सिमडेगा:आरानी पंचायत के मुखिया शांति टेटे का जंगल में मिला शव,जहर खाकर की आत्महत्या,घटना स्थल से जहर की शीशी बरामद

सिमडेगा।झारखण्ड के सिमडेगा जिले के सदर थाना क्षेत्र के आरानी पंचायत की मुखिया शांति टेटे ने गुरुवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली।मुखिया का शव जंगल से बरामद किया गया।बताया गया कि सूचना पुलिस को दी गई की एक महिला का शव जंगल मे पड़ा है।जिसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु सदर अस्पताल सिमडेगा भेजा।वहीं पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है।पुलिस ने बेटे के फर्द बयान पर यूडी केस दर्ज किया है।हालांकि मामले जाँच की जा रही ह।इस सम्बंध में थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर दयानन्द कुमार ने बताया कि आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि प्रथम दृष्टया जहर खाकर आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है।पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद विस्तृत जानकारी मिल पाएगी, फिलहाल अनुसंधान जारी है।

सिमडेगा थाना में था मामला दर्ज जा चुकी है जेल

इधर बताया गया कि मुखिया शांति टेटे के खिलाफ सिमडेगा थाना में पूर्व में गबन के आरोप में मामला दर्ज था। इस मामले में बताया जाता है कि 17 फरवरी 2017 को सदर बीडीओ तत्कालीन बंधन लौंग, वेंडर प्रवीण तिर्की, पंचायत सचिव बालकृष्ण राम और मुखिया शांति टेटे के खिलाफ सरकारी राशि दो लाख 78 हजार छह सौ रु गबन करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी थी।इसके आलोक में पुलिस ने कांड संख्या 13/17 के तहत मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी थी। जांचोपरांत पुलिस ने उक्त कांड के एक आरोपी मुखिया को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।पुलिस के अनुसार मुखिया शांति टेटे ने अपने अधिनस्थ कर्मचारियों और संवेदक के साथ मिलीभगत कर मुर्गी पालन फॉर्म निर्माण के नाम पर उक्त राशि का गबन कर लिया था। जेल भेजने के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मधुरेश कुमार वर्मा की अदालत ने सरकारी राशि गबन के अभियुक्त रही अरानी पंचायत की मुखिया शांति टेटे सहित पंचायत सचिव बालकृष्ण राम ,वेंडर प्रवीण तिर्की को चार-चार साल के कारावास सजा सुनाई थी। इधर इस मामले में सुनवाई के दौरान मुखिया ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट की निचली अदालत ने 6 माह के अंदर मामले की सुनवाई पूरी कर लेने का आदेश देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामले की सुनवाई करते हुए सीजीएम मधुरेश कुमार वर्मा की अदालत ने मुखिया एवं पंचायत सचिव तथा वेंडर को सरकारी राशि गबन में दोषी पाते हुए चार चार साल का सजा एवं ₹10000 की जुर्माना सुनाई थी साथ ही गबन किए गए राशि के विरुद्ध सभी अभियुक्तों को एक ₹100000 की क्षतिपूर्ति राशि जमा करने का निर्देश दिया था।
रिपोर्ट-विकास साहू