काश ! बच्चे पहले चले गए होते….. 3 बच्चों को बचाने के लिये 10 माताओं ने जान गंवा दी,अगलगी के बाद का दिल दहलाने वाला मंजर..विचलित करने वाला दृश्य…

राँची।धनबाद का आशीर्वाद अपार्टमेंट सुबोध लाल के परिवार के लिए अभिशाप बन गया। परिवार के चौदह लोग आग की लपटों में समा गये।पांच लोग आईसीयू में भर्ती हैं, वे भी सुबोध लाल के ही सगे-संबंधी हैं।यह बात बिल्कुल सही है कि सुबोध लाल की बेटी पूजा उर्फ स्वाति की 31 जनवरी को शादी थी।खुशी का माहौल था। सुबोध लाल के ससुराल पक्ष के तमाम लोग आशीर्वाद अपार्टमेंट के फोर्थ फ्लोर स्थित उनके फ्लैट पर थे। सुबोध लाल ने पांचवे माले के एक फ्लैट को रिश्तेदारों के ठहरने के लिए अपने पास रखा था।क्योंकि इस फ्लैट को उन्होंने इस शर्त पर बेचा था कि बेटी की शादी के बाद ही चाभी दी जाएगी।परिवार के ज्यादातर पुरूष शादी वाले जगह पर यानी सिद्धि विनायक होटल में पहुंच चुके थे।गिरिडीह के सौरभ बारात लेकर होटल में जमे हुए थे। सुबोध लाल की बेटी स्वाति सज-धज रही थी।बस महिलाओं का इंतजार हो रहा था।लड़का पक्ष वाले बारात निकालने की तैयारी कर रहे थे।

इधर, सुबोध लाल की पत्नी माला देवी और उनके पिता विजय लाल सभी महिलाओं और बच्चों को लेकर होटल निकलने की तैयारी कर रहे थे।इसी दौरान सेकेंड फ्लोर पर पंकज अग्रवाल के घर आग लग गयी।बताया जाता है कि एक बच्ची के हाथ से दीया गिरने के कारण कारपेट और पर्दे में आग लगी जो बेकाबू होने लगी। आग फैलते ही पंकज अग्रवाल अपने परिवार को लेकर चिल्लाते हुए बाहर भागे।लेकिन जब तक फायर ब्रिगेड की टीम पहुंचती, तबतक आग तीसरे फ्लोर को चपेट में ले चुकी थी। सुबोध लाल

बच्चों की चंचलता बन गयी अपनों की चिता

आशीर्वाद टावर के सेक्रेट्री श्रवण सिंह के मुताबिक लाल परिवार के तीन बच्चे शादी की खुशी में दौड़ते हुए सीढ़ी से नीचे उतर रहे थे। चौथे तल्ले से उतरते वक्त उन्हें थोड़ा भी अंदेशा नहीं था कि नीचे के फ्लोर में आग लगी हुई है। बच्चों के पीछे-पीछे घर की तमाम महिलाएं और सुबोध लाल के पिता भी सीढ़ियों से उतर रहे थे। इसी बीच तीनों बच्चे आग की चपेट में आ गये। कोहराम मच गया। महिलाएं बच्चों को बचाने के लिए दौड़ पड़ी।लेकिन दुर्भाग्यवश दस महिलाएं आग की चपेट में समाती चली गईं।तीन बच्चों को बचाने के चक्कर में सुबोध लाल के बुजुर्ग पिता भी आग के बवंडर में फंस गये।कुछ लोग ऊपर की मंजिल की तरफ भागे।उन्हीं में से पांच लोग आईसीयू में भर्ती हैं।मामूली रूप से झुलसे 13 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है।

अगलगी के बाद का दिल दहलाने वाला मंजर

आग बुझाने के बाद जब लोग अपार्टमेंट में घुसे तो वहां का मंजर दिल दहलाने जैसा था।बच्चों और महिलाओं की झुलस चुकी लाशें एक दूसरे में उलझी हुई थीं। आशीर्वाद टावर के सेक्रेट्री ने भारी मन से कहा कि काश ! बच्चे पहले होटल चले गये होते तो शायद इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।

पाटलिपुत्र नर्सिंग होम बना मसीहा

घंटों मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। इस दौरान आस पास के लोगों ने अपने स्तर दो दर्जन से ज्यादा लोगों को अपार्टमेंट से बाहर निकाला। अपार्टमेंट के बगल में मौजूद पाटलिपुत्र नर्सिंग होम का फायर फाइटिंग सिस्टम सबसे ज्यादा मददगार साबित हुआ।स्थानीय लोग अपने स्तर से पानी की बौछार करते रहे। इस बीच फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी पहुंच गईं। आग में झुलसने और धुआं की वजह से दम घुटने से बीमार हुए लोगों को तत्काल पाटलिपुत्र नर्सिंग होम में शुरूआती इलाज मिल गया, जिसकी वजह से कई लोगों की जान बच गई।

कब तय होगी जवाबदेही और जिम्मेदारी

फिलहाल जिला प्रशासन की तरफ से पूरे घटनाक्रम की जांच चल रही है।झारखण्ड हाईकोर्ट ने भी स्वत:संज्ञान लिया है। 2 फरवरी को कोर्ट में सरकार को जवाब देना है। सूबे के स्वास्थ्य सह आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता धनबाद चले गये हैं।लेकिन सवाल है कि 27 जनवरी की देर रात हाजरा क्लीनिक में आग लगने की वजह से डॉ दंपती समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के चंद दिन के भीतर आग ने उसी शहर के आशीर्वाद टावर को चपेट में ले लिया। प्रत्यदर्शियों ने बताया कि अगर स्थानीय लोगों ने बचाव कार्य नहीं किया होता तो न जाने कितने लोगों की जान चली जाती।अब सवाल है कि क्या यह सिर्फ दुर्घटना भर है या किसी की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।