गृह मंत्रालय से जारी दिशा निर्देश के बाद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रशासन को दिया निर्देश: झारखण्ड में कोई पैदल अपने गंतव्य को ना जाये

राँची। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा है कि सभी जिला के अधिकारी एवं झारखण्ड पुलिस यह सुनिश्चित करे कि कोई भी व्यक्ति चाहे वो झारखण्ड का हो या दूसरे राज्य का झारखण्ड में पैदल अपने गंतव्य को ना जाये। सभी अधिकारी पूरी संवेदनशीलता के साथ ऐसे सभी लोगों की पूरी देखभाल करते हुए समूह बना, उनकी स्वास्थ्य जाँच कर बसों व अन्य बड़े वाहनों द्वारा उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाएं। अन्य राज्य के प्रवासियों का भी पूरा ख्याल रखते हुए उन्हें उनके गृह राज्य के नोडल पदाधिकारी से सम्पर्क कर सुरक्षित भेजने का प्रबंध करें। झारखण्ड की सीमा में किसी भी श्रमिक को कोई परेशानी ना हो इसका पूरा ध्यान रखना हमारा कर्त्तव्य है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पुलिस महानिदेशक श्री एमवी राव ने सभी पुलिस अधीक्षक/ वरीय पुलिस अधीक्षक को अपने उपायुक्तों से समन्वय स्थापित कर निर्देशों का अनुपालन प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित कराने हेतु निर्देश दिया है।

गृह मंत्रालय ने राज्यों को लिखा है पत्र

कोरोना वायरस से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू है। इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी कामगार सड़कों और रेल की पटरियों पर या सड़क मार्ग से पैदल ही चलते हुए अपने घर वापस जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे देखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि यदि प्रवासी श्रमिक सड़कों पर पैदल चलते पाए जाते हैं, तो उन्हें पास के आश्रय गृह में ले जाया जाना चाहिए और उनके भोजन-पानी की जिम्मेदारी प्रदेश सरकारों को ऊपर होगी। राज्यों की जिम्मेदारी होगी कि वे फंसे हुए प्रवासी कामगारों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करें जो अपने गृह राज्यों में जाने के इच्छुक हैं।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सड़कों पर या रेलवे ट्रैक पर प्रवासी मजदूरों की आवाजाही न हो। भल्ला ने राज्यों को निर्देश दिया कि प्रवासी मजदूरों को विशेष बसों या श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से रवाना किया जाए।

यदि प्रवासी श्रमिक सड़कों पर पैदल चलते पाए जाते हैं, तो उन्हें पास के आश्रय गृह में ले जाया जाए और उनके भोजन-पानी की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को ऊपर होगी। राज्यों की जिम्मेदारी होगी कि वे फंसे हुए प्रवासी कामगारों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करें जो अपने गृह राज्यों में जाने के इच्छुक हैं। सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं।