सावधान ! साइबर अपराधी अब अंगूठे के निशान का क्लोन बना खाते से उड़ा ले रहे पैसे,राँची के एक व्यक्ति के खाते से उड़ाए पैसे,हरियाणा पुलिस ऐसे मामले का खुलासा कर चुका है

●साइबर अपराधी अब अंगूठे के निशान का क्लोन बनाकर ठगी कर रहे
●जमीन रजिस्ट्री करानेवालों के खातों से हुई निकासी
●जमीन रजिस्ट्री करानेवालों के खातों से हुई निकासी,पूरे देश में फैला हुआ ऐसे गिरोह
●हरियाणा पुलिस ने ऐसे मामले का खुलासा कर चुका है
●कैसे देता था घटना को अंजाम
●230 रबर फिंगर प्रिंट बरामद होने के साथ,3 करोड़ रुपये तक की धोखाधड़ी को रोका जा सका
●गिरोह ने कैसे ठगी को अंजाम देता है
●बॉयोमीट्रिक सिस्टम लॉक कर बचा जा सकता है ठगी से

राँची।साइबर अपराधी हर दिन ठगी का नये-नये तरीके अपना रहे हैं।अब जालसाज अंगूठे का क्लोन बना कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) से ठगी कर रहे हैं।इस संबंध में साइबर मामलों के अधिकारी ने बताया कि साइबर अपराधी मुख्य रूप से रजिस्ट्री ऑफिस से अंगूठे का निशान लेकर उसका क्लोन बनाकर संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से एआइपीएस के जरिये निकासी कर लेते हैं। राँची के एक व्यक्ति के खाते से राजस्थान से पैसे निकाल लिये गये। पुलिस के कहना है कि चूंकि इस प्रकार का साइबर अपराधी अभी पकड़ा नहीं गया है, इस कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह कैसे राशि की निकासी करते हैं।अरगोड़ा व जगन्नाथपुर में भी ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं।राँची के एक व्यक्ति के खाते से दो लाख से अधिक की राशि निकाल ली गयी।एआइपीएस के माध्यम से एक बार में 10,000 रुपये निकाला जा सकता है। कई बार में संबंधित व्यक्ति के 2,00,000 से अधिक रुपये निकाले गये।यहाँ बता दें कि हरियाणा पुलिस ने ऐसे गिरोह का खुलासा कर चुका है किस तरह पैसा निकालने का काम इस तरह के साइबर ठग करते हैं।

जमीन रजिस्ट्री करानेवालों के खातों से हुई निकासी

मुख्य रूप से राँची के रजिस्ट्री ऑफिस से ही अंगूठे की निशान की चोरी होती है। एसपी स्तर के अधिकारी ने राँची सहित विभिन्न जिलों के रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मियाें की मिलीभगत होने की बात कही। उसके बाद रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मियों पर अंकुश लगाया गया है।

इस तरह के गिरोह का सिंडिकेट पूरे देश में फैला हुआ,हरियाणा पुलिस ने ऐसे मामले का खुलासा कर चुका है

बता दें इस तरह ठगी के मामले को हरियाणा पुलिस ने जून 2021 में खुलासा किया था।हरियाणा पुलिस ने फिंगर क्लोनिंग करने वाले साइबर अपराधियों का पर्दाफाश किया था। पुलिस ने उस उक्त पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक महिला भी शामिल थी।ये साइबर अपराधी सात दिन के अंतराल में 31 लाख रुपये की ठगी कर लिया था।

कैसे देता था घटना को अंजाम

हरियाणा पुलिस के एसपी दीपक गहलावत ने उस समय बताया था कि गिरोह ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) को डिकोड करके ऑनलाइन धोखाधड़ी की और बिना किसी निशान के पैसे निकाल लिए। यह खुलासा करते हुए कि 24 मई से 2 जून 2021 के बीच धोखे से पैसे निकाले गए थे, उन्होंने कहा कि यह गिरोह और भी कई ठगी कर सकता था, अगर इसे समय पर नहीं पकड़ा जाता। हालांकि कोई नकदी बरामद नहीं हुई थी। लेकिन पुलिस ने 10 लाख रुपये की एकमुश्त राशि वाले खाते को फ्रीज कर दिया था।एसपी गहलावत के मुताबिक गिरोह के रोहित त्यागी (33), चितरंजन (28), आमिर हुसैन (27), किरण (28) और तुला राम (40) को गिरफ्तार किया था।

सबूत मिले और गिरोह ने कैसे ठगी को अंजाम दिया

बताया था कि आरोपी ने रिकॉर्ड रूम से भूमि पंजीकरण विलेख की प्रतियां प्राप्त कीं, जिन्होंने एक मशीन की मदद से दस्तावेज़ पर फिंगर प्रिंट का एक रबर क्लोन तैयार किया और संबंधित बैंक खातों से जुड़े आधार नंबरों को शॉर्टलिस्ट किया।बताया था कि एईपीएस के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म की आवश्यकता होती है, दस्तावेजों को जमा करके खाते ऑनलाइन बनाए गए थे। जालसाजों ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म के ऐप का इस्तेमाल किया और बायोमेट्रिक डिवाइस और क्लोन किए गए रबर फिंगर प्रिंट का उपयोग करके लेनदेन शुरू किया।जैसे ही लेन-देन पूरा हुआ, पैसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के वॉलेट में चला गया, फिर इसे उस बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसे उन्होंने सौंपा था। Payworld और Fingpay जैसे ऐप्स की मदद से इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म का अच्छा इस्तेमाल किया जाता है।

3 करोड़ ठगी होने से बचा था

230 रबर फिंगर प्रिंट बरामद होने के साथ उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी से 3 करोड़ रुपये तक की धोखाधड़ी को रोका जा सका है। AEPS मोड के तहत ग्राहक को लेन-देन करने के लिए केवल IIN (ग्राहक के बैंक की पहचान), आधार संख्या और फिंगरप्रिंट की आवश्यकता होती है, जिसने अपराधियों को तकनीक के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया, जिस तरह से वे चाहते थे।

बॉयोमीट्रिक सिस्टम लॉक कर बचा जा सकता है ठगी से

राँची डिस्ट्रिक्ट के साइबर सेल के डीएसपी यशोधरा ने बताया कि इस तरह की ठगी से बचने का एक आसान उपाय है। Google Play Store से आप ‘एम रनिंग’ डाउनलोड कर सकते हैं। ‘एम आधार’ डाउनलोड करने के बाद आधार कार्ड नंबर डालने पर आपके मोबाइल पर ओटीपी आता है। उसे डाल कर आप बायोमीट्रिक सिस्टम को लॉक कर दें। बाद में जब भी जरूरत पड़े, तो उसी ऐप के जरिए बायोमीट्रिक सिस्टम को अनलॉक करें और अपना काम करें ऐसा कर के आप इस तरह की बचत कर सकते हैं।