क्या सोरेन परिवार ने झारखण्ड को दिया था आर्थिक चोट? जानने के लिए पढ़ें झारखण्ड बालू घाट घोटाले की रिपोर्ट।

रांची। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के भाई बंसत सोरेन की कंपनी ग्रैंड स्टोन विवादों में रही है। कंपनी पर 15 करोड़ का फाइन लगाया जा चुका है। झारखंड से करोडों की खनिज संपदा लूट प्रकरण को पूरा जानने से पूर्व आपको यह समझना पहले जरुरी है कि ग्रैंड माइनिंग कंपनी किसकी है इस कंपनी के पीछे कौन-कौन से लोग हैं।
एक न्यूज एजेंसी की टीम की पड़ताल में पता चला कि ग्रैंड माइनिंग कंपनी मूलरुप से मुंबई की है। कंपनी के मालिक नागड़े सुरेश कुंडलिक राव है। कंपनी के मालिक नागड़े सुरेश कुंडलिक राव के बारे में जानकारी एकत्रित करने एमसीए (मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट एफेंयर्स) की वेबसाइट पर पहुंचे, तो पता चला कि यह व्यक्ति के नाम से करीब 16 कंपनी है। मगर, यह कंपनी क्या करती है। इसका अभी खुलासा होना बाकि है।

मुंबई की कंपनी को बेचा गया था बालू घाट
सूत्रों की मानें, तो हेमंत सोरेन अपने कार्यकाल में राज्य के अधिकांश बालू घाट मुंबई की कंपनियों को मामूली रकम में बेच दिए थे। अब यह कहना मुश्किल है कि क्या नागड़े सुरेश राव बालू घाट के ठेकों से जुड़ा हुआ था या नहीं। अगर, दूसरी तरफ देखा जाये तो ग्रांड्स माइनिंग कंपनी में झारखंड के दो व्यक्ति को भी जोड़ा गया था। कंपनी से जुड़े दोनों पार्टनर बोकारो के रहने वाल है। जिसमें नरेंद्र सिंह और भूपेंद्र सिंह शामिल है।

तबादला के बाद उपायुक्त ने एक ही दिन में दिया था 3-3 लीज
अवैध खनन लूट मामले में सबसे बड़ी बात गौर करने की यह है कि तत्कालीन उपायुक्त सुलेख बाखला ने एक ही दिन में तीन-तीन लीज को हस्ताक्षर कर कंपनी को जमीन सौंप दिया था। यह मामला दिसंबर 2015 में पाकुड़ जिला के पाकुरिया प्रखंड अंतर्गत गोलपुर मौजा में अवस्थित सरकारी जमीन है। तीनों जमीन एक ही दिन लीज पर अलग-अलग इकरारनामा के माध्यम से लिया गया था। इनके प्लॉट नंबर 298, रकबा करीब 31 एकड़, प्लॉट नंबर 63, रकबा करीब 23 एकड़ एवं प्लॉट संख्या 56 रकबा करीब 35.66 एकड़ है। कुल यह जमीन लगभग 90 एकड़ है, जो एक ही दिन में लीज से प्राप्त हुआ था।


ग्रैंड माइनिंग कंपनी का कैपिटल मात्र 1 लाख, मुनाफा करोड़ों में
पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी दिलदस्प बात यह है कि ग्रैंड माइनिंग कंपनी के बारे में ऑनलाइन सर्च करने पर पता चलता है कि इस कंपनी के निर्माण में कैपिटल मात्र एक लाख रुपये था। जबकि, इस कंपनी का पूर्व में कोई रिकॉर्ड नहीं था। ना ही कोई काम का र्सिटफिकेट प्राप्त था। इसके बावजूद इस कंपनी को करोड़ों का प्रोजेक्ट आराम से उपलब्ध हो जाता है। इन सारी बिंदुओं पर गौर किया जाये, तो यह प्रतीत होता है कि करोड़ों का मुनाफा कमाने के लिए सेल कंपनी को तैयार किया गया था। इस कंपनी का उद्देशय अन्य व्यक्तियों के लिए एक्सल कंपनी के तौर पर कीमती पत्थर खदान प्राप्त करना था।