केरल:लैटिन कैथोलिक चर्च के नेतृत्व में भीड़ ने विझिंजम बंदरगाह पर निर्माण रोका, पुलिस थाने पर लाठी और पत्थरों से हमला किया,15 पादरियों पर मामला दर्ज,विझिंजम बंदरगाह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण और क्यों है ?

चर्च ने उच्च न्यायालय के अनुकूल फैसले के बाद भी विझिंजम बंदरगाह पर निर्माण रोकने के विरोध में एक पुलिस स्टेशन पर हमले के लिए उकसाया।

यह पहली बार नहीं है कि विकास परियोजनाओं को किसी विदेशी हाथ से रोका गया है।

आर्चबिशप और 14 पादरियों पर मामला दर्ज

ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जहां विदेशी वित्तपोषित एनजीओ ने भारत में विकासात्मक परियोजनाओं के खिलाफ विरोध को हवा दी है।

क्या आप जानते हैं कि विझिंजम बंदरगाह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है? और क्यों?

डेस्क टीम:
तिरुवनंतपुरम/कोझीकोड:भारत में केरल में आडाणी बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों द्वारा विझिंजम में एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया था।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लैटिन कैथोलिक गिरजाघर ने दावा किया कि इस हमले के पीछे ‘‘बाहरी ताकतों” का हाथ है तथा उसने इसकी न्यायिक जांच की मांग की।सवाल उठ रहा है आखिर कौन सी बाहरी ताकत है जो बंदरगाह नहीं बनने देना चाहता है?

दरअसल,केरल में अडानी बंदरगाह के निर्माण के विरोध में लेटिन कैथोलिक चर्च की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने रविवार को विझिंजम थाने पर हमला कर दिया।इस हमले में कम से कम 29 पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे। पुलिस की कई गाड़ियों को क्षतिग्रस्त किया गया था।पुलिस के मुताबिक, भीड़ ने थाने को लाठी और पत्थरों से निशाना बनाया और पुलिस अधिकारियों पर हमला किया। दरअसल, 26 नवंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया था और कई को हिरासत में लिया था।पुलिस की विशेष शाखा के एक अधिकारी ने बताया,“कम से कम 29 पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं और उन्हें अलग अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।” क्षेत्र में व्याप्त संवेदनशील स्थिति को देखते हुए, केरल सरकार ने अन्य जिलों से अधिक पुलिस अधिकारियों को तैनात किया था।

वहीं सत्तारूढ़ माकपा का कहना है कि तटवर्ती क्षेत्रों में हाल के दिनों में हुई हिंसक घटनाएं निंदनीय हैं और दावा किया कि निजी हित से प्रेरित कुछ ‘‘रहस्यमयी ताकतें” वहां दंगों जैसी स्थिति पैदा करने का प्रयास कर रही हैं। माकपा के राज्य सचिवालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘‘प्रदर्शनों के नाम पर कुछ लोग तटवर्ती क्षेत्रों में संघर्ष पैदा करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं और राज्य सरकार को उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।” फिर वही सवाल उठ रहा है कौन है रहस्मयी ताकतें ?फाइल फोटो

वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस नीत यूडीएफ ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने शनिवार को विझिंजम में हुई हिंसा को लेकर मेट्रोपॉलिटन आर्चबिशप थॉमस जे. नेट्टो और पादरी यूजीन पेरेरा सहित लैटिन कैथोलिक चर्च के कम से कम 15 पादरियों को गिरफ्तार करके प्रदर्शनकारियों को उकसाया है।जब ये सभी प्रदर्शनकारी शामिल थे तो गिरफ्तारी क्यों नहीं करेगी ?

वहीं दूसरा बयान आता है केरल के बंदरगाह मंत्री अहमद देवरकोविल ने कहा कि जहां तक प्रदर्शन का संबंध है तो सरकार अब तक ‘‘बहुत संयमित” थी लेकिन अगर आंदोलन ‘‘आपराधिक प्रकृति” का होता है, जहां पुलिसकर्मियों पर हमला किया जाता तथा पुलिस की संपत्ति को नष्ट किया जाता है तो यह ‘‘अस्वीकार्य” है। उन्होंने कोझीकोड में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘केरल जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य में हम किसी तरह के साम्प्रदायिक संघर्ष को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

मंत्री ने दावा किया कि भीड़ ने उन मकानों तथा प्रतिष्ठानों पर हमला किया, जो उनके समुदाय के नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।” यह ध्यान दिलाए जाने पर कि लातिन कैथोलिक गिरजाघर ने हिंसा के पीछे बाहरी ताकतों का हाथ होने का दावा किया है, देवरकोविल ने कहा कि सरकार को कई रिपोर्ट मिली है और इनकी जांच की जा रही है। प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे फादर यूजीन परेरा ने दावा किया कि पिछले दो दिन में बंदरगाह संबंधित हिंसा के पीछे ‘‘बाहरी ताकतों” का हाथ था और इन घटनाओं की न्यायिक जांच होनी चाहिए।आखिर फादर परेरा ने दावा कैसे कर दिया कि बाहरी ताकतों का हाथ है ?

चर्च ने उच्च न्यायालय के अनुकूल फैसले के बाद भी विझिंजम बंदरगाह पर निर्माण रोकने के विरोध में एक पुलिस स्टेशन पर हमले के लिए उकसाया।

आर्चबिशप और 14 पादरियों पर मामला दर्ज

क्या आप जानते हैं कि विझिंजम बंदरगाह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है? और क्यों?

पॉल लेडी की इस रिपोर्ट से जाने:

●विझिंजम बंदरगाह को भारत में ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल के लिए सबसे अधिक लागत प्रभावी विकल्प के रूप में चुना गया था

–यहां बड़े जहाजों के लिए 20 मीटर प्राकृतिक गहराई।
–प्राकृतिक समुद्री धाराओं के कारण न्यूनतम निकर्षण की आवश्यकता होती है।
–भारत के दक्षिणी सिरे पर है, पूर्व और पश्चिम व्यापार के मध्य बिंदु के रूप में कार्य कर सकता है।

●ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल क्या है?

–माल और कंटेनरों को एक मध्यवर्ती गंतव्य पर भेज दिया जाता है, और फिर वे अंतिम गंतव्य पर पहुंच जाते हैं।

–ये टर्मिनल अक्सर छोटे शिपमेंट को बड़े शिपमेंट में जोड़ते हैं या बड़े लोड को छोटे में विभाजित करते हैं।

●वर्तमान में, भारत में ट्रांसशिपमेंट पोर्ट नहीं है।

–भारत का 85% कार्गो नीचे के बंदरगाहों पर संभाला जाता है, और भारत प्रत्येक शिपमेंट के लिए इन देशों को शुल्क का भुगतान करता है।

–कोलंबो श्रीलंका (चीन का स्वामित्व)
–सिंगापुर
–क्लैंग मलेशिया
–दुबई

●ट्रांसशिपमेंट हब से भारत को कैसे लाभ होगा?

–विदेशी मुद्रा बचत
–प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
–अन्य भारतीय बंदरगाहों पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना
–रसद अवसंरचना और मूल्य वर्धित सेवाओं का विकास
–भंडारण
–चालक दल बदलने की सुविधा
–जहाज की मरम्मत, आदि

●चर्च 7,525 करोड़ रुपये के विझिंजम बंदरगाह के खिलाफ विरोध क्यों भड़का रहा है?

–प्रदर्शनकारी जो चर्च के अनुयायी हैं,उन्हें यह विश्वास करने के लिए गुमराह किया जाता है कि बंदरगाह का कारण बन रहा है

–बड़े पैमाने पर तटीय कटाव और मछली आवास का नुकसान।
–ज्वारीय लहरों के बढ़ते हमलों के कारण घर नष्ट हो गए

●जो मछुआरे चर्च की मदद से अपनी आजीविका के लिए डरते हैं, वे अब उन मछुआरों के परिवारों के लिए पुनर्वास और पर्याप्त मुआवजे की मांग करते हैं, जिन्होंने ज्वारीय लहरों के हमलों में अपना घर खो दिया था।

–अनुमानित लागत ₹ 3000 करोड़ है।

–ज्वारीय लहरों के हमले बार-बार आने वाले हरिकेन के कारण होते हैं।

●यह पहली बार नहीं है कि विकास परियोजनाओं को किसी विदेशी हाथ से रोका गया है।

–2011 में, यूएस और स्कैंडिनेवियाई एनजीओ द्वारा चर्च से जुड़े ₹14,000 करोड़ के कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के खिलाफ इसी तरह के विरोध को हवा दी गई थी, जिसे भारत रूस की मदद से बना रहा था।

●तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में स्टरलाइट कॉपर प्लांट विदेशी वित्त पोषित विरोध का भी शिकार हुआ और मई 2018 में इसे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

–स्टरलाइट संयंत्र भारत की तांबे की मांग का 40 प्रतिशत पूरा करता है, और अब तांबा चीन से आयात किया जाता है।

●ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जहां विदेशी वित्तपोषित एनजीओ ने भारत में विकासात्मक परियोजनाओं के खिलाफ विरोध को हवा दी है।

–वे चर्च और पर्यावरण संबंधी गैर-सरकारी संगठनों का उपयोग फ़ंड को फ़नल करने के लिए करते हैं और आंदोलन को उबालते रहते हैं।

–एक देश का नुकसान दूसरे देश का लाभ है।