बिहार और झारखण्ड के मोस्टवांटेड नक्सली,गया पूर्वी क्षेत्र के जोनल कमांडर प्रद्युम्न शर्मा सीआरपीएफ के हत्थे चढ़ा,गजियाबाद इलाके से गिरफ्तारी की खबर है

राँची।बिहार के गया के पूर्वी क्षेत्र का जोनल कमांडर नक्सली प्रद्युम्न शर्मा आखिरकार सीआरपीएफ़ के हत्थे चढ़ गया है।लेकिन टीम फिलहाल मामले को गोपनीय रख रही है।उसे गुप्त स्थानों पर रखा गया है।सूत्रों के अनुसार, बीते कुछ समय से प्रद्युम्न शर्मा का लोकेशन यूपी के गाजियाबाद और परैया क्षेत्र में मिल रहा था। एक साथ दो जगह लोकेशन की खबर ने सीआरपीएफ टीम को सकते में डाल दिया था। ऐसे में टीम ने अपना काम करना शुरू कर दिया। प्रद्युम्न को पकड़ने की तैयारी जोर-शोर से चलने लगी। उसका स्थिर लोकेशन किसी विशेष इलाके में रेग्युलर नहीं मिल रहा था। इसी बीच राँची सीआरपीएफ की टीम सक्रिय हो गई। उसने गाजियाबाद से लेकर परैया तक नेटवर्क खड़ा किया। साथ ही इसमें देश की बड़ी पुलिस एजेंसियों की भी मदद ली और उसे गाजियाबाद के पास एक कस्बे से दबोच लिया।बताया जा रहा है वह कुर्ता पायजामे में था और कांधे पर गमछा रखा था। आंखों पर चश्मा लगा रखा था।

बताया जाता है कि प्रद्युम्न 2003 से पहले नक्सलियों के सामान्य संगठन से जुड़ा था। 2003 में नक्सली संगठनों का विलय हुआ और एमसीसी संगठन बना। उस संगठन में इसे गया जिले के पूर्वी क्षेत्र का जोनल कमांडर बनाया गया। जोनल कमांडर की जिम्मेदारी मिलते ही इसने अपने क्षेत्र और झारखण्ड में नक्सली वारदातों को ताबड़तोड़ अंजाम दिया।

हर नक्सली कांड में इसका नाम

जिले में 2003 से लेकर अब तक हर एक नक्स्ली कांड में प्रद्युम्न शर्मा का नाम पुलिस रिकार्ड में दर्ज है। न केवल गया, बल्कि औरंगाबाद और झारखण्ड के विभिन्न थानों में इसके खिलाफ जघन्य वारदातों को अंजाम दिए जाने का मुकदमा दर्ज है। इसने करोड़ों रुपए लेवी वसूली से कमा रखे हैं।

2017 में भी पकड़ा गया था, पर गलफहमी से बच गया था

2017 में भी प्रद्युम्न को स्पेशल टास्क फोर्स ने कोडरमा के निकट ट्रेन में दबोच लिया था। इस बात की भनक पुलिस से लेकर सत्ता के गलियारे तक पहुंचते ही एक विशेष रैकेट सक्रिय हो गया था और गलतफहमी का हवाला देते हुए पकड़ने वाले फोर्स पर दबाव बनाया गया था, जिसके बाद प्रद्युम्न कुछ ही घंटों में छूट गया था। तब से वह दोबारा किसी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका था।

प्रद्युम्न की तलाश झारखण्ड और बिहार पुलिस के साथ CRPF को लंबे समय से थी, लेकिन हर बार वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो जा रहा था। इस संबंध में गया SP आदित्य कुमार का कहना है- ‘वह हमारे यहां से नहीं पकड़ा गया है। दूसरी जगह से पकड़ा गया हो तो हम नहीं कह सकते हैं’।