जेवीएम का भाजपा में विलय का रास्ता साफ, बंधु-प्रदीप ने थामा कांग्रेस का हाथ

प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल, जेवीएम का बीजेपी में विलय का रास्ता साफ गुरुवार शाम नयी दिल्ली में सोनिया व राहुल गांधी के साथ प्रदीप यादव व बंधु तिर्की.

जेवीएम के मांडर विधायक बंधु तिर्की और पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव ने गुरुवार देर शाम कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की जिसके बाद ये साफ हो गया है कि जेवीएम के टिकट से जीते हुए दोनों विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये हैं.

इससे पहले मांडर विधायक बंधु तिर्की को जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने पार्टी से बाहर कर दिया था. कयास लगाये जा रहे थे प्रदीप यादव को भी पार्टी विरोधी बयान की वजह से बाहर किया जायेगा.

इस बीच बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने अपने राजनीतिक जीवन के लिए नया रास्ता खोज लिया और दिल्ली जाकर राहुल और सोनिया से मिले. वायरल तस्वीर यह साफ बयां कर रही है कि बंधु और प्रदीप यादव ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है.

झाविमो के भाजपा में विलय की बाधाएं खत्म

राजनीतिक हलकों में देखा जाये तो बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के कांग्रेस में जाने से जेवीएम का बीजेपी में विलय तय हो गया. बाबूलाल मरांडी को भी अब इन दोनों से विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.

घटना रणनीति के मुताबिक

राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि यह मैच फिक्सिंग थी. पहले जेवीएम सुप्रीमों बाबूलाल मरांडी ने कार्यसमिति को भंग किया. अपने अलावे दोनों विधायकों को पार्टी में किसी भी पद से विमुक्त किया, उसके बाद बंधु तिर्की को पार्टी से बाहर किया.

विलय के राह आसान

बंधु के बाहर होने के बाद प्रदीप यादव पार्टी विरोधी बात कर रहे थे, जो कि एक प्लान का हिस्सा हो सकता है. अब दोनों विधायकों के कांग्रेस में जाने से सारी चीजें तय हो गयी हैं. जेवीएम का बीजेपी में विलय होना तय है और इन दोनों विधायकों का कांग्रेस से जुड़ना भी.

मंत्रिमंडल गठन में हो सकता है बदलाव

कांग्रेस और झामुमो में मंत्रिमंडल को लेकर एक नयी बहस शुरू हो गयी है. हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल के गठन में हो रही देरी को बंधु तिर्की के कांग्रेस ज्वाइन करने की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है.

मंत्री बनेंगे बन्धु?

खबर है कि बंधु के कांग्रेस में जाने के बाद उनका मंत्रिमंडल में शामिल होना तय हो चुका है. इस बात पर प्रदीप यादव की भी रजामंदी है. राजेंद्र सिंह या बादल पत्रलेख के मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा सरकार गठन के बाद से ही हो रही थी लेकिन अब राजनीतिक समीकरण बदल गया है.