#माँ की ममता भी मजबूर:राँची दुष्कर्म की शिकार महिला,चार दिन पहले दो जूड़वा बच्चों को जन्म दिया,गरीबी इतनी की पाल भी नहीं सकती,बच्चे को अडाप्शन एजेंसी को किया हवाले …

गरीबी की वजह से मां की ममता भी मजबूर:सात साल पहले पति की मौत, मानसिक स्थिति हुई खराब तो हो गई दुष्कर्म की शिकार, चार दिन पहले दो जूड़वा बच्चों को जन्म दिया,गरीबी इतनी की पाल भी नहीं सकती, अडाप्शन एजेंसी के किया हवाले-

पूर्व सीडब्ल्यूसी सदस्य मीरा मिश्रा ने की पहल, पहले से महिला की है दो बेटिया, अगर नवजातों को अडाप्शन एजेंसी को नहीं कराती सरेंडर तो इन्हें भी कोई दलाल बेच देता जैसे हाल ही तुपुदाना में गरीबी की वजह से एक बच्ची को बेचा गया था..

खाने के लिए न अनाज, न रहने को घर है, पीडि़ता को कराया चावल का इंतजाम, सरकार से राशन कार्ड बनवाने और घर दिलवाने के लिए भी किया जाएगा प्रयास-


राँची।लॉक डाउन की वजह से हुई बेरोजगारी और गरीबी की समस्या ने लोगो को आज ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है कि एक मां अपने चार दिन के जूड़वा बच्चों को भी पाल नहीं सकती।गरीबी के आगे मां की ममता भी मजबूर हो गई। परिणाम यह हुआ कि सोमवार को एक ऐसी ही गरीबी की वजह से मजबूर मां ने अपने चार दिन के दो जूड़वा बेटों को अडाप्शन एजेंसी को सरेंडर कर दिया।

गरीबी की वजह से वह अपने दोनों जूड़वा नवजात का पालन पोषण करने में असमर्थ थी।उसके रिश्तेदारों ने पूर्व सीडब्ल्यूसी सदस्य मीरा मिश्रा से संपर्क किया और पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद मीरा मिश्रा ने पीडि़ता से बात की। पीडि़ता ने बताया कि वह दोनों नवजातों का पालन पोषण नहीं कर सकती। उसके पास खुद के खाने के जुगाड़ ही नहीं है तो अपने दो नवजातों को कहा से पाल सकेगी। इसके बाद सरकारी प्रक्रिया के तहत मीरा मिश्रा ने पहल करते हुए दोनों नवजातों को अडाप्शन एजेंसी को सरेंडर करा दिया है। दोनों बच्चों को मेडिकल जांच के बाद करुणा आश्रम में रखा गया है।जहां अब उनका पालन पोषण किया जाएगा।

पहले से है दो बेटिया, जिन्हें किसी तरह पाल रही है पीड़िता

पीड़िता की कहानी बहुत ही दुखदायी है। पीडि़ता नामकुम थाना क्षेत्र की रहने वाली है। उसका पति एतवा मुंडा उसे सात साथ पहले छोड़ कर चला गया। उसकी मौत हो गई या वो कहा है किसी को पता नहीं।इसके बाद लौट कर नहीं आया। आज उसकी दो बेटियों एक नौ साल की और एक सात साल की हो गई है। जिसका पालन पीडि़ता किसी तरह से करती है। कही होटल में जाकर बर्तन धो दिए तो कुछ पैसे व खाना मिल गया नहीं तो किसी के घर से कुछ मांग लिया तो खुद खा लिया। छोटी बेटियों को आसपास के लोग व रिश्तेदार देख खाने के लिए दे दिया तो उनका भी काम चल गया। पति के छोड़ कर जाने के बाद पीडि़ता की मानसिक स्थिति थोड़ी खराब हो गई। पिछले साल वह दुष्कर्म की शिकार हो गई। चार दिन पहले उसे रिम्स में जूड़वा बेटे हुए।अस्पताल से वह वापस तो आ गई। लेकिन उन नवजातों को लेकर रहने व पालने के लिए न तो उसके पास छत थी और न पालने के लिए पैसे, खुद के खाने के इंतजाम जिसके पास नहीं वह अपने दो नवजातों के कैसे पाले। उसकी इसी मजबूरी को देखते हुए उसके घर के आसपास के लोग व रिश्तेदारों ने अडाप्शन एजेंसी में देने का फैसला पीडि़ता की अनुमति से किया। पीड़िता को फिलहाल खाने के लिए चावल अनाज का इंतज़ाम कराया गया है। उसके राशन कार्ड बनवाने और आवास दिलाने के लिए भी प्रयास किया जाएगा।

60 दिन के अंदर अगर चाहे तो बच्चे का जैविक पिता आकर कर सकता है दावा

पूर्व सीडब्ल्यूसी सदस्य मीरा मिश्रा ने बताया कि दोनों नवजातों को अडाप्शन एजेंसी को सरकारी प्रक्रिया के तहत सरेंडर कराया गया है। अब प्रक्रिया के तहत 60 दिन के अंदर अगर चाहे तो बच्चे के जैविक पिता उसे लेने के लिए आगे आ सकते है और दावा कर सकते है कि वे उन्हें पालना चाहता है। जिसकी जांच व प्रक्रिया के बाद उन्हें सौंपा जा सकता है। अगर वे 60 दिन के अंदर नहीं आते है तो दोनों बच्चों तो अडाप्शन एजेंसी पालन पोषण करेगी।

गरीबी के कारण तुपुदाना में 28 दिन की बच्ची को दे दिया था एक अनजान दंपत्ति को

हाल ही में गरीबी के कारण ही तुपुदाना ओपी क्षेत्र में एक 28 दिन की बच्ची की ओर मां ने एक नि:शंतान दंपत्ति को बेच दिया था। मामला संज्ञान में आने के बाद सीडब्ल्यूसी ने इस मामले को देखा फिर बच्ची को रेस्क्यू कराया और उसे भी करूणा आश्रम भेजा था। उस परिवार का भी कहना था कि उनके पहले से बच्चे है। एक और बच्ची के वे गरीबी के कारण नहीं पाल सकते। इसलिए उन्होंने अपनी मर्जी से दे रही हूं। लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि बच्ची को पैसे लेकर एक दलाल ने नि:शंतान दंपत्ति को दिलाया था। अगर इसमें भी पूर्व सीडब्ल्यूसी सदस्य मीरा मिश्रा पहल नहीं करती तो हो सकता था कि दोनों नवजातों को कोई दलाल लेकर किसी दंपत्ति को बेच देता।