बाबा बैद्यनाथ की चौखट पर चढ़ाया जल,पंचशूल का किया दर्शन,बोले बोल बम,बाबा मंदिर के शिखर पर लगा पंचशूल देख लिए समझ लीजिए बाबा का दर्शन हो गया

देवघर।झारखण्ड के देवघर में विराजमान हैं देवो के देव महादेव। यहां द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा बैद्यनाथ झारखण्ड के देवघर में विराजते हैं।यहां विश्व श्रावणी मेला लगता है।जो एशिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। यह मेला एक महीना तक एक समान रहता है। दिन और रात का फर्क मिट जाता है।यह संयोग ही है कि कोरोना के कारण 2020 में मेला नहीं लगा। और तीसरे लहर की संभावना को देखते हुए लगभग यह तय हो चुका है कि इस साल 2021 में भी मेला नहीं लगेगा। इस बार 25 जुलाई से सावन आरंभ हो रहा है।

बाबा का दरबार इतना निराला दरबार है कि यहां हर दिन हजारों तीर्थयात्री आते हैं।लॉकडाउन के कारण बाबा मंदिर बंद है। लेकिन भक्त मंदिर के चौखट पर जल चढ़ाकर, पंचशूल को निहारकर अपनी मनोकामना को पूरा करने की विनती कर घर लौट रहे हैं।

इससे आगे मत जाइए

सोमवार को एकादशी के पावन अवसर पर शिवगंगा तट से लेकर बाबा मंदिर के मुख्य दरवाजा तक भक्तों का आना जाना लगा रहा। शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाकर तीर्थयात्री सीधे बाबा के चौखट पर पहुंचकर बंद मुख्य दरवाजे की चौखट पर जल चढ़ा शीश नवाते रहे।बिहार के समस्तीपुर से आए रामेश्वर महतो थोड़ा करीब जाना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने रोक दिया। कहा कि इससे आगे मत जाइए। जब जब कोई भक्त करीब जाने की कोशिश करता तो यही बात मंदिर थाना की पुलिस दोहराती रही।

शिवगंगा तट पर मांगलिक अनुष्ठान

मंदिर से उत्तर दिशा में शिवगंगा तट है। निजी वाहन से तीर्थयात्री झारखण्ड बिहार के विभिन्न जिलों से आए थे। इसमें खगड़िया, महेशखूंट, सहरसा, सुपौल के अलावा पूर्णिया के भी कुछ यात्री परिजन के साथ देवघर पहुंचे थे। तट पर पंडा जी भी यजमान की आस में बैठे हैं। फूल व बेलपत्र बेचने वाले भी इस इंतजार में रहते हैं कि यात्री आएंगे, फूल खरीदेंगे तो उनका भी दाना पानी चल जाएगा। सब की आस बाबा बैद्यनाथ से ही है।

मंदिर बंद है, मंदिर के आसपास भी अनुष्ठान करने की इजाजत नहीं है। इसलिए शिवगंगा के तट पर ही मुंडन व अन्य मांगलिक अनुष्ठान संपन्न हो रहा है। पूर्णिया के शिवमंगल सिंह कहते हैं कि बाबाधाम आ गए, बाबा मंदिर के शिखर पर लगा पंचशूल देख लिए समझ लीजिए बाबा का दर्शन हो गया। मान्यता है कि पंचशूल का दर्शन कर लेना और बाबा की पूजा करना, दोनों का मनोरथ एक समान है। देवघरवासी भी खासकर मंदिर के आसपास रहने वाले जब यात्रा पर निकलते हैं तो मंदिर के शिखर पर लगा पंचशूल का दर्शन करना नहीं भूलते हैं।