4 दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का छठ महापर्व कल से नहाए खाए के साथ शुरू

संजोग भगत – बुंडू
राँची/बुंडू- सूर्योपासना और लोक आस्था का महापर्व कल से नहाए खाए की विधि के साथ आरंभ हो रहा है। व्रतियां कल स्नान करने के पश्चात अपने घर में पूजन स्थल को गोबर से लीप कर सूर्यदेव का ध्यान कर माता छठी का विधिवत षोडशोपचार विधि से पूजन कर आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ का आह्वान करेगी। व्रतियां मिट्टी के चूल्हे बनाकर उसमें आम की लकड़ियों को प्रज्वलित कर अरवा चावल का भात एवं शुद्ध घी युक्त चना का दाल एवं लौकी की सब्जी के प्रसाद को निर्मित कर सूर्य देव एवं छठी मैया को भोग लगाकर नहाए खाए के साथ शुभारंभ करेंगी।

बाजार में छठ पूजा से संबंधित पूजन सामग्री सजधज कर तैयार है। हालांकि इस बार पूजा पर पूजन सामग्रियों के दाम कुछ अधिक महंगे दिखाई पड़़ रहे हैं बावजूद इसके महंगाई पर आस्था भारी पड़ती दिख रही है। बुंडू के सूर्य मंदिर, मैनेजर बांध, खुदिया तालाब, रानी चुआं, पलवा पोखर आदि घाटों में होगी छठ पूजा। नगर पंचायत बुंडू द्वारा सभी घाटों के साथ साथ सड़कों की साफ-सफाई की जाएगी। गुरुवार को खीर रूपी खरना प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं के बीच किया जाएगा और शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य एवं शनिवार को उदयीमान सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पण किया जाएगा और इसी दिन पारण के साथ यह विश्वास का अटूट महापर्व संपन्न हो जाएगा।

सूबे में नदी घाट, तालाब, झील और अन्य किसी भी प्रकार के जलाशय के किनारे सामुदायिक रूप से छठ पूजा सरकार ने पाबंदी लगा दी थी। राज्य सरकार ने यह फैसला कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किया था। नदी या तालाब के आसपास किसी तरह के स्टॉल लगाने पर भी रोक लगा दी गई थी। घाटों पर चिह्निकरण, बैरीकेडिंग या विशेष प्रकार की रौशनी से सजावट भी प्रतिबंधित कर दी गई थी। छठ पूजा पर सार्वजनिक स्थानों पर पटाखे भी नहीं फोड़े जा सकेंगे। साथ ही किसी तरह का सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत या मनोरंजन से जुड़े आयोजनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर हेमंत सरकार के आदेश के बाद झारखंड में राजनीति चरम पर था। सामूहिक तौर पर छठ मनाने पर रोक के सरकारी आदेश का सामाजिक और राजनीतिक तौर पर विरोध शुरू हो गया था। राजनीतिक तौर पर भाजपा ने मोर्चा थामा है तो पार्टी की कई इकाइयां अलग-अलग मोर्चों पर सरकार की घेराबंदी में डटी थी। सत्‍ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने भी विरोध शुरू कर दिया था।

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदेश के विरोध में ज्ञापन सौंपा। झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आज ज्ञापन सौंपा। गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी छठ घाटों पर पूजा की अनुमति देने की मांग की। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने भी सरकार के फैसले का विरोध किया।

ऑनलाइन माध्यमों पर सरकार के इस निर्णय का विरोध तो हो ही रहा है, लोग सवाल भी उठा रहे हैं। दलगत राजनीति से इतर लोग इतना जरूर जानना चाह रहे हैं कि जब चुनाव कार्यक्रमों के लिए भीड़ को एकत्रित करने की आजादी दी जा सकती है तो फिर छठ के लिए क्यों नहीं? इंटरनेट मीडिया पर लोग इस बारे में खुल कर लिख ही रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से एक बड़े तबके खासकर सनातनी समाज को गहरा आघात लगा है। सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे। जिसके बाद आज देर शाम राज्य सरकार ने भारी विरोध को देखते हुए नियमों में बदलाव किया। अब घाटों पर छठ पूजा मनाने की इजाजत दी है। इसकी घोषणा कर दी गयी है। इसके तहत सरकार ने लोगों को घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क के साथ कम संख्या में उपस्थित होकर छठ पूजा करने की इजाजत दे दी है।