छठ महापर्व 2021:सभी को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं,अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अ‌र्घ्य आज अर्पित किया जाएगा..

राँची।आज छठ महापर्व के तीसरे दिन बुधवार 10 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।इसके अगले दिन यानि गुरुवार 11 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व का समापन हो जाएगा।दोनों ही दिनों में सूर्यदेव की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है।बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा। महापर्व छठ को लेकर राजधानी राँची समेत अन्य जगहों में उत्साह का माहौल है। छठ मइया के गीतों से पूरा क्षेत्र गूंजायमान हो उठा है। इस महापर्व को लेकर व्रतियों व श्रद्धालुओं में उत्साह देखा जा रहा है। मंगलवार को छठव्रतियों ने खरना की पूजा की। देर शाम लोगों ने एक-दूसरे के घर जाकर खरना का महाप्रसाद ग्रहण किया।सभी घाटों पर कमेटी व स्थानीय प्रशासन ने व्रतियों व श्रद्धालुओं की सुविधा के अनुसार तैयारी पूरी कर ली है।

बताया जाता है कि सूर्य पंचदेवों में से एक हैं और रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देने से धर्म लाभ के साथ ही सेहत को भी लाभ मिलते है।ज्योतिष के अनुसार छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव के 12 नामों का जाप किया जाए, तो ​सूर्य देव की तरह ही जातकों की किस्मत भी चमक उठेगी।

छठ पर किस वक्त दिया जाएगा पहला अर्घ्य?

मंगलवास 10 नवंबर को सूर्योदय सुबह 6 बजकर 3 मिनट पर होगा।जबकि, सूर्यास्त शाम 5 बजकर 3 मिनट पर होगा. सूर्यास्त होते ही व्रती लोग सूर्य को अर्घ्य देना शुरू करेंगे।

सूर्य देव के इन 12 नामों का करें जाप, जानें हर नाम का अर्थ

सूर्य: ग्रहों के राजा सूर्य हर कष्ट का निदान करते हैं. सूर्य देव का नाम का जाप करने से लाभ मिलता है. वैसे सूर्य का अर्थ है भ्रमण करने वाला.

रवि: मान्यता है कि ब्रह्मांड की शुरुआत रविवार से ही हुई थी. वहीं ज्योतिष में रविवार का कारक ग्रह सूर्य को माना जाता है. इस वजह सूर्य का एक नाम रवि है.

आदित्य: सूर्य अदिति और कश्यप ऋषि की संतान माने गए हैं. सूर्य का एक नाम आदित्य उनकी माता के नाम पर रखा गया है, जिसका अर्थ है कि जिस पर किसी बुराई का असर न हो.

दिनकर: वैसे तो इस नाम के भाव से ही अर्थ समझ आता है. इस नाम का अर्थ है दिन करने वाला. सूर्य उदय के साथ ही दिन की शुरुआत हो जाती है, इसलिए सूर्य को दिनकर भी कहते हैं.

रश्मिमते: रश्मि का अर्थ है किरणें और मते कहते हैं पुंज को. इस तरह इस नाम का अर्थ है हजारों किरणों का पुंज.

सप्तरथी: सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार रहते हैं. इस वजह से इन्हें सप्त रथी कहा जाता है.

सविता: सूर्य से प्रकाश उत्पन्न होता है और सविता का अर्थ है उत्पन्न करने वाला.

भुवनेश्वर: धरती पर राज करने वाला यानि भुवनेश्वर. सूर्य देव हरी पूरी पृथ्वी का संचालन करते हैं, इसलिए इन्हें धरती का राजा कहा जाता है.

भानु: भानु का अर्थ होता है तेज, सूर्य का तेज यानी प्रकाश सभी के लिए एक समान रहता है, इस वजह से सूर्य को भानु भी कहते हैं.

दिवाकर: रात को समाप्त कर दिन की शुरुआत करने वाला यानि दिवाकर. इसलिए सूर्य देव को दिवाकर भी कहा जाता है.

आदिदेव: ये पूरा ब्रह्मांड सूर्य की वजह से ही है. इस कारण सूर्य को पृथ्वी का आदिदेव कहा जाता है.

प्रभाकर: सुबह को प्रभा भी कहते हैं. प्रभाकर यानी सुबह करने वाला.

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