सरना झंडे व सखुआ के फूल से सरहुल के रंग में रंगी राजधानी राँची, मांदर की थाप पर थिरके लोग,उमड़ी भीड़….

 

प्रकृति पर्व सरहुल के मौके पर झारखण्ड की राजधानी राँची सरना झंडे व सखुआ के फूल से सरहुल के रंग में रंगी नजर आयी। इस दौरान लोग मांदर की थाप पर थिरकते दिखे।

राँची।झारखण्ड की राजधानी राँची का मेन रोड गुरुवार को सरहुल के रंग में रंगा दिखा।सरना झंडों से पटे राँची शहर में चारों ओर सखुआ के फूल की खुशबू फैली हुई है।आदिवासी समुदाय के लिए बोलना ही संगीत और चलना ही नृत्य है। सरहुल के मौके पर मांदर की थाप पर सभी थिरकते नजर आए।

 

राजधानी राँची की तमाम अखरा समितियों से निकलने वाली झांकी मेन रोड से ही होकर गुजरी।इस दौरान राजधानीवासियों ने करीब 150 झांकियों की प्रदर्शनी देखी। हर झांकी अलग अंदाज में नज़र आयी।महिलाएं जहां लाल बॉर्डर की साड़ी में दिखीं, वहीं दूसरी तरफ पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में नज़र आए।युवाओं ने इस बार पारंपरिक वस्त्रों को आधुनिकता का भी टच दिया।चूंकि इस पर्व में प्रकृति की पूजा के साथ ही नृत्य का भी विशेष महत्व होता है।ऐसे में मेन रोड पर नज़र आने वाली हर झांकी ने अपने नृत्य से लोगों का मन मोहा।आदिवासी समुदाय के लिए सरहुल पर्व प्रकृति से उनके प्रेम को दर्शाता है।ऐसे में इस वर्ष सरहुल की शोभायात्रा प्रकृति के रंग में रंगी नज़र आई। जिन गाड़ियों से शोभायात्रा की झांकियां निकलीं, उन्हें पत्तों से सजाया गया था।जो संदेश दे रहे थे कि आदिवासी समाज आज भी प्रकृति से जुड़ा है।

आदिवासी समाज व प्रकृति दोनों का अन्योन्याश्रय संबंध है।इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है।बड़ी संख्या में लोगों ने अपने हाथों में तीर-कमान और हल भी थाम रखा था। तीर-कमान हुल यानी क्रांति का प्रतीक माना जाता है तो हल को खेती-किसानी के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

शोभायात्रा में प्रकृति प्रेम के साथ ही सरना धर्म कोड की मांग की झलक भी देखने को मिली। बांधगाड़ी सरना समिति की तरफ से निकाली गयी शोभायात्रा में सरना धर्म कोड को आदिवासियों की प्रमुख जरूरत बताते हुए दिखाया गया। इस वर्ष पूजा के बाद पाहन के द्वारा की गई ज्यादा बारिश की भविष्यवाणी भी खेती-किसानी के लिए भी उतनी ही फायदेमंद साबित होगी।

सरहुल की शोभायात्रा देखने के लिए बड़ी संख्या में राँची वासियों की भीड़ मेन रोड में उमड़ती दिखी। मेन रोड के बीचोंबीच सरहुल की शोभायात्रा देखने के लिए लोग घंटों कतार में खड़े नजर आए।

सरहुल शोभायात्रा के मद्देनजर दोपहर 2 बजे से ही मेन रोड पर गाड़ियों की आवाजाही को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गयी थी। सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की गयी थी।निगरानी करने लिए एडीएम लॉ एंड आर्डर, सिटी एसपी, डीएसपी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी नज़र आए।सरहुल पर्व के मौके पर व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी। इस त्योहार पर राँची केंद्रीय सरना समिति के मंच पर राँची विधायक सीपी सिंह, सुबोधकांत सहाय, जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य सहित कई नेता मौजूद थे।

प्रकृति पर्व सरहुल के मौके पर महिला-पुरुष समेत बच्चों में उत्साह देखते ही बन रहा था। इस दौरान एसएसपी आवास चौक, कचहरी चौक से कचहरी चौक जानेवाले मार्गों से सामान्य वाहनों का परिचालन बंद रहा।

 

प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर चारों तरफ उत्साह का माहौल है।सरना स्थल से लेकर राँची विश्वविद्यालय के जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग कैंपस में पारंपरिक रूप से सरहुल महोत्सव मनाने की धूम है।राजनेता से लेकर समाज के सभी प्रबुद्ध वर्ग सरहुल महोत्सव में शामिल होकर प्रकृति के इस पर्व को मनाने में जुटे हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्यवासियों को सरहुल पर्व की बधाई दी है।राँची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में आयोजित सरहुल महोत्सव के मौके पर राज्यपाल ने न केवल पूजा अर्चना की, बल्कि मांदर बजाकर इस पर्व के महत्व को बताया।

सरहुल प्रकृति की रक्षा का संदेश देता है-राज्यपाल

सरहुल महोत्सव के मौके पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्यवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मानव एवं प्रकृति का अन्योन्याश्रय संबंध है।सरहुल का वास्तविक अर्थ वृक्ष एवं प्रकृति की पूजा करना है। यह पर हमें संदेश देने का काम करता है कि प्रकृति के बिना मानव जाति का अस्तित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि सरहुल उन त्योहारों में से एक है जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर जनजाति समुदाय तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसे सभी समुदाय के लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।यह उत्सव सभी के बीच आपसी भाईचारा के भावना को सुदृढ़ करता है।

राज्यपाल ने कहा कि सरहुल मानव जाति को प्रकृति की रक्षा करने का संदेश देता है।आज जहां पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती का सामना कर रहा है, वहीं सरहुल जैसे पर्व के संदेश अत्यंत ही सार्थक है।इस मौके पर राज्यसभा सांसद महुआ माजी और राँची विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा सहित कई मौजूद थे।