लोहरदगा:घर की नींव खुदाई के दौरान मिला पुराने हथियार,देखने के लिये लोगों की जुटी भारी भीड़,बरामद अवशेषों की होगी पुरातात्विक जांच

लोहरदगा।झारखण्ड के लोहरदगा में एक घर की नींव की खुदाई के दौरान पुराने हथियार मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई है। बताया जा रहा है कि ब्राह्मणडीहा करंज टोली गांव में रहने वाले सुमंत टाना भगत नाम के व्यक्ति अपना घर बनवाने के लिए नींव की खुदाई करा रहे थे। जीसीबी से मिट्‌टी निकालने के दौरान जमीन के अंदर छिपाकर रखे गए कुछ पुराने हथियार बाहर निकल आए। माना जा रहा है कि यह हथियार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान के हो सकते हैं। वहीं इन हथियारों की समयावधि को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। कोई इन्हें सन 1857 का बताया रहा है। कोई बाद के आंदोलनों में इस्तेमाल हुआ मान रहा है।इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।

इधर जानकारी मिलने के बाद जिले के उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो ने इसके ऐतिहासिक महत्व का पता लगाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की टीम को मौके पर भेजा है। दावा किया जा रहा है कि सुमंत टाना भगत के परदादा मंगरा टाना भगत स्वतंत्रता आंदोलन में बेहद सक्रिय थे। वह अंग्रेजों के समय में जेल भी गए थे।

वहीं जमीन से निकले इन हथियारों में तीर,धनुष, गदा के अलावा कुल्हाड़ी भी शामिल है। बताया जा रहा है कि यह सभी हथियार अलग-अलग जगहों पर जमीन के अंदर रखे गए थे। नींव से हथियार निकलने की जानकारी होने के बाद इसे देखने के लिए मौके पर लोगों की भारी भीड़ जुट गई। बरामद सामान में कुछ अज्ञात धातु के कलात्मक बर्तनों के टुकड़े भी मिले हैं। इसमें से काफी सामानों व हथियारों में जंग लग चुका है। कुछ की स्थिति अच्छी है। प्रशासन की ओर से इन सभी सामानों को जब्त कर इसके पुरातात्विक महत्व की जांच कराने का निर्णय लिया गया है।

इधर कुछ लोगों के द्वारा बताया गया कि बरामद सामानों ने एक ही पैटर्न के कई पात्र मिले हैं। इन सामान को अगारिया जनजाति से जोड़कर देखा जा रहा है। लोहरदगा कई आंदोलनों और सशस्त्र क्रांति की भूमि रही है। 1832 के लरका आंदोलन, 1857 की क्रांति सहित कई सशस्त्र आंदोलन इस भूमि पर हुए हैं। इस दौरान हुए कई आंदोलनों का उल्लेख इतिहास की अलग-अलग किताबों में मिलता है। हथियारों के इन प्राचीन अवशेषों को उन्हीं आंदोलनों से जोड़कर देखा जा रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 10 वर्ष पहले इस स्थान पर सड़क बन रही थी। इस दौरान भी जमीन की खुदाई में इस तरह के हथियार और अन्य अवशेष मिले थे लेकिन उस समय इनकी ज्यादा चर्चा नहीं हुई थी और ग्रामीणों ने ही उन्हें इधर-उधर कर दिया था। इस बार अवशेषों ने लोगों की उत्सुकता को बढ़ाया है। इन अवशेषों की पुरातात्विक जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि यह इतिहास के किस दौर और घटना से जुड़े हुए हैं।

इधर कोल्हान विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय नाथ ने बताया कि प्रशासन को बरामद सामग्रियों की जांच कराई जानी चाहिए। बरामद सामान बेहद अनमोल हो सकते हैं। इसके अध्ययन से लोहरदगा और झारखण्ड के प्राचीन इतिहास से संबंधित नई जानकारी मिल सकती है।

वहीं जिले के उपायुक्त ने कहा कि जांच के लिए टीम को मौके पर भेजा गया है। जांच के बाद ही इस बारे में पूरी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।