लॉक डाउन में देशी दारू का धंधा: एयरपोर्ट के पीछे हेथू में नदी किनारे सब्जी की खेती की आड़ में 5 किमी क्षेत्र में बन रहा है हर दिन 5 हज़ार लीटर शराब, पुलिस ने 20 से अधिक भट्ठियों को किया नष्ट

200 से अधिक युवा बेरोजगार जुड़ गए इस धंधे में, कम समय में अधिक मुनाफा वसूली के लिए शराब माफिया कर रहे है यूरिया का इस्तेमाल, जा सकती है लोगो की जान

राँची। लॉकडाउन में जहां पूरे झारखण्ड में शराब की दुकानें बंद है। इस बंदी का फायदा अवैध रूप से देसी शराब बनाने वाले माफिया उठा रहे है और राजधानी में बड़े पैमाने पर देसी शराब तैयार कर रहे हैं। शराब पूरे राँची में इसकी सप्लाई की जा रही है। कम समय में लॉक डाउन में मोटा मुनाफा शराब माफिया अवैध रूप से देसी शराब बनाकर कमा रहे हैं। हर दिन 5000 लीटर से अधिक देसी शराब का निर्माण किया जा रहा है। राजधानी राँची के एयरपोर्ट थाना क्षेत्र में हेथू गांव में 5 किलोमीटर के क्षेत्र में नदी किनारे सब्जी की खेती की आड़ में देसी शराब बनाने का अड्डा चल रहा है। जिसका खुलासा बुधवार को राँची पुलिस ने किया। एयरपोर्ट थाना की पुलिस ने दिन भर हेथू गांव के नदी किनारे चल रहे इस शराब के खेल का भंडाफोड़ किया और 20 से अधिक भट्ठियों को नष्ट किया गया। पुलिस ने 5000 किलो से ज्यादा जावा महुआ को नष्ट किया। शराब माफिया पुलिस को देखते ही भाग निकले, लेकिन पुलिस ने सभी शराब भट्टियों को तो नष्ट किया ही इसके साथ ही इनके द्वारा जमीन में गाड़ कर रखे गए 50 से अधिक एक एक हज़ार लीटर के पानी की टंकियों को भी नष्ट किया गया जिसमें इन लोगों ने जावा महुआ फुला रखा था। छापेमारी का नेतृत्व थाना प्रभारी रमेश गिरी और सब इंस्पेक्टर बालेश्वर सिंह ने क़िया। उनके साथ 6 पुरूष और महिला जवान भी थे।

सब्जी के खेत के बगल में बनता है अवैध शराब, पुलिस को देखते ही माफिया लग जाते है खेती में

हेथू गांव में नदी किनारे करीब 5 किलोमीटर क्षेत्र में सब्जी की खेती हो रही है। इन सब्जी की खेती के ठीक बगल में नदी के पानी से अवैध रूप से देसी शराब तैयार किया जा रहा है। जैसे ही पुलिस छापेमारी करने यहां पहुंचती है शराब तैयार करने वाले माफिया तुरंत खेती करने में जुट जाते हैं। जिसकी वजह से यह पता नहीं चल पाता की अवैध देसी शराब बनाने की धंधे में कौन लोग शामिल है। हाथों में कुदाल लिए यह शराब माफिया खेत कोड़ने लगते हैं। जब इनसे पुलिस पूछती है कि यह किसका है तब ये कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम। बुधवार को भी छापेमारी के दौरान कुछ ऐसा ही हुआ।जब पुलिस टीम जब खेतों के पास पहुंची तो शराब बना रहे लोग वहां से गायब हो गए। लेकिन पास में ही खेती करने वाले लोग मौजूद थे, उनका कहना था कि हमें नहीं मालूम है कि कौन लोग यह बनाते हैं। नदी के गंदे पानी से देसी शराब तैयार किया जाता है। गांव के ही 200 से ज्यादा युवा बेरोजगार इस धंधे में जुड़े हुए हैं, जिन्हें यह नहीं पता है कि वे जहर बेचने के इस धंधे में लगे हैं। इनकी बेरोजगारी का फायदा शराब माफिया उठा रहे हैं। इन बेरोजगार युवाओ को हर दिन 200 से 400 रुपय की कमाई हो जाती है इसलिए इस धंधे में शराब माफियाओं का वे साथ दे रहे हैं।

यूरिया मिला कर तैयार हो रहा है जहरीला शराब

कम समय में जल्दी देसी शराब नशीला बनाने के लिए शराब माफिया यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। बुधवार को जब पुलिस छापेमारी कर रही थी तब एक घर ऐसा भी मिला जहां बड़े पैमाने पर शराब तैयार किया जा रहा था। जिसे तैयार करने में यूरिया का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस ने वहां से यूरिया भी जब्त किया। जहां शराब बना था उस परिसर में परिसर में चारों ओर ऊंची चहारदीवारी थी। तीन कमरों के घर मे अंदर शराब बन रहा था। वहां भी पुलिस ने भट्ठी को नष्ट किया। उस परिसर में एक सेप्टिक टैंक भी मिला जिसमें शराब माफिया शराब छिपाने के लिए कर रहे थे। उसमे रखे गए तैयार शराब को भी पुलिस ने नष्ट कर दिया।

ऐसे समझिए कितना बड़ा है देसी शराब का धंधा, हर सप्ताह 20 से 25 लाख का देसी शराब का धंधा

शराब माफिया एक लीटर देसी शराब को 100 रुपय में खुदरा विक्रेताओं को बेचते है। जिससे खुदरा विक्रेता एक लीटर से 4 लीटर शराब बनाते है जिसे 300 रुपय में बेचते है। यानि शराब माफिया अगर 5000 लीटर शराब तैयार करते है तो उसे 5 लाख में बेचते है, जिसे खुदरा विक्रेता 15 लाख में बेचते है। ये 10 दिन का धंधा है। जो सिर्फ हेथू क्षेत्र का है। ऐसा ही कांके के होकर, रातू और नामकुम में भी अवैध देसी शराब बनाने का धंधा चल रहा है। राँची में हर सप्ताह 20 से 25 लाख रुपये का अवैध देसी शराब बनाने का धंधा चल रहा है।