थाना और तमाड़ थाना क्षेत्र में भी अफीम की खेती लहलहा रही है। इन इलाकों में घने जगंलों में खेती की जा रही है। ताकि आम लोग व पुलिस की खेती पर नजर ना पड़े। इन इलाकों में करीब 200 से 300 एकड़ में अफीम की खेती की गई है।

पुलिस मुख्यालय ने भी जारी किया है निर्देश, दुर्गम इलाकों में कटर के करे खेती नष्ट

पुलिस मुख्यालय ने भी इस संबंध में पूर्व में आदेश जारी किया था कि जिन दुर्गम इलाकों में ट्रैक्टर लेकर जाना संभव नहीं हो वहां मोटर से चलने वाला कटर लेकर जाए और पूरी तरह से खेती को नष्ट करे। लेकिन जिन जिन थाना क्षेत्रों में अफीम की खेती हो रही है उन क्षेत्रों के थाना प्रभारियों का कहना है कि विभाग की ओर से कोई कटर की व्यवस्था नहीं कराई गई है। इसलिए डंडे से ही अफीम की खेती को नष्ट किया जा रहा है। हर बार पुलिस इन खेतों में डंडा चला यह कह देती है कि तीन एकड़,चार एकड़, पांच एकड़ में खेती नष्ट कर दी गई। जबकि डंडे से इन खेतों को ज्यादा असर नहीं पड़ता।

बेरोजगार युवा ज्यादा पैसे की लालच में करवा रहे है खेती

इस बार इन क्षेत्रों के बेरोजगार युवा ज्यादा पैसे की लालच में आकर अफीम की खेती करवा रहे है। एक किलो अफीम बेच ये 1.10 लाख रुपए कमा लेते है। इसमें लागत 20 हजार रुपए आती है। इसलिए राँची जिले में इन क्षेत्रों के बेरोजगार युवा इसमें ज्यादा लगे हुए है। स्थानीय लोगो का कहना है कि युवाओं के अफीम की खेती में कम समय में ज्यादा आमदनी हो जाती है। पुलिस को भी भनक रहती है कि खेती हो रही है लेकिन मिली भगत की वजह से सिर्फ खाना पूर्ति के नाम पर एक दो जगहों पर डंडा चला दिया जाता है।