#हाय रे राजधानी राँची की स्वास्थ्य व्यवस्था:-इंसान एम्बुलेंस के समय पर नहीं पहुचने पर तड़प तड़प कर मर गया,मरने के बाद एम्बुलेंस वाले का आता है कॉल कहा आना है,एक बेटी ने फेसबुक पर मार्मिक पोस्ट साझा किया है।

हाय रे राजधानी राँची की स्वास्थ्य व्यवस्था :- इंसान एम्बुलेंस के समय पर नहीं पहुचने पर तड़प तड़प कर मर गया, मारने के बाद एम्बुलेंस वाले का आता है कॉल कहा आना है

— हर बार की तरह इस बार भी कोई अधिकारी या मंत्री का ट्वीट आएगा हम जांच करा रहे है दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।

राँची। हाय रे राजधानी राँची की स्वास्थ्य व्यवस्था, एक इंसान रात में बीमार पड़ता है। उसके परिवार वाले उसे अस्पातल पहुचाने के तड़पने लगते है। एम्बुलेंस बुलाने के लिए घर के सभी लोग फोन लगाते है। लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुँचता है। किसी तरह परिवार के सदस्य बगल के अस्पातल में मरीज को रात में ले जाते है। जहाँ अस्पताल के डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाते। उनकी मौत हो जाती है। उनकी मौत के कई घंटे के बाद एम्बुलेंस वाले का फ़ोन आता है कि बताये कहा आना है। ऐसी है हमारी राजधानी राँची की स्वास्थ्य व्यवस्था। आप समझ ले कि जब राँची में ये हाल है तो अन्य जिलों में क्या स्थिति होगी।

एक बेटी की जुबानी अपने पिता को नहीं बचा पाने की दुःखद व्यथा उसके पिता की मौत 20 अगस्त को हो गयी। क्योंकि समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचा। समय पर इलाज नहीं शुरु हुआ। एक बेटी ने फेसबुक पर मार्मिक पोस्ट साझा किया है। हम उसे यहां शब्दशः प्रकाशित कर रहे हैं।

मेरे पापा को 20 अगस्त की रात में जाना था. वह हम सभी को छोड़ कर चले गये. लेकिन एक बात का सबक मिला कि आपके घर में अगर कोई सीरियस हो, सांस लेने में तकलीफ हो तो कृपया करके सरकार की एंबुलेंस पर भरोसा ना करें! क्योंकि वह लोग नहीं आएंगे।104 ,108, 112 इन तीनों नंबर पर फोन करने से बताया जाता है कि प्लीज पहले कोरोना टेस्ट कराएं. कोरोना की वजह से हम लोग नहीं आते हैं,20 अगस्त की रात 11:00 बजे से लेकर लगभग 11:30 बजे तक हम लोग सिर्फ एंबुलेंस को बुला रहे थे. क्योंकि पापा को ऑक्सीजन की जरूरत थी. लेकिन एक भी एंबुलेंस नहीं आया.covid से मेरे पापा का कोई लेना-देना नहीं था. क्योंकि पापा कभी घर से नहीं निकलते थे और ना ही मेरे घर से कोई बाहर निकलता है. बावजूद इसके हम लोगों के बार-बार बोलने पर कि इनकी तबीयत नॉर्मली खराब हुई है. प्लीज जल्द से जल्द एंबुलेंस भेज दे. लेकिन एक भी एंबुलेंस नहीं आया और साथ में यह भी बोला गया कि आप अपनी गाड़ी से ले जाएं।

एंबुलेंस के लिए कॉल तब आया. जब मेरे पिता की मौत हो चुकी थी।

यानी साफ है, जिसके भी घर में मरीज है, कृपया करके अपने घर गाड़ी जरूर रखें. एंबुलेंस पर भरोसा ना करें!

मैं तो स्वास्थ्य विभाग से सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि जब वक्त रहते मरीज के पास एंबुलेंस पहुंच नहीं सकता है, तो फिर एंबुलेंस सेवा को बंद ही कर दीजिए-मोमिता बनर्जी,(बेटी)