आईपीएस अनुराग गुप्ता ने अखबारों में छपे आरोपों को किया खारिज, बताया बदनाम करने की साजिश

राँची। आज कुछ अखबार में एक खबर वरीय आईपीएस अधिकारी श्री अनुराग गुप्ता के बारे में एक खबर छ्पी है।अखबारों में खबर छपी है की विजिलेंस विभाग के पद पर नहीं रहते हुए भी एक बिजली कम्पनी का रिपोर्ट दे दी।अखबार पर छपी खबर जैसे ही आईपीएस श्री गुप्ता के पास पहुंची उन्होंने इसका जोरदार तरीके से खंडन किये हैं।उनका कहना है ये छपी खबर बिल्कुल बेबुनियाद और बदनाम करने वाली है।बिना तथ्यों के जाने कुछ लोग मेरी बदनामी कराना चाहते हैं।अखबार में खबर छापने से पहले किसी ने मुझसे इस सम्बंध में बात भी नहीं किये मेरी राय भी नहीं जानना चाहा की सच्चाई क्या है और ना ही जानकारी विभागीय द्वारा लिया गया। श्री अनुराग गुप्ता ने तबादले के डेढ़ साल बाद खुद को विद्युत बोर्ड का आईजी विजिलेंस बता कर रिपोर्ट देने के मामले में छपी खबर का अनुराग गुप्ता ने खंडन किया है और सभी प्रश्नों का उत्तर दिए हैं।

आज कुछ समाचार पत्रों में अनुराग गुप्ता ने तबादले के डेढ़ साल बाद खुद को विद्युत बोर्ड का आईजी विजिलेंस बता कर रिपोर्ट देने के मामले में छपी खबर का अनुराग गुप्ता ने खंडन किया है और सभी प्रश्नों का उत्तर दिए हैं।उन्होंने अखबार में छपी तीन प्रमुख तथ्यों का जिक्र करते हुए जबाब दिए हैं चौथे तथ्य जो उन्होंने रखे हैं कि शायद किसी शाजिस के तहत बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

–पहला सवाल है कि क्या मैं वर्ष 2015 में आईजी विजिलेंस बिजली बोर्ड के पद पर पदस्थापित था अथवा नहीं..

–दूसरा मेरे द्वारा किसी कंपनी को लाभ पहुंचाया गया अथवा नहीं..

–तीसरा मेरी ANVILकेबल से संबंधित रिपोर्ट क्या है ?

–चौथा इस प्रकार की भ्रामक खबरों को फैलाने के पीछे किन लोगों का हाथ है?

मैं एक-एक करके इन सभी प्रश्नों का उत्तर देना चाहूंगा

●जहां तक पहला प्रश्न है कि क्या मैं वर्ष 2015 में बिजली बोर्ड में आईजी विजिलेंस के पद पर कार्यरत था या नहीं के संबंध में बताना चाहूंगा कि मैं वर्ष 2009 से लेकर 2013 तक आईजी सीआईडी के पद पर था।वर्ष 2013 से वर्ष 2015 तक आईजी प्रोविजन के पद पर था और वर्ष 2015 में मेरी प्रति जब एडीजी के रूप में हुई।तब मैंने विशेष शाखा में योगदान दिया था।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में सरकार के द्वारा एक अलग नोटिफिकेशन निकाल कर के मुझे बिजली बोर्ड में आईजी विजिलेंस के पद पर स्थापित किया गया था।और मैं इस पद पर वर्ष 2015 तक बना रहा था।इस बीच में मेरे अतिरिक्त किसी भी अन्य व्यक्ति क्या पदस्थापन इस पद पर नहीं किया गया था।और वर्ष 2015 तक बिजली बोर्ड में कई सीएमडीआई और साथ-साथ बिजली विभाग में कई सचिव या प्रधान सचिव के साथ मैंने काम किया और वर्ष 2015 तक इन सभी के द्वारा नियमित रूप से विजिलेंस के संबंधित मामलों में ना केवल मेरे से पत्राचार किया।बल्कि मुझे इस संबंध में संचिका यदि भेजी गई जिन पर मैंने नियमित रूप से काम किया। वर्ष 2015 में सरकार के द्वारा इस पद पर श्री वी एच देशमुख तत्कालीन एडीजी को पदस्थापित किया था अतः मैंने इन्हें प्रभार सौंप दिया था।इस प्रकार यह कहना कि मैं आईजी विजिलेंस पद के से हटने के बाद काम करता रहा हूं सरासर गलत है।

●अब आता है दूसरा सवाल की मेरे द्वारा क्या किसी कंपनी को लाभ पहुंचाया गया था नहीं।
इस संबंध में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने अपने लगभग विजिलेंस में 4 साल के कार्यकाल में किसी भी निजी कंपनी को किसी प्रकार का लाभ नहीं पहुंचाया है।उल्टा मेरे द्वारा दर्जनों ऐसे मामले का उजागर किया गया जिस पर आज भी कार्यवाही हो रही है।उदाहरण के लिए एक मामला था बिजली बोर्ड में नियुक्ति का जिसमें बोर्ड के कुछ अधिकारियों के द्वारा ऐसे व्यक्तियों को नौकरी दी गई जिनके 100 में से चार या पांच नंबर थे तब भी मैंने अंकित किया था कि बिजली बोर्ड ही ऐसा एक बोर्ड है जहां पर 4% या 5% नंबर पाने वाले व्यक्तियों को नौकरी मिलती है और इस नियुक्ति के द्वारा चपरासियों को एकाउंट्स ऑफिसर बना दिया गया था।इस नियुक्ति में सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति रोस्टर का भी पालन नहीं किया गया।उल्टा जो परसेंटेज अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए रिजर्व थी उसे अन्य गैर आरक्षित कोटी के उम्मीदवारों को दे दिया गया,जो कि एक कानूनन जुर्म भी है।

ठीक इसी प्रकार मेरे द्वारा अन्य कई मामले जैसे मीटर बॉक्स की खरीद, Anvil केबल में हेरा फेरी एवं कुछ निजी कंपनियों के द्वारा फर्जी बैंक गांरन्टी इत्यादि देना उजागर किया गया था।मेरे द्वारा बिजली बोर्ड की कुछ अधिकारियों के द्वारा प्राइवेट कंपनियों से मिलकर अधिक भुगतान के मामले को भी उजागर किया गया था एवं इस संबंध में मेरे निर्देश पर जमशेदपुर जिला में बिष्टुपुर थाना में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।

●तीसरा सवाल है Anvil केबल के संबंध में मेरी रिपोर्ट
Anvil केबल के संबंध में रिपोर्ट चुकी एक विजिलेंस रिपोर्ट थी।अतः मैं इसे सार्वजनिक नहीं कर सकता हूं,परंतु मैंने एक विस्तृत रिपोर्ट सबमिट की थी जिसमें मैंने इस बंदरबांट और घोटाले के सभी पहलुओं को एक्सपोज किया था।मुझे जानकारी मिल रही है कि संभवत इस रिपोर्ट पर अब दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई निकट भविष्य में होने जा रही है और संभवत यही कारण है कि यह दोषी अधिकारी अपने आप को बचाने के लिए इस प्रकार के झूठे दावे यह प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
मैं यहां ये भी बताना चाहूंगा कि बिजली बोर्ड के इन भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा इस प्रकार का एक प्रयास वर्ष 2016 में भी किया गया था और मेरे विरुद्ध।एक छंद नाम आवेदन दिया गया था, जिसमें ठीक यही आरोप लगाए गए थे।जो कि वर्तमान खबर में है मैंने वर्ष 2016 में भी लगाए गए इन सभी आरोपों के संबंध में वास्तविक स्थिति को तत्कालीन पुलिस महानिदेशक झारखंड के माध्यम से राज्य सरकार को अवगत कराया था।
–Anurag Gupta , IPS