Corona Effect: 329 वर्ष के इतिहास में पहली बार नहीं लगेगी ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मेला

                                                                   

राँची। 1691 ई. से लगातार लग रहे ऐतिहासिक जगन्नाथपुर रथ मेला पहली बार नहीं लगाई जाएगी। कोरोना महामारी को लेकर ऐसा मंदिर के इतिहास में पहली बार होगा। प्रतिवर्ष लगने वाले इस मेले में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और मेले से अपनी जरूरत के सामान खरीदते हैं। मेले की भीड़ प्रत्येक वर्ष अपने आप में इतिहास रचता हैं। परंतु ऐसा पहली बार होगा जब लोग इस ऐतिहासिक मेले से वंचित रहेंगे। परंतु इस दौरान समस्त कार्यक्रम विधि विधान से पूरे किए जाएंगे। कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंस और मास्क का भी ख्याल रखा जाएगा।

महाऔषधि व 51 घड़ो से शुक्रवार को होगी प्रभु की स्नान यात्रा                                             

ज्येष्ठ पूर्णिमा शुक्रवार की प्रात: 8 बजे महाप्रभु के तीनों विग्रहों को गर्भ गृह से स्नान मंडप में स्थापित कर महाऔषधि के द्वारा स्नान कराया जाएगा। तत्पश्चात विग्रहों को 51-51 मिट्टी के घड़ों के पानी से स्नान कराया जाएगा। स्नानादि क्रियाओं के उपरांत महाप्रभु के तीनों विग्रहों सहित श्री गरुु़ड जी की मंगल आरती 108 दीपों वाली दीपदान से होगी। उपरांत महाप्रभु को भोग अर्पण किया जाएगा।                                                         

 विधि विधान से खींची जाएंगे प्रभु के रथ                                                                                     

मंदिर के स्थापना काल 1691 ई. से अनावरत चली आ रही प्रभु के रथ खींचने की परंपरा इस वर्ष भी होगी। जिसमें समस्त विधि विधान का ख्याल रखा जाएगा। परंतु रथ खींचने में भक्तों की हुजूम लगने नहीं दी जाएगी। स्नान यात्रा के बाद प्रभु 15 दिनों के लिए अज्ञातवास में चले जाते हैं। जहां भक्तों का दर्शन निषेध रहता है। 15 दिनों बाद नेत्रोत्सव की महापूजा 22 जून को होगी, जहां सभी भक्त प्रभु का दर्शन कर सकेंगें। वहीं 23 जून को महाप्रभु मौसीबाड़ी श्री मंदिर (गुंडिचा) के लिए रथ से प्रस्थान करेंगे। मौसीबाड़ी में विग्रहों को स्थापित किया जाएगा। जहां पूजा आरती के उपरांत मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के प्रथम सेवक और मंदिर निर्माता के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव ने बताया कि मेले के संदर्भ में उपायुक्त रांची, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव से बातचीत की गई है। मंदिर प्रबंधक प्रशासन के निर्देश की प्रतीक्षा में है। इसके लिए अनुमंडलाधिकारी सदर रांची को भी लिखित आवेदन दिया गया है।