राजधानी राँची में एक रील का फ़िल्म बना,”लगा पोस्टर हटा पोस्टर”आगे कौन फ़िल्म आएगा बस इंतजार कीजिये…

राँची।झारखण्ड की राजधानी राँची में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के बाद पुलिस प्रशासन जिस तरीके से कदम उठा रहा है उससे उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं।राँची में हिंसा को लेकर राज्यपाल ने 13 जून को राज्य के सभी आला अधिकारियों को राजभवन बुलाया था।जिसमें डीजीपी,एडीजी,राँची के उपायुक्त, एसएसपी तक को निर्देश दिया गया था कि जो भी उपद्रव में शामिल हैं उनका पोस्टर लगाया जाए और लोगों से जानकारी भी मांगी जाए।राज्यपाल के निर्देश के बाद पुलिस तुरंत एक्शन में आई और 14 जून यानी आज मंगलवार को राँची में सभी चौक चौराहों पर उपद्रवियों के पोस्टर लगा दिए गए। राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश के बाद पोस्टर लगा तो दिए गए। लेकिन उसके कुछ ही मिनटों के बाद पोस्टर उतार भी लिया गया,और राँची पुलिस की ओर यह कह दिया गया कि पोस्टर में त्रुटि रह गई है उसे सुधारा जाएगा।अब इसको लेकर हर जगह सवाल भी उठ रहे हैं।पोस्टर लगाया गया फिर पोस्टर उतारा गया। हो सकता है फिर पोस्टर लगाया जाए।पुलिस की कार्यप्रणाली में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है,जब पुलिस राजनीति की भाषा बोल रही है क्योंकि राज्यपाल ने कहा पोस्टर लगा दो तो पोस्टर लगा दिया गया। सरकार से निर्देश आया होगा कि पोस्टर उतार दो तो पोस्टर उतार दिया गया।


वहीं पुलिस अपनी फजीहत बचाने के लिए कह रही है कि सुधार करके फिर पोस्टर हटाए जा रहे हैं। लेकिन यह त्रुटी हुई कहां और इस त्रुटि को सुधरेगा कौन यह तो पुलिस वाले ही जानें, लेकिन पोस्टर छपाई के पैसे भी राँची वालों के टैक्स से ही बर्बाद हुआ है यह तो साफ है बाकी जांच तो चल ही रही है।

इधर सोशल मीडिया में जोरों से चर्चा हो रही है।जब पोस्टर हटाना ही था तो पोस्टर लगाया क्यों।