सरायकेला:मैट्रिक की परीक्षा में कम नंबर आने पर छात्रा ने की खुदकुशी, माता-पिता की मौत के बाद चाचा कर रहे थे परवरिश….

सरायकेला।झारखण्ड के सरायकेला थाना अंतर्गत मुरूप पंचायत के नारायणडीह गांव की रहनेवाली दसवीं कक्षा की छात्रा राखी प्रधान (16 वर्ष) ने मैट्रिक की परीक्षा में कम अंक आने के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।उसके माता-पिता नहीं हैं। चाचा ही उसका पालन-पोषण कर रहे थे।द्वितीय श्रेणी से परीक्षा पास करने के बाद वह काफी तनाव में थी। परिजनों ने उसे समझाया भी।इसके बावजूद साड़ी का फंदा बनाकर उसने अपनी जान दे दी।

मिली जानकारी के अनुसार राखी प्रधान कस्तूरबा गांधी बालिका उच्च विद्यालय सरायकेला की छात्रा थी। 6 अप्रैल को वह अपने चाचा गौरांग प्रधान के साथ अपने गांव नारायणडीह आयी थी। शुक्रवार को मैट्रिक परीक्षा का परिणाम जारी किया गया, जिसमें राखी प्रधान द्वितीय श्रेणी में पास हुई थी।राखी प्रधान ने अपने परिजनों को बताया कि उसने परीक्षा के लिए काफी मेहनत की थी। इसके बावजूद वह द्वितीय श्रेणी से पास हुई। इस बात को लेकर वह काफी परेशान थी। परिजनों ने उसे समझाया कि द्वितीय श्रेणी में पास हुई तो क्या हुआ? आगे और मेहनत करना तो अच्छा परिणाम मिलेगा।परिजन राखी को समझाने के बाद अपने अपने काम पर चले गए।इसी दौरान राखी ने घर की छत में लगी लकड़ी में साड़ी का फंदा लगाकर जान दे दी।घटना के कुछ देर बाद जब परिजन घर लौटे तो राखी को फंदे से लटकता पाया। परिजन उसे फंदे से उतारकर सदर अस्पताल सरायकेला लेकर आए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

राखी के माता-पिता दोनों का हो चुका है निधन

राखी प्रधान के माता-पिता दोनों का वर्षों पूर्व निधन हो चुका है। उसके चाचा गौरांग प्रधान उसे गोद लेकर अपनी बेटी की तरह परवरिश कर रहे थे। सुसाइड की खबर सुनकर सरायकेला-खरसावां के लोग अवाक हैं।

कस्तूरबा विद्यालय की छात्रा द्वारा की आत्महत्या की सूचना मिलते ही जिला शिक्षा पदाधिकारी जितेंद्र कुमार सिन्हा शनिवार की अहले सुबह कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सरायकेला पहुंचे।उन्होंने विद्यालय की सभी छात्राओं के साथ एक घंटे का समय बिताया।इस दौरान डीईओ ने छात्राओं से कहा कि असफलता ही सफलता की कुंजी है. दुनिया में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनको सफलता मिलने से पहले कई बार असफलता का स्वाद चखना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज असफल हुए तो कल सफल जरूर होंगे।जीवन अनमोल होता है।जीवन है तो जीवन में संघर्ष करना चाहिए. डीईओ ने छात्राओं को समझाते हुए कहा कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, उसका डट कर सामना करना चाहिए।उससे घबराना नहीं चाहिए।मौके पर केजीवीभी प्रभारी संतावना जेना मौजूद थीं।