राँची पुलिस को नहीं मिले राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ी के साक्ष्य, अम्बा ने कहा एसआईटी या एनआईए करे जांच

★राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ी के साक्ष्य नहीं
★राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट..
★राँची पुलिस को जांच में नहीं मिले साक्ष्य..
★केस को असत्य करार देकर बंद करने की अनुशंसा..

राँची। राज्यसभा चुनाव 2016 में दर्ज एफआईआर में राँची पुलिस को अनुसंधान में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है। राज्य सरकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता के निलंबन के बाद इस संबंध में रिपोर्ट की मांग रांची पुलिस से की थी। राँची पुलिस ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में लिखा है कि अबतक के अनुसंधान में कांड के नामजद आरोपी एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है। राँची के सिटी एसपी सौरभ के द्वारा इस कांड का प्रगति प्रतिवेदन भी निकाला गया है। इसमें जिक्र है कि केस का सुपरविजन डीएसपी बेड़ो के द्वारा किया गया है। सुपरविजन में पाया गया है कि कांड को जिन धाराओं में दर्ज किया गया है,उन धाराओं में इसे असत्य पाया गया है। डीएसपी ने अपने अंतिम प्रतिवेदन में केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया है कि वह केस को असत्य करार देकर अनुशंसा भेजें।

गवाहों का बयान-केस हटाने के लिए दबाव डालते थे योगेंद्र साव

राँची पुलिस की रिपोर्ट में जिक्र है कि अनुसंधान के क्रम में ट्रांसक्रिप्ट में मोबाइल नंबर 96××××××15 व 70××××××65 के धारक अशोक राम का बयान लिया गया था। अशोक राम ने बताया कि फोन पर योगेंद्र साव से कोई बात नहीं हुई थी। अशोक के अनुसार जब अनुराग गुप्ता हजारीबाग एसपी थे तब योगेंद्र साव बतौर मुखबीर उनसे मिलते थे। पुलिस ने दूसरे गवाह बैद्यनाथ कुमार का भी बयान लिया। बैद्यनाथ ने बताया है कि वह मानव तस्करी के खिलाफ काम करने के दौरान अनुराग गुप्ता के संपर्क में आए थे। तब अनुराग गुप्ता सीआईडी में आईजी थे। योगेंद्र साव का अनुराग गुप्ता के कार्यालय में आना जाना था। साव खुद पर दर्ज आपराधिक मामलों की पैरवी करवाने का दबाव डालते थे। बैद्यनाथ कुमार के अनुसार जब अनुराग गुप्ता एडीजी स्पेशल ब्रांच थे, तब भी उनकी मौजूदगी में योगेंद्र साव वहां आए थे। योगेंद्र ने मुकदमे वापस लेने की पैरवी सरकार से करने का आग्रह किया। तब एडीजी ने उन्हें समझाया कि जब कोई नक्सली सरेंडर करता है तभी सरकार मुकदमे वापस लेती है अन्यथा कोई प्रावधान नहीं है। तब योगेंद्र साव ने कहा कि एक दिन ऐसा काम करेंगे कि सरकार बाध्य होकर मुकदमा वापस लेगी। रिपोर्ट में आरोपी एडीजी व सीएम के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार के बयान का भी जिक्र है। दोनों ने आरोपों को खारिज किया है। दोनों ने बताया है कि योगेंद्र साव अपने ऊपर दर्ज मामलों को वापस लेने की पैरवी करते थे।

रिकार्डिंग का मूलयंत्र अबतक जमा नहीं हुआ

रिपोर्ट के अनुसार रिकॉर्डिंग के मूलयंत्र के लिए कई बार योगेंद्र साव को नोटिस भेजा गया। लेकिन योगेंद्र साव मूलयंत्र यह कह कर देने से इंकार करते रहे कि वह हाईकोर्ट का आदेश आने तक मूलयंत्र नहीं देंगे। योगेंद्र साव का बयान पुलिस ने जेल में जाकर लिया, तब उन्होंने कहा कि मूलयंत्र कहां है उन्हें नहीं पता। दुबारा बयान में उन्होंने मूलयंत्र एक हफ्ते में जमा कराने की बात कही थी। लेकिन पुलिस को सीडी में उपलब्ध रिकॉर्डेंड ऑडियो फाइल व मूलयंत्र अबतक नहीं मिल पाया है। कोर्ट के आदेश पर रिकार्डिंग को दुबारा एफएसएल भेजा गया है।

योगेन्द्र साव की विधायक बेटी अम्बा प्रसाद ने आज प्रेस वार्ता की

हॉर्स ट्रेडिंग मामले को लेकर विधायक अंबा प्रसाद ने NIA और एसआईटी से जांच की मांग की।बड़कागांव से कांग्रेस की विधायक है अंबा प्रसाद,कांग्रेस मुख्यालय में किया प्रेस कॉन्फ्रेंस। कहा पूर्वर्ती सरकार के मुखिया रघुवर दास,मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार ने मेरे घर पर आकर मेरी मां निर्मला देवी से अपने पार्टी के पक्ष में 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान वोट करने का प्रलोभन दिया था।उन्होंने कहा कि सत्ता के पावर का दुरुपयोग करके एडीजी अनुराग गुप्ता को आगे किया गया था और अब ADG अनुराग गुप्ता को सस्पेंड करके फिर इस पूरे प्रकरण की जांच पुलिस अधिकारी को दी गई है।मुझे पुलिस अधिकारी के द्वारा किए जाने वाले जांच पर भरोसा नहीं है।उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि मेरे परिवार को टारगेट किया गया।मेरी मां निर्मला देवी,मेरे भाई और मुझ पर सत्ता का दुरुपयोग करके झूठा केस में फसाया गया।उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी का जांच पुलिस अधिकारी कैसे कर सकता है? इसलिए मुझे एनआईए अथवा एसआईटी से जांच पर ही भरोसा है।