#झारखण्ड की राजनीति:कांग्रेस के कई विधायक संगठन से नाराज,सांसद धीरज साहू के नेतृत्व में तीन विधायक केंद्रीय नेतृत्व से की मुलाकात !

राँची।झारखण्ड में कांग्रेस के विधायक कांग्रेसी मंत्रियों से नाराज हैं।सांसद धीरज साहू की अगुवाई में तीन विधायक कल दिल्ली गये थे।अहमद पटेल और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की।उन्होंने उनसे कहा कि हमारी नहीं सुनी जा रही है. संगठन में एक व्यक्ति एक पद लागू हो. दिल्ली गये विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व से समय रहते मामले को सुलझाने की अपील की. विधायकों ने कहा कि जब अपने ही नहीं सुनते तो हम जनता की बातों को कैसे सुलझाएं।आपको बता दें कांग्रेस के 09 विधायक संगठन से नाराज चल रहे हैं।

झारखण्ड में हेमंत सोरेन सरकार की सहयोगी कांग्रेस में बगावत का स्वर तेज हो गया है। यह घमासान दिल्ली पहुंच गया है। राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने इसकी कमान संभाली है। कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और उमाशंकर अकेला के साथ धीरज साहू झारखण्ड की हेमंत सरकार की शिकायतों का पिटारा लेकर दिल्‍ली पहुंचे हैं।

बताया जा रहा है कि विक्षुब्ध खेमे में नौ विधायक हैं, जो हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। तीनों विधायक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और गुलाब नबी आजाद से मुलाकात कर झारखण्ड लौटे हैं। हालांकि दिल्ली जाने वाले विधायकों ने चुप्पी साध रखी है। विधायकों ने आलाकमान से गुहार लगाई है। कहा है कि सरकार में उनकी नहीं सुनी जाती है। कांग्रेस के विधायकों के साथ रवैया ठीक नहीं रहता है। सरकार में मंत्री का एक पद खाली है।

झारखण्ड में हेमंत सरकार की सहयोगी कांग्रेस के विधायकों की महत्वाकांक्षा चरम पर है। इसे लेकर भितरखाने मुहिम तेज हो गई है। जानकारी के मुताबिक राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने फिलहाल सरकार पर दबाव बढ़ाने के मुहिम की कमान संभाली है। उनके नेतृत्व में जामताड़ा के विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. इरफान अंसारी, बरही के विधायक उमाशंकर अकेला और खिजरी के विधायक राजेश कच्छप ने दिल्ली में सरकार के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा पेश किया।

बताया जाता है कि नई दिल्ली में इनकी मुलाकात सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और पूर्व केंद्रीयमंत्री गुलाम नबी आजाद से हुई। इन विधायकों ने आलाकमान को आगाह किया कि अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो सरकार अस्थिर हो सकती है।

दिल्ली गए विधायकों को फिलहाल शांत रहने की नसीहत दी गई है। इस खेमे को नौ विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर इनकी मांग पर विचार नहीं हुआ तो ये दलबदल तक कर सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने हाल ही में यह खुलासा किया था कि भाजपा सरकार गिराने के लिए पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दे रही है।

क्या चाहते हैं विधायक

विधायकों ने गुहार लगाई है कि सरकार में उनकी सुनी नहीं जाती। आरोप लगाया जाता है कि वे अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग मनमुताबिक कराने का दबाव बनाते हैं। इसे विधायक गलत नहीं मानते। क्षेत्र में मनपसंद अधिकारियों की तैनाती इनका बड़ा एजेंडा है। इसके अलावा खाली पड़े मंत्री के एक पद को जल्द से जल्द भरने की मांग उठाई गई है।कांग्रेस खाली पड़े मंत्री के पद पर दावेदारी करे और वरिष्ठ विधायकों में से एक को मंत्री बनाया जाए। जो विधायक मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाए, उन्हें बोर्ड और निगमों में एडजस्ट किया जाए। इन विधायकों ने आलाकमान को जानकारी दी है कि उनकी मांगों की अनदेखी करने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।अच्छा यही होगा कि सरकार को चलाने में सबका सहयोग लिया जाए। कांग्रेस हेमंत सोरेन सरकार में सहयोगी अवश्य है, लेकिन उसे तवज्जो नहीं मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत लागू करने की भी मांग उठाई गई। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव राज्य सरकार में वित्तमंत्री भी है। उन्हें एक पद से मुक्त करने की मांग अरसे से उठ रही है।