झारखण्ड में सबसे ऊंचा और देश का दूसरा सबसे ऊंचा शिव मंदिर सुरेश्वर महादेव मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर निकलेगी भव्य कलश यात्रा,2001 महिलाएं होंगी शामिल

राँची।झारखण्ड की राजधानी राँची के केतारी बागान चुटिया स्थिति नवनिर्मित सुरेश्वर महादेव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मंगलवार (3 मई) भव्य कलश शोभायात्रा निकाली जाएगी।सोमवार को मंदिर प्रांगण में मंदिर समिति के सदस्यों ने अध्यक्ष सुरेश साहू की अध्यक्षता में प्रेसवार्ता कर बताया कि 3 मई से 7 मई तक कार्यक्रम होंगा।सुरेश साहू ने बताया कि मंगलवार सुबह पांच बजे मंदिर प्रांगण से बनस तालाब बहु बजार तक कलशयात्रा निकाली जाएगी। जिसमें 2001 महिलाएं शामिल होंगी। 6 मई को नगर भ्रमण, 7 मई को प्राण प्रतिष्ठा एवं महाभंडारा आयोजित होगा।बताया गया कि मंदिर का शिवलिंग 108 फ़ीट ऊंचा,गर्भगृह में शिवलिंग 3 फीट का एवं 4 फीट का अरघा लगाया जा रहा है।संरक्षक पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि चुटिया धार्मिक भूमि है,सुरेश्वर महादेव मंदिर झारखण्ड में सबसे ऊंचा और देश का दूसरा शिवलिंग प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बाद आम श्रद्धालुओं को सुपुर्द कर दिया जायेगा। शिव मंदिर देश के सुंदर और भव्य मंदिर के लिस्ट में शामिल हो जायेगा।आध्यात्म पृष्ठ में जुड़ जायेगा।तीन मई झारखण्ड के लिए गौरवमय दिन होगा।झारखण्ड इस मंदिर को लेकर भविष्य में राज्य की पहचान बनेगी।

बताया गया कि मंगलवार को निकाली जायेगी भव्य कलश यात्रा,जिसमें सैकड़ों महिलाएं होंगी शामिल।इसके लिए दर्जनों महिलाओं ने पिछले तीन दिन से कलश रंगाई के साथ कलश तैयार करने में जुटी है।

सुरेश साहू ने आगे बताते हैं कि मंदिर के बेहत्तर संचालन के हर संभव प्रयास किया जायेगा । श्रद्धालुओं और शिव भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो , इसके लिए एक योजना बनायी जायेगी।ज्ञात हो देश में कर्नाटक स्थिति कौटिल्य लिंगेश्वर मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है।दूसरा झारखण्ड का सुरेश्वर धाम को लोग याद करेंगे। इसके अलावा झारखण्ड के गिरिडीह में हरिहर धाम में शिवलिंग की ऊंचाई 65 फीट है। मंदिर के अंदर की परिधि 625 स्क्वायर फीट है।इस मंदिर की एक बड़ी खासियत यह है कि स्वर्णरेखा नदी के किनारे अवस्थित है।श्रद्धालुओं को अभिषेक के लिए जल दूर से लाने की आवश्यकता नहीं होगी।साथ ही शंखनाद हुआ तो मंदिर के अंदर इसकी आवाज करीब एक मिनट तक गूंजती रहेगी और आवाज कोसों दूर तक सुनाई पड़ेगी।

मंदिर निर्माण में करीब 10 वर्ष लगे

बताया गया कि कि 14 अगस्त 2008 को निर्माण का प्रण लेकर 2012 में कार्य शुरू किया गया। मुख्य मंदिर के मुख्य द्वार आकर्षक होगा। जिसमें स्वर्ण निकासी कर 12 ज्योतिर्लिंग का प्रारूप कर्नाटका के कारीगरों द्वारा बनाया गया।मंदिर की भव्यता देखने को बनता है। मंदिर निर्माण से पहले की तस्वीर (2012)