25 लाख इनामी करुणा दी व 15 लाख इनामी नक्सली पिंटू राणा AK–47 के साथ गिरफ्तार

राँची। 25 लाख इनामी करुणा दी व 15 लाख इनामी नक्सली पिंटू राणा एके 47 और इंसास रायफल के साथ गिरफ्तार हुआ है।दोनो हार्डकोर नक्सली की गिरफ्तारी बिहार झारखण्ड की सीमा पर स्थित जमुई जिले के खैरा थाना क्षेत्र के गिद्धेश्वर के जंगल से हुई है।इस मामले में जमुई एसपी शौर्य सुमन से बात करने पर उन्होंने गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा है, कि 25 लाख इनामी करुणा और 15 लाख इनामी पिंटू राणा को गिरफ्तार किया गया है।दोनों के पास से दो हथियार बरामद किया गया है।

सरेंडर करने को कहा लेकिन नहीं हुए तैयार

बताया जा रहा है कि बुधवार की देर शाम को जमुई एसपी शौर्य सुमन को जोनल नक्सली कमांडर के अपने चार साथियों के साथ खैरा थाना क्षेत्र के गिद्धेश्वर के जंगलों में छिपे होने की सूचना मिली थी। सूचना के बाद सुरक्षाबलों ने रात भर गिद्धेश्वर और सिकंदरा के पाठकचक के जंगली इलाके को घेरे रखा और जोनल नक्सली कमांडर को आत्मसमर्पण करने का दबाव बनाया लेकिन गुरुवार की दोपहर तक नक्सलियों ने सरेंडर नहीं किया. जिसके बाद शुक्रवार को दोनों नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।नक्सली के पास से भारी मात्रा में हथियार, जिसमें इंसास रायफल, AK-47 और विस्फोटक बरामद किया गया है।

जमुई जिले का रहने वाला है पिंटू राणा:

पिंटू राणा उर्फ राजेश राणा उर्फ मोचिन मूल रूप से बिहार के जमुई जिले के लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र स्थित आनन्दपुर गांव का रहने वाला है. पिंटू राणा भाकपा माओवादी संगठन में रीजनल कमिटी मेंबर है. झारखंड सरकार ने उसके ऊपर 15 लाख का इनाम घोषित कर रखा है. इसके अलावा पिंटू राणा के ऊपर बिहार में एक लाख का इनाम घोषित है. बता दें कि पूर्वी बिहार पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के जोनल नक्सली कमांडर पिंटू राणा पर जमुई जिले के अलावा झारखंड के गिरिडीह, कोडरमा, देवघर, दुमका, नवादा, कौवाकोल सहित कई थानों में नक्सल के मामले दर्ज हैं.

पिंटू राणा पर बिहार व झारखंड में 72 मामले जबकि करुणा दी पर 33 मामले दर्ज:

पिंटू राणा पर बिहार व झारखण्ड में 72 मामले जबकि करुणा दी पर 33 मामले दर्ज हैं. बीते दिनों खैरा थाना क्षेत्र में एक पुलिस मुठभेड़ में सुरक्षा कर्मियों ने पिंटू राणा दस्ते के सक्रिय हार्डकोर नक्सली मतलू तुरी को मार गिराया था। जिसके बाद से नक्सल संगठन पूरी तरह से बैकफुट पर आ गया थाम मतलु तूरी के मारे जाने के बाद शीर्ष नेतृत्व एवं अन्य हथियारबंद दस्ता दहशत में था। सभी गिद्धेश्वर पहाड़ी क्षेत्र से भागने की फिराक में थे।जिसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया।