JHARKHAND:फोन टैपिंग,सियासत और पुलिस.. !

राँची

तारीख 6 जून 2019: राज्य के तात्कालिन मंत्री सरयू राय और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी को जमशेदपर स्थित सिविल कोर्ट ने ऑडिया लीक किए जाने के एक मामले में साक्ष्यों के अभाव में बरी किया ।

दूसरी तारीख 23 दिसंबर 2019: झारखण्ड में रघुवर सरकार का पतन। इस तारीख के बाद कई बार सरयू राय ने आरोप लगाए की बीते सरकार में मुख्यमंत्री रघुवर दास करीबी अफसरों के जरिए उनकी जासूसी कराते थे, फोन टैपिंग के सनसनीखेज आरोप भी सरयू राय ने लगाए। उन्होंने अब के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व डीजीपी एमवी राव से भी शिकायत की कि उनके फोन की टैपिंग एडीजी स्तर के एक अधिकारी कराते थे।

तीसरी तारीख 18 जुलाई 2020:फोन टैपिंग मामले में राँची के डोरंडा थाने में एफआईआर। सरयू राय की शिकायत पर मई 2020 में सीआईडी के एडीजी अनिल पालटा ने फोन टैपिंग की शिकायत की जांच करायी। जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि सरयू राय या किसी भी राजनीतिज्ञ का फोन टैप नहीं हुआ था। बल्कि यहां नई कहानी निकली। सीआईडी ने विशेष शाखा के अफसर व पूर्व के सीआईडी के तकनीकी शाखा प्रभारी अजय कुमार साहू पर एफआईआर दर्ज करवाया। आरोप लगा कि सीआईडी के तकनीकी शाखा प्रभारी ने चौका के थानेदार रतन सिंह, चुटिया के दरोगा रंजीत सिंह व स्पेशल ब्रांच के सिपाही मो इमरान को पशु तस्कर व अपराधियों का सहयोगी बता फोन टैपिंग की थी।

कहानी को थोड़ा पीछे, 2011 में ले चलते हैं….

2011 में जमशेदपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना था। उपचुनाव के ठीक पहले सरयू राव व दिनेशानंद गोस्वामी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी व जमशेदपुर से झाविमो प्रत्याशी डॉ अजय कुमार की कथित माओवादी समर से बातचीत का सीडी जारी कर दिया। सियासी गलियारे में तब चर्चा हुई कि फोन टैपिंग के जरिए इस बातचीत को लीक किया गया। हालांकि तब मामले में पुलिस ने जांच की। तात्कालिन डीजीपी जीएस रथ ने पाया कि लातेहार के अपराधी अभय के द्वारा डॉ अजय से संपर्क किया गया था। अभय ने ही समर बन कर मोबाइल नंबर 9709254567 से बातचीत की थी। बात में पुलिस की टैपिंग का ऑडियो लीक हो गया। बहरहाल इस मामले में कोर्ट ने डॉ अजय के द्वारा दर्ज मामले में आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। लेकिन अबतक ये बात सामने नहीं आयी कि पुलिस के अंदर का वह कौन शख्स था जिसने बातचीत के कथित ऑडियो को लीक किया, इसकी पहचान अबतक नहीं हो पायी।

अबकी तो पुलिस में ही सीनियर वर्सेज जूनियर हो गया

ताजा मामले में एफआईआर के बाद झारखंड में फोन टैपिंग मामले को लेकर पुलिस के बड़े अफसरों व जूनियर अफसरों के बीच अविश्वास की स्थिति उत्पन हो रही है। 22 जुलाई इस मामले में जूनियर अफसरों की प्रतिनिधि संस्था झारखण्ड पुलिस एसोसिएशन के केंद्रीय पदाधिकारियों की आपात बैठक हुई। बैठक के बाद फोन टैपिंग समेत अन्य मामलों में पुलिस एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी एमवी राव के आवास जाकर उनसे मुलाकात की। मुलाकात कर एसोसिएशन ने इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू पर दर्ज केस को वापस लेने की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह व महामंत्री अक्षय राम ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि जूनियर अफसर बड़े पुलिस अधिकारियों के दिशा निर्देश पर ही कार्रवई करते है बावजूद इसके जूनियर पुलिस अफसरों को टारगेट कर एफआईआर कर दिया जाता है, जो अनुचित है। एसोसिएशन ने कहा है कि जूनियर पदाधिकारी विभाग में कई मौखिक आदेशों पर कार्रवाई करते हैं। लेकिन वरीय पदाधिकारी अपने बातों से मुकर जाएंगे तो जूनियर अफसरों का विश्वास वरीय पदाधिकारियों पर से उठ जाएगा, ऐसे में जूनियर पुलिस अधिकारी बिना लिखित आदेश के वरीय अफसरों की कोई बात नहीं मानेंगे। जिससे राज्य पुलिस में अराजक स्थिति उत्पन हो जाएगी। एसोसिएशन ने डीजीपी को बताया कि इस मामले में विभागीय गलती के लिए विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए न कि एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए। एसोसिएशन ने कहा है कि इस प्राथमिकी प्रकरण से भेदभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ है।

खैर ये बात तो माननी होगी

सरयू राय का फोन टैप नहीं हुआ था। लेकिन उनकी इसी शिकायत के बहाने पुलिस की अंदरूनी राजनीति सतह पर आ गई।सरयू राय ने सरकार बदलने के बाद यह भी आरोप लगाया था कि सचिवालय,सीआईडी व स्पेशल ब्रांच में महत्वपूर्ण फाइलें जलायी जा रहीं। उनके शिकायत के पर पुलिस के डीजी रैंक के एक अधिकारी जांच में सीआईडी मुख्यालय आए, वहां जाकर तक छुट्टी में चल रहे एडीजी के कमरे में भी जाकर जांच की गई, लेकिन स्पेशल ब्रांच या दूसरे विभागों में कोई तब जांच के लिए नहीं गया। जाहिर है यहां भी वहीं राजनीति- पुलिस के अंदरखाने वाली- काम कर रही थी।
टैपिंग पुलिस का बिल्कुल ही गोपनीय मामला है। लेकिन राजनीति के मामले में कभी टेप का लीक हो जाना और फिर पुलिस के विभागीय गोपनीयता के मामलों में जांच के बाद चीजों का यूं सार्वजनिक हो जाना बड़े सवाल करता है। टैपिंग की गोपनीयता का सिस्टम अब कम से कम हमारे यहां तो नहीं दिखता।
नोट- फोन टैपिग, सियायत और पुलिस जैसे किस्सों की इतिश्री इतने में ही नहीं होगी। यहां ये सिलसिला चलता जाना है। फोन की टैपिंग भी होगी और इन विषयों का राजनीतिक इस्तेमाल भी होता रहेगा। इकबाल किसी का कम होगा तो बस पुलिस होगी।

साभार:akhileshsingh.in