#सुप्रीम कोर्ट,शाहीनबाग प्रदर्शन:कोर्ट ने प्रदर्शन के नाम पर सड़क रोके जाने पर गलत कहा,कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए थी,जो उसने नहीं की,कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी।

नई दिल्ली।नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया और कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता।जस्टिस एसके कौल ने कहा कि CAA के विरोध में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे और रास्ते को ब्लॉक कर दिया था. हालांकि CAA के खिलाफ कई याचिकाएं कोर्ट में दाखिल हुए, जो अभी लंबित है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से अलग-अलग फैसला दिया गया।

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ करीब 100 दिनों तक लोग सड़क रोक कर बैठे थे. इसके खिलाफ वकील अमित साहनी और बीजेपी नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

कोर्ट ने कहा- विरोध के साथ कर्तव्य भी जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन पर कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता. संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए. सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए,लेकिन हमें कोई पछतावा नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “शाहीन बाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी. विरोध प्रदर्शनों के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है. प्रशासन को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते. लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं


100 से ज्यादा दिन तक चला था धरना-प्रदर्शन

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में 100 से ज्यादा दिन तक धरना-प्रदर्शन चला था और लोगों ने सड़क को ब्लॉक कर दिया था. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली में लगाए गए धारा 144 के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया।शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने और सड़क को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी, क्योंकि इस कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।

शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ करीब 100 दिनों तक लोग सड़क रोक कर बैठे थे. दिल्ली को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ने वाले एक अहम रास्ते को रोक दिए जाने से रोज़ाना लाखों लोगों को परेशानी हो रही थी. इसके खिलाफ वकील अमित साहनी और बीजेपी नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

21 सितंबर को कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

21 सितंबर को मामला जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. उस दिन सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रदर्शकारियों को सड़क से हटा दिया गया था. इस जानकारी के बाद कोर्ट ने मामले पर आगे सुनवाई को गैरज़रूरी माना.

सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनाया फैसला

याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट से अनुरोध किया था कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचाव के लिए वह कुछ निर्देश दे।सुनवाई के दौरान भी कई बार लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन के अधिकार और लोगों के मुक्त आवागमन के अधिकार में संतुलन की बात उठी थी. जजों ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 21 सितंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था और आज अपना फैसला सुना दिया।