Jharkhand:सूदखोरों के चक्कर में आत्महत्या;मृतक़ की पत्नी के बयान पर मामला दर्ज,पुलिस आरोपी सूदखोरों को पकड़ने के लिए कर रही है छापेमारी

धनबाद।सूदखोरों से परेशान व्यक्ति ने कर लिया था आत्महत्या उसी मामले में मृतक़ की पत्नी के बयान पर मामला दर्ज हो गया है।अब सूदखोरों की तलाश जारी है।दरअसल,बैंक से दस लाख लोन लेने के बाद भी सत्येंद्र का कर्ज खत्म नहीं हो पाया था। बैंक से लिए लोन की राशि सत्येंद्र ने सूदखोरों के बीच बांट दी। इसके बावजूद सूदखोरों ने उसे पैसे लेना बंद नहीं किया। पैसे के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे। सूदखोरों के परेशान करने की वजह से अंत में सत्येंद्र ने आत्महत्या कर ली। सूदखोरों के लगातार प्रताड़ना के बाद सत्येंद्र ने धनबाद स्थित बैंक ऑफ इंडिया बैंक से जनवरी 21 को 10 लाख का लोन की राशि सूदखोरों को दे दी। सूदखोर दोबारा पैसे देने का दबाव बनाते रहे। सूदखोरों द्वारा राशि की बढ़ती मांग को देख सत्येंद्र का मानसिक तनाव इतना बढ़ गया कि सत्येंद्र ने अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। झरिया पुलिस ने मृतक की पत्नी ममता देवी की शिकायत पर कांड संख्या 51/2021 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपी की तलाश में छापेमारी कर रही है।

मृतक की पत्नी ममता देवी का आरोप है कि मेरे पति सत्येंद्र ने गोधर रवानी बस्ती के हरि रवानी, अयोध्या सिंह चौहान, बस्ताकोला के प्रेम पासवान, धनसार के जगदीश रवानी से कर्ज लिया था। हरी रवानी ने एटीएम कार्ड, पासबुक व चेक बुक भी छीन लिया था। दो दिन पूर्व ड्यूटी जाने के क्रम में हरि रवानी अपने चार साथियों के साथ रास्ते में रोककर मेरे पति की पिटाई कर दी थी। पैसा नहीं दिया तो परिवार वालों को उठाने की धमकी दी। उन लोगों की धमकी से तंग आकर मेरे पति ने आत्महत्या कर ली। सूदखोरों के आतंक से पूरा परिवार भयभीत है। गुरुवार की देर शाम पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार बस्ताकोला गोशाला में किया गया था।

कोयलांचल में सर्वाधिक सूदखोरों का आतंक:
बताया जाता है कि कोयलांचल में सूदखोरों का जाल मौत के फंदे से कम नहीं है। मेहनत करने वाले मजदूरों के समक्ष इन दिनों सूदखोरों के चंगुल से स्वयं को महफूज रखना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। पहले तो छोटी रकम देकर मजदूरों को सूदखोर अपने जाल में फंसाते है। इसके बाद सूदखोरों मजबूर मजदूरों पर चक्रवृद्धि ब्याज का मंत्र चलना शुरू कर देते है। सूदखोर अपने सूद के मकड़जाल में ऐसे फास लेते हैं कि मजदूर इससे निकल नहीं पाते ।अंत में मजदूर पीएफ व ग्रैच्युटी तक गवा डालते हैं। मजदूर तो मूल से ज्यादा ब्याज दे देते हैं। बावजूद इसके सूदखोरों के चंगुल से निकल नहीं पाते। जिस कारण मजदूरों का जीवन नारकीय हो जाता है। बावजूद प्रशासन इसपर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

बांड पेपर को बनाते अपना हथियार:
ये जानकारी मिली है कि बांड पेपर को सूदखोर अपना हथियार बनाते हैं। पहले तो कर्मियों को कर्ज देने से पहले एटीएम, चेकबुक व पासबुक अपने पास रखवा लेते हैं, इसके बाद एक सफेद बांड पेपर में कर्मियों से हस्ताक्षर करा लिया जाता है। कर्मियों को विश्वास दिलाया जाता है कि इस बांड मे ली गई राशि ही भरी जाएगी। कर्मियों के भोलेपन का फायदा उठाकर चालाक सूदखोर इस बांड पेपर में कई गुणा राशि भर लेते हैं।