Jharkhand:धनबाद पुलिस ने चार शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया,इनोवा कार,बाइक,समेत कई समान बरामद।

धनबाद।जिला पुलिस को साइबर अपराधियों से जुड़ी एक बड़ी कामयाबी मिली है।जिसमें कई साइबर अपराधी दबोचे गए इस बाबत सिटी एसपी ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि पुलिस उपाधीक्षक, (साईबर क्राईम रोकथाम) धनबाद को गुप्त सूचना प्राप्त हुई थी कि साईबर अपराधियों का एक गिरोह धनबाद थानान्तर्गत सक्रिय है,जो साईबर अपराध कर रहे हैं। इस सूचना पर त्वरित कार्रवाई करने हेतु एक छापामारी दल का गठन किया गया। उक्त टीम द्वारा धनबाद थानान्तर्गत धैया स्थित वृन्दावन अपार्टमेन्ट के फ्लैट नं-4 सी में छापामारी करने पर चार साईबर अपराधियों को रंगे हाथ पकड़ा गया।पुलिस ने इनके पास से साइबर अपराध से जुड़े एप्पल का 2 आइफोन, 1 एप्पल का लैपटॉप , 1 इनोवा क्रिस्टा कार, 2 बाइक, 6 महंगे स्मार्टफोन और 5 विभिन्न कंपनियों के एटीएम कार्ड बरामद किया है।

धनबाद के सिटी एसपी आर रामकुमार ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि जामताड़ा से धनबाद आए कुछ अपराधी साइबर अपराध को अंजाम देने में जुटे हैं. जिसके बाद एक विशेष टीम बनाकर धैया स्थित वृंदावन अपार्टमेंट के कमरा नंबर 4 C में छापेमारी कर चार साइबर अपराधियों को अपराध करते रंगे हाथ पकड़ा, जो धनबाद में किराएदार बनकर धड़ल्ले से साइबर अपराध के जरिए देश के अलग-अलग लोगों को आर्थिक चोट पहुंचाने में जुटे थे. पकड़े गए साइबर अपराधियों में जामताड़ा निवासी शंभूनाथ मंडल, प्रथम मंडल, रोहित कुमार मंडल और गिरिडीह के अभिषेक कुमार मंडल शामिल है।उन्होंने बताया कि ये सभी खुद को विभिन्न बेंको का कर्मचारी और गूगल-पे कस्टमर केयर का प्रतिनिधि बताकर लोगों को चुना लगा रहे थे।यही नहीं, ये लोग ई-सिम एवं विशिंग कर साइबर अपराध कर रहे थे। ये गिरोह दो तरह से साइबर ठगी के कारनामे को अंजाम देते थे।

●यह गिरोह टीम विवर/क्विक सपोर्ट सॉफ्टवेयर के जरिये झांसे में फंसे लोगों की सारी आर्थिक जानकारी हासिल कर उनसे ठगी करते थे।

●यह गिरोह गूगल विजनेस पेज पर अपना विज्ञापन डालते थे और लोगों को झांसे में लेकर खुद को किसी मोबाइल फोन कंपनी का कर्मचारी बता कर कंपनियों द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड अपने वाट्सअप पर मंगाकर ई-सिम कन्वर्ट कर लोगों के अकाउंट से पैसा गायब कर देते थे।

पकड़े गये साईबर अपराधी अपने को विभिन्न बैंको एवं फोन कम्पनी का कर्मचारी बताकर लोगो के साथ ठगी करते थे।पकडे गये साईबर अपराधी फर्जी गूगल पे-कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर लोगो की आर्थिक जानकारी हासिल कर ठगी करते थे। गूगल विजनेस पेज पर विज्ञापन डालकर लोगो को झांसा देते थे।तथा अपने आप को फोन कम्पनियों का कर्मचारी बताकर,कम्पनीयों के द्वारा भेजे गये क्यूआर कोड को अपने पास मंगाकर ई-सीम कन्वर्ट कर लोगो के बैंक एकाउन्ट से पैसे की निकासी कर लते थे। इन पैसे का उपयोग लोन चुकाने एवं मंहगे सामान खरीदने में करते थे।