Ranchi:कोरोना महामारी के चलते ऐतिहासिक शिव मंडा पूजा चुटिया के कार्यक्रम रद्द,कल से शुरू होने वाली थी अनुष्ठान

राँची।ऐतिहासिक शिव मंडा पूजा जो कि झारखण्ड की राजधानी राँची के चुटिया में 1 अप्रैल से शुरू होने वाली थी।कोरोना महामारी के चलते रद्द कर दिया गया है।ये दूसरा साल है जब मंडा पूजा को रद्द करना पड़ रहा है।ये जानकारी शिव मंडा पूजा समिति के अध्यक्ष राजकुमार महतो ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है-आज दिनांक 31 मार्च 2021 को शिव मंडा पूजा समिति, चुटिया राँची की बैठक की गई जिसमें सर्वसम्मति से COVID-19 कोरोना वायरस जो कि वैश्विक महामारी के चलते वर्ष 2021 की शिव मंडा पूजा जो कल से शुरू होने वाले सारे कार्यक्रम एवं अनुष्ठानों को रद्द कर दिया गया है, समिति के अध्यक्ष राजकुमार महतो ने बताया कि शिव मंडा पूजा 01 अप्रैल से लेकर 15 अप्रैल 2021 तक के सारे कार्यक्रम एवं अनुष्ठान होने थे लेकिन राँची सहित पूरे झारखण्ड में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर झारखण्ड सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन करते हुए, इस स्थिति में चुटिया नगरी की ऐतिहासिक शिव मंडा पूजा कैसे होगी, शिव भोक्ता गन लगभग 50 से 100 के बीच होते हैं और इसमें कई प्रकार के अनुष्ठान होते हैं जिसमें भोक्ता गन आपस में 21 बार गले मिलते हैं और हाथ भी मिलाते हैं और मेले में हजारों की संख्या में भीड़ होती है इस छूत की बीमारी में कैसे पूजा और अनुष्ठान होगी इसलिए मंदिर के पुजारी पंडित हरि मोहन पांडे जी एवं समिति के वरीय पदाधिकारियों एवं संरक्षक मंडल से फोन पर संपर्क कर सर्व सहमति बनाई गई और झारखंड सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए इस वर्ष शिव मंडा पूजा को रद्द कर दिया गया है और साथ ही पंडित जी के द्वारा मंदिर में देवों के देव महादेव जी की महा रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराया जाएगा और महाभंडारे का आयोजन शिव मंडा पूजा समिति करेगी। इस बैठक में समिति के मुख्य संरक्षक: पदम श्री मुकुंद नायक जी, विजय साहू, राधेश्याम केसरी, मनपुरण नायक, मनोज गोप, बाबूलाल ठाकुर अध्यक्ष: राजकुमार महतो, रवि गोप, प्रमोद गोप, मिथिलेश गोप, गौतम महतो, आयुष कुमार, आनंद केसरी, कौशल चौधरी आदि मुख्य रूप से चर्चा में शामिल थे।

 शिव मण्डा पूजा का इतिहास 

शिव मंडा पूजा ऐतिहासिक चुटिया नगरी की शिव मंडा पूजा बहुत ही प्राचीन है यहां वर्षों से शिव मंडा पूजा का आयोजन होता चला आ रहा है, यहां के नागवंशी राजाओं के द्वारा सभी जातियों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया, उस समय नागवंशी राजाओं के द्वारा समाज के सभी जातियों को एक एक अनुष्ठान के लिए अलग-अलग जिम्मेदारियां दिए गए थी और उन्हें इस मंडा पूजा को करते रहने के पुजारी के लिए पांडे समाज, पाट भोक्ता के लिए तेली समाज, राजा भक्तों के लिए अहीर (गोप), बाला भोक्ता के लिए मुंडा, भंडारी के लिए राजपूत समाज को, ढकाहा के लिए नायक समाज को, हजामत एवं पूजा के लिए ठाकुर समाज को भूमि (जमीन) दी गई थी। इसके अलावा बनिया समाज को मुन्नी पूजा, कोईरी समाज को भोक्ताओं को मंडा खुटा में झुलने एवं आदिवासी समाज के लोगों को मचान बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

यहाँ मंडा पूजा गांव में किसी तरह का कोई भी विपदा ना आए, खुशहाली, हरियाली एवं सौहार्द के साथ माने के लिए यह पर्व वैशाख माह में हर वर्ष मनाया जाता हैं।

शिव मंडा पूजा की अनुष्ठान कैसे होती है

डगर:  ढका द्वारा लगातार 7 दिनों तक डगर देकर सभी देवी देवताओं को जगाते हैं साथ ही लोगों तक यह संदेश पहुंचते है कि अब शिव मंडा पर्व का शुभारंभ हो चुका है।

मुंडन:  इस दिन सभी प्रमुख भोक्ता गन क्रमश: पंडित जी, पाट भोक्ता, राजा भोक्ता, बाला भोक्ता और भंडारी के घर ढाक, नगाड़ा और शहनाई लेकर निमंत्रण देते हैं इन्हें घर से ले जाकर मुंडन संस्कार कराया जाता है।

उत्तरी:  मुंडन संस्कार के बाद दूसरे दिन अर्धरात्रि में सभी भोक्ताओं को पावर हाउस स्थित करीनाथ तलाव में उतरी लेकर सभी भोक्ता ढाक नगाड़े की थाप पर नाचते गाते शिव बारात के लिए चल पड़ते हैं शिव बारात गोसाई टोली स्थित लोहार के घर पर सतबहिनी मंदिर में शिव विवाह होती है, उसके बाद माता पार्वती (पाट) की विदाई होती है, उस समय वहां पर की सभी माताएंं बहने नम आंखों से माता की विदाई करते हैं, भोक्तागण माता पार्वती (पाठ) को लेकर शिव मंदिर, महादेव मंडा आते हैं।

नगर भ्रमण:  सुबह में ढकाहा ढाक बजाते पाटभोक्ता के घर जाकर उठाते हैं और पाटभोक्ता पाठ लेकर चुटिया के विभिन्न तलाबों में जाकर उत्तरी अन्य भोक्ताओं को पंडित जी द्वारा देते हैं, यहां सिलसिला फुल बूंदी के दिन तक चलता रहता है। इसमें माता पार्वती (पाठ) को चुटिया के सभी घरों लेजाया जाता है, माता पार्वती (पाट) का पूजा हर घर की महिलाएं करती है, इस दौरान भोक्ता गण भी साथ में चलते हैं और घरों के आंगन में भोक्ता गण ढाक नगाड़े की थाप पर नाचते हैं, दोपहर में भोक्ता गन शिव मंदिर महादेव मंडा में कुछ देर आराम करते हैं और सात्विक भोजन गुड़ का शरबत और चना दाल का सेवन करते हैं सभी भोक्त्ता 11 दिनों तक अनुष्ठान में शामिल होते हैं और भोक्ता गण जमीन पर ही सोते हैं।

शोभा यात्रा:  रात्रि में रोजाना प्राचीन श्री राम मंदिर से शोभायात्रा भोक्ताओं की निकलती है भोक्ता गण गुलाची फुल से सज धज कर अर्धनारी का रूप धारण कर एक हाथ में चावर और दूसरे हाथ में वेत लिए बाबा भूतनाथ के जयकारे के साथ “बले शिवा मनी महेश, काशी बैजनाथ उड़ीसा जगन्नाथ, गजा गजाधर आधव माधव गौरीशंकर महेश, दाता दिगम महेश बले शिवा मनी महेश” के जयकारे के साथ ढोल नगाड़े एवं शहनाई की धुन पर सभी भोक्ता गण नाचते हुए शिव मंदिर महादेव मंडा पहुंचती है उसके बाद सभी भोक्तागण एक दूसरे से गले मिलते हैं और फिर देर रात बाबा भोले शंकर की श्रृंगार कर पूजा अर्चना करते हैं।

फूलखुंदी: आज के दिन सुबह से ही कई अनुष्ठान होते हैं सबसे पहले स्वर्णरेखा नदी पर स्थित दादुल घाट जाते हैं, जहां पर मिट्टी की ढकनी को भोक्ता गण बालू से बनी शिवलिंग पर हाथों से फोड़ते हैं जिसमेंं भोक्ता का ढकनी फूट गया उसकी तपस्या सफल हुआ और जिस भोक्ता का ढकनी नहीं टुुुटा उसे पंडित जी द्वारा दंड दिया जाता है, इस अनुष्ठान के बाद सभी भोक्ता गण नगर भ्रमण पर निकल पड़ते हैं। शाम में फूलकुंदी के लिए भोक्ता गण चुटिया के मुख्य मार्ग के घरों से लकड़ी लेकर आते हैं लकड़ी जमा कर के फिर दूसरे अनुष्ठान में चले जाते हैं। यहां अनुष्ठान को लोटन सेवा कहते हैं इसमें सभी भक्तों एक दूसरे को आपसी भाईचारा का परिचय देते हुए 21 बार गले मिलते हैं फिर लपरा भांजने का समय आता है, उस समय भोक्ताओं को एक खुटा में उल्टा लटकाकर अग्निकुंड में आस्था का परिचय दिलाया जाता है फिर समय आता है, निशा पानी लाने का अनुष्ठान पाटभोक्ता निशा पानी एक घड़े में लाने के लिए हटिया तलाव जाता है इस दौरान पाट भोक्ता को पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है, निशा पानी मंदिर में पहुंचने के बाद बकरे की बलि भी दी जाती है, इसके बाद अंतिम अनुष्ठान भोक्ताओं को लहलहाते आग के अंगारों के ऊपर नंगे पांव चल कर अपनी भक्ति और शक्ति का परिचय देते हैं इसे फूलखुन्दी कहते हैं और इसी दिन महादेव मंडा के प्रांगण में भक्ति संगीत एवं पारंपरिक झारखंड और बंगाल की छऊ नृत्य का प्रदर्शन यहां पर किया जाता है ताकि श्रद्धालु मनोरंजन कर सके।

राधा चक्र, शोभायात्रा एवं झूलन: आज का अनुष्ठान विशू के दिन मनाया जाता है आज पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के पुजारी पंडित जी सभी भोक्ताओं को गुड़ का शरबत एवं कच्चा आम प्रसाद के रूप में खिलाते हैं। यह भी माना जाता चुुुुटिया में विशू के दिन ही सभी घरों में आम का स्वाद चखते हैं, इससे पहले आम का सेवन नहीं करते हैं। फिर भोक्ता गण सज धज कर अर्थनारी का रूप लेकर प्राचीन श्री राम मंदिर से चल पड़ते हैं इस समय एक खास अनुष्ठान का आयोजन होता है। जिसे राधा चक्र कहते हैं इस राधा चक्र एक बैलगाड़ी में लगाकर जिसमें पाट भोक्ता को अर्धनग्न अवस्था में नुकीली किलो के बीचो-बीच लिटाकर शिव मंदिर महादेव मंडा घुमाते हुए लाते हैं इसके बाद सभी भोक्ताओं को महादेव मंडा के प्रांगण में एक लकड़ी के खंभे में बारी-बारी से झुलाया जाता है, भोक्ता गण श्रद्धालुओं को ऊपर से आस्था के फूल बरसाते हैं, इस दिन मंदिर परिसर में मेला का भी आयोजन होता है साथ ही रात्रि में झारखंड के स्थानीय कलाकारों द्वारा ऑर्केस्ट्रा का भी आयोजन किया जाता है श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए।

छठी: मंडा पर्व छठी के साथ संपन्न होता है इस दिन सभी भोक्ता हजामत करा कर एक दूसरे के शरीर में तेल हल्दी लगाकर अपना व्रत को तोड़ते हैं और खिजुरिया तालाब में स्नान करने के बाद बाबा का श्रृंगार पूजा करते हैं और अंत में भोक्ताओं के लिए भंडारे का आयोजन होता है।

इसके साथ मंडा पूजा संपन्न हुआ।

यह है आयोजन समिति 

मुख्य संरक्षक: पदम श्री मुकुंद नायक, विजय साहू संरक्षक: राधेश्याम केसरी,  विजय तिर्की, रामलखन महतो, मनपुरण नायक, रामवृत महतो, लालो महतो, बाबूलाल ठाकुर, कैलाश केशरी, गोपाल ठाकुर, मनोज गोप,  अध्यक्ष: राजकुमार महतो कार्यकारी अध्यक्ष: रवि गोप, मिथिलेश गोप महामंत्री: प्रमोद गोप कोषाध्यक्ष: गौतम महतो वरीय उपाध्यक्ष: संजय साहू (मामा) उपाध्यक्ष: धनंजय सिंह, उदय कुमार, रवि सिंह, अनूप ठाकुर, कौशल चौधरी, मदन कुमार केसरी, धर्मेंद्र सोनी, बद्री विशाल, राजेन्द्र केसरी, जसवंत प्रसाद साहू, भोला केशरी, आयुष कुमार कश्यप, आनंद केशरी, मनिष केशरी, रवि साहू, कुलदीप लोहरा, अनिल राम (टल्लु) राम उराँव, अजय मुण्डा, मदन मुंडा मंत्री: महावीर रजक, रंजीत राम, उदय केसरी, सुमित महतो, रवि महतो, सुधीर महतो, रोशन कुमार, रामदेव लोहरा, नीलकंठ नारायण नायक, अजीत गोप, बिनय कुमार उर्फ शिकंदर, सुबोध साहू, राज सिंह, रितेश गोप, संजय वर्मा उर्फ बबलू, संदीप चौधरी, किशोर महली संगठन मंत्री: दिलीप गोप, सुरेश मुंडा, सुशील पहान, अमरदेव कुमार, बादल कुमार, उपेन्द्र सिंह, शिवम सिंह, संजय सिंह, सूरज मुंडा, विजय गोप, चुन्नू गोप, सुमित महतो, रूपेश केसरी, रवि प्रकाश गोप, रवि सिंह गोपाल महतो, कृष्णा गोप सहकोषाध्यक्ष: राजू गोप अंकेक्षक: अजीत साहू कार्यकारी सदस्य: शिबू साहू, रोहन भोक्ता, अमन श्रीवास्तव, करण कुमार महतो, रोहित कच्छप, विवेक कुमार, अंकित केसरी, अनिल मुंडा, अभिषेक केसरी, सूरज केसरी, करण सिंह, भूपेंद्र सिंह, पवन नायक, संजय साहू, शंभू पांडे, राहुल कुमार, कुलदीप साहू, मुन्नी लाल साहू, विक्रम साहू, दीपक कुमार, आदित्य कुमार, विकास गोप आदि।

पूजन कार्यक्रमों की तिथि 

डगर: 1 अप्रैल से

मुंडन: 5 अप्रैल को

उत्तरी: 6 अप्रैल को 

शोभायात्रा: 7 अप्रैल से 12 अप्रैल तक 

जागरण एवं फुलखुंदी: 13 अप्रैल को 

झूलन सह मेला 14 अप्रैल को 

15 अप्रैल को छठी के साथ मंडा पूजा सम्पन्न

फोटो-2019 में हुई मंडा पूजा की है