Jharkhand:कैसे एक साधारण आदमी से मोस्टवांटेड सुप्रीमो बन गया दिनेश गोप,पूरा परिवार जेल में अब सुप्रीमो पुलिस के रडार पर,दिनेश गोप का exclusive फोटो..

झारखण्ड पुलिस को हाथ लगी है पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की नई तस्वीर

राँची।झारखण्ड के एक ऐसे साधारण व्यक्ति जो कभी सामाजिक दायित्व निभाने के लिए आगे आये थे।उसके साथ क्या ऐसा हो गया जो दर्जनों लोगों की हत्या का आरोपी बन गया।पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया।कहें तो मोस्टवांडेट सुप्रीमो बन बैठा है।जिसे बिहार ,झारखण्ड के कई जिलों की पुलिस ढूंढने में लगी है।उस मोस्टवांडेट दिनेश गोप की नई फ़ोटो पुलिस को हाथ लगी है।पुलिस के पास दिनेश गोप के फ़ोटो मिलने से माना जा रहा है जल्द पुलिस दिनेश गोप तक पुलिस पहुँच सकती है।

आईये जानते हैं आखिर इस खूंखार की हकीकत क्या है।

बताया जा रहा है कि,वर्ष 2003,महीना जनवरी-फरवरी स्थान खूंटी जिले का एक छोटा सा जंगल गरइ,जिसमें आधा दर्जन लोगों की बैठक कर एक हथियारबंद संगठन की रूपरेखा तय की जाती है।तय किया जाता सरकार के खिलाफ बड़े विद्रोह जो अहिंसा नहीं हिंसा और हथियार के बल पर दीर्घकालीन की जाएगी। इसके बाद शुरू होता है सफर (जेएलटी )झारखण्ड लिबरेशन टाइगर नामक संगठन तैयार करता है। जिले स्तर पर संगठन की तैयारी होती हैं जिसमें 4 डबल बैरल बंदूक और कुछ सेमी ऑटोमेटिक राइफल के साथ संगठन तैयार किया जाता है।बताया जाता है कि उस समय इलाके में माओवादियों और साहू गिरोह का वर्चस्व था।उसके बाद शुरू होता है खूनी खेल एक के बाद एक लगातार शासक राजपूत ,जमींदार और माओवादि समर्थक सदस्यों की हत्या के साथ,खूनी खेल शुरू होता है।सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक अवस्था में इस संगठन को राज्य पुलिस एवं केंद्रीय खुफिया एजेंसी का भी संरक्षण प्राप्त था,संगठन दिनों दिन बढ़ता जा रहा था आए उसका कर्ता धर्ता दिनेश गोप का खौफ पूरे इलाके में व्याप्त हो गया था।लोगों को लगा कि माओवादियों और दबंगों से निजात ये संगठन दिलवा सकता है।लोग विचारधारा से प्रभावित और बहुत सारे डर से उसके साथ जुड़ते चले गए।मात्र 1 वर्षों में ही दिनेश ने अपना संगठन जिला से ऊपर उठकर राज्य के कई हिस्सों में फैला दिया उसके नेटवर्क में सूत्रों की माने तो पुलिस अफसर से लेकर राजनेता तक आ गए।

लोगों को जोड़ने के लिए सामाजिक काम,जैसे स्कूल,मंदिर सब बनवाना

बताया जा रहा है देखते ही देखते दिनेश गोप का वर्चस्व कायम होने लगा और उसने क्षेत्र एवं राज्य में लोगों को अपनी ओर जोड़ने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीका अपनाते हुए निशुल्क स्कूल खोला साथ ही गरीब बच्चियों का शादी विवाह कराना,लड़ाई झगड़ा का फैसला करना,राजनीतिक फायदा दिलवाना उसकी दैनिकी में शामिल हो गया।

जेएलटी से पीएलएफआई संगठन बनाया

बताया जाता है कि धीरे धीरे संगठन का प्रभाव बढ़ता हुआ देख दिनेश गोप के दिमाग में राष्ट्रीय स्तर मे अपना सोच एवं काम को दिखाने का ख्याल आया और इसी के साथ 2006 में जेएलटी का नाम बदलकर (पीएलएफआई )पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया कर दिया और अन्य राज्यों में अपने संगठन का विस्तार शुरू कर दिया।इसी दौरान संगठन की राजधानी के रूप में विद्या विहार पब्लिक स्कूल गरइ के आसपास का क्षेत्र हो गया।इनके सम्पर्क में कई बड़े राजनेता और संवेदक उसके पास आने लगे।फिर दिनेश गोप का खोफ इस कदर छाने लगा कि लोग इस दुर्दांत उग्रवादी के खिलाफ कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हो पा रहा है। फाइल फोटो

ज्वाइन करने का लेटर आया मगर फौजी नहीं बन पाया दिनेश:

जानकारों की मानें, तो दिनेश गोप आर्मी भर्ती के लिए चुना गया था. सेना की ओर से ज्वाइन करने के लिए उसे लेकर भी भेजा गया था, लेकिन गांव के दबंगों ने इस पत्र को कभी उसके घर पहुंचने ही नहीं दिया. जब इसकी जानकारी दिनेश गोप के भाई सुरेश गोप को हुई, तो उसने इसका विरोध किया और दबंगों के खिलाफ बगावत करनी शुरू की. सुरेश गोप का संबंध नक्सलियों से भी होने की बात भी कई लोग बताते हैं. इसी बीच वर्ष 2000 में पुलिस की गोली से सुरेश गोप की मौत गई और दिनेश गोप ओडिशा भाग गया. कुछ दिन बाद वह फिर इलाके में लौटा. उसका नाम और काम दोनों बदल चुके थे. अब वह गांव का दिनेश नहीं बल्कि एक ऐसे गिरोह का सरगना था, जिनके हाथों में बंदूकें थीं और जो गरीब-गुरबों के हक की बात करता था।

विदेशी तस्कर के सम्पर्क में आया

सूत्रों की माने तो 2006 वर्ष में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का संपर्क विदेशी तस्करों से हुआ।विदेशी हथियार तस्करो से उसे मिलने लगी अत्याधुनिक AK-56 ,एलएमजी और M16 जैसे असाल्ट राइफल प्राप्त करने लगा।जिसका खुलासा तब हुई जब कुछ पीएलएफआई उग्रवादी गिरफ्तार हुआ था।वर्ष फरवरी 2010 का समय था जब दिनेश गोप ने अपने संगठन के टॉप कमांडरों के साथ एक मीटिंग बुलाया और प्रशिक्षण कैंप मेरोमबीर (खूंटी-सिमडेगा-गुमला का बॉर्डर) के जंगलों में लगाया। उस वक्त अपने संगठन का एकीकृत रूप देखने का उसको शौक था।फरवरी माह में लगभग 20 से 25 दिन लगभग 350से 400 की संख्या में उग्रवादियों का कैंप चलता रहा और प्रशासन को पता भी नहीं चला ,12 फरवरी को पूरे राज्य स्तर में तब पता चला जब एक पत्रकार के द्वारा पूरे प्रशिक्षण कैंप का विस्तृत रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग सार्वजनिक की गई। फाइल फ़ोटो

सरेंडर करने की हामी भरी लेकिन नहीं किया

बताया गया था “अनाज के नाम पर वोट की राजनीति” झारखण्ड की असलियत हेडिंग के साथ ट्रेनिंग कैंप में उग्रवादी खुलेआम अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन करते और प्रशिक्षण लेते हुए दिख रहे थे।जब एक पत्रकार उस इलाके में रिपोर्टिंग करने गए थे।तो उनकी मुलाकात दिनेश गोप से हुई थी।इसी समय पत्रकार के कहने पर दिनेश गोप अपनी कुछ मांगों के साथ पूरी संगठन के कमांडर एवं लड़ाको साथ सरेंडर करने के लिए राजी हो रहा था।बताया गया कि सरकार के साथ बातचीत का दौर चलता है जो आगे जाकर नाकाम हो जाता है।बताया जा रहा है साल 2010 के बाद यह संगठन का खूनी खेल परवान चढ़ चुका था प्रतिदिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों पर हत्याएं हो रही थी जो अभी तक अनवरत जारी है। फाइल फोटो

राजनीति पकड़ के चलते बचते जा रहा है

सूत्रों के माने तो दिनेश गोप ने राजनीति में पकड़ बनाने के लिए विधानसभा क्षेत्र में यह संगठन के द्वारा अपने लोगों को खड़ा कर विधायक भी बनाया गया।अब तक गोप का संपर्क दिल्ली में बैठे कई बड़े राजनेताओं से हो गया था।बैठे बैठे टिकट दिलवाना और राजनेताओं को विधायक बनाना इसका पेशा में शामिल हो गया।कई सरकारें आई, उतार चढ़ाव होते रहे कई बार कई राजनेता भी इसके टारगेट में रहे, कई मारे भी गए तो कुछ उसके पास मध्यस्था करके सुलह कर लिया।सबसे मजेदार बात तो यह है कि इसके पूरे संगठन का फोटो और वीडियो राज्य पुलिस को मिल गया।परन्तु पीएलएफआई सुप्रीमो का फोटो किसी के पास नहीं था। सूत्र बताते हैं यह बीच-बीच में कई राजनेताओं के आवास पर भी जाया करता था।इसका आर्थिक स्रोत तब तक ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे माइंस और विकास योजनाओं तक ही सिमटा हुआ था।सूत्र बताते हैं कि कुछ वर्षों से यह राजधानी में दस्तक दिया था।राजधानी में पैर जमाने की कोशिश में लगे रहे।लेकिन कामयाब नहीं हो पाया है।

कई सुरक्षा एजेंसियां के रडार पर है

बताया जा रहा है कि दिनेश गोप का आतंक राज्य में इतना बढ़ गया की इसके मामलों को देखने के लिए एनआईए को लगाया गया। तब जाकर इसके परिवारिक सदस्य और लेवी का पैसा जमा करने वाले लोग गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है।बताया जा रहा की जबसे एनआईए ने कार्रवाई की है तबसे इसका कमर टूट गया है।कार्रवाई जारी है।

व्हाट्सएप और टेलिग्राम से धमकी देता है और रंगदारी मांगता है

राजधानी के व्यवसायियों को पागलों की तरह व्हाट्सएप कॉल पर पत्र भेजकर धमकी दे रहा है पुलिस सूत्रों के अनुसार राजधानी पुलिस इसके सभी नेटवर्क पर पैनी नजर जमाए हुए। सूचनाएं एकत्र कर ली गई है।अब कार्रवाई होनी बाकी है ।कुछ समय पूर्व पुलिस का दबाव इतना बढ़ा कई इसके शीर्ष कमांडर मारे जाने लगे और वह स्वयं कई बार बाल-बाल बचा है।बताया गया कि सरेंडर के लिए बात कर लिया फिर डर से पीछे हट गया था।

इधर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया बहुत जल्द जीदन गुड़िया पुनइ उराव और सनीचर सूरीन की तरह इसे भी मार गिराया जाएगा,अन्यथा सरेंडर करें।

रिपोर्ट-सूत्र,स्वतंत्र पत्रकार,नेशनल ब्यूरो पत्रकार जिन्होंने ने 2010 में रिपोर्टिंग की थी