#jharkhand:कोरोना के कहर से कोल्हान में डेढ़ लाख से ज्यादा मजदूर जो आज के समय में पूरी तरह से बेरोजगार हैं और घर चलाने के लिए एक पैसा कही से नहीं आ रहा है..

जमशेदपुर।देश दुनिया में जिस तरह चीनी वायरस कोरोना ने कहर ढाया उससे देश और राज्य में बड़ा असर डाला है।कोरोना की सबसे ज्यादा मार ऐसे मजदूरों पर पड़ी है जो छोटे और मीडियम (मझोले) साइज की कंपनियों में काम करते हैं।बडी कंपनियों के स्थाई कर्मचारियों को छोड़ बाकि सब पर मार पड़ी है।एक आंकलन के अनुसार झारखण्ड के कोल्हान की 80 फीसदी कंपनियों में उत्पादन बंद है और मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।सर्वाधिक खराब स्थिति कॉन्ट्रैक्ट (ठेका) और डेली वेज मजदूरी (दिहाडी) पर काम करने वाले मजदूरों की है।जिन्हें पिछले तीन माह से कोई वेनत नहीं मिला है।आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र समेत जमशेदपुर स्थित अधिकतर कंपनियों के मजदूर बेरोजगार हैं।टाटा समूह की कंपनियों समेत दूसरी कंपनियों में काम करने वाले 50 साल से अधिक अस्थाई मजदूरों को कोरोना के दौर में नौकरी से छुट्टी दे दी गई है।कुछ ही कंपनियों में स्थाई कर्मचारियों को नियमित वेतन मिल रहा है।झारखण्ड सरकार की औद्योगिक इकाइयों की संस्था जियाडा, जिसको पहले आयडा कहा जाता था।उसने एक सर्वे किया है।झारखण्ड इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी (जियाडा) आदित्यपुर की ओर से कोरोना के पहले कोल्हाने समेत रज्य के सभी जिलों में रोजगार पर एक सर्वे किया गया था।इस सर्वे के अनुसार कोल्हान में लॉकडाउन के ठीक पहले 228420 मजदूर विभिन्न कंपनियों में काम कर रहे थे। इन मजदूरों में स्थाई कर्मचारियों के साथ कॉन्ट्रेक्ट और डेली वेज के मजदूर भी शामिल हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद डेढ़ लाख मजदूरों की नौकरी चली गई है। इन डेढ़ लाख कर्मचारियों में एक लाख 40 हजार कॉन्ट्रेक्चुअल (ठेका) और डेली वेजेज (दिहाड़ी) के मजदूर हैं जो आज के समय में पूरी तरह से बेरोजगार हैं और घर चलाने के लिए एक पैसा कही से नहीं आ रहा है. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों में 35 हजार के करीब स्थाई मजदूर हैं, जिनमें से एक चौथाई की नौकरी चली गई है. जो बचे हैं या तो उन्हें सैलरी नहीं मिल रही या बहुत कम मिल रही है।जियाडा आदित्यपुर के क्षेत्रीय उप निदेशक रंजना मिश्रा बताती हैं कि कोरोना का असर आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र पर काफी पड़ा है। क्षेत्र की 1397 औद्योगिक इकाइयों में केवल पांच सौ में ही कुछ काम हो रहा है. बाकी कंपनियां बंद पड़ी हैं. ऐसे में मजदूरों पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है।

एमएसएमइ के साथ ही जमशेदपुर की कई बड़ी कंपनियां भी इस मुश्किल दौर में आपने कॉन्ट्रैक्चुअल (ठेका) और अस्थाई कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रही है. यही नहीं स्थाई कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की गई है, जो मामला डीएलसी तक पहुचा है।पिछले दिनों टिमकेन प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों के केवल आधे वेतन का भी भुगतान किया था. बाद में यूनियन ने इसकी शिकायत डीएलसी से की थी।

सौजन्य:SB