#jharkhand:जिसका नाम तक नहीं सुना था,आज उसी ‘लेमन ग्रास’ की खेती से लाखों कमा रहीं हैं ये महिलाएँ,इन महिला किसानों द्वारा की जा रही लेमन ग्रास की खेती की चर्चा प्रधानमंत्री भी मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं।

जिसका नाम तक नहीं सुना था, आज उसी ‘लेमन ग्रास’ की खेती से लाखों कमा रहीं हैं ये महिलाएँ

झारखण्ड की इन महिला किसानों द्वारा की जा रही लेमन ग्रास की खेती की चर्चा प्रधानमंत्री भी मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं।

राँची।झारखण्ड की राजधानी राँची से करीब 120 किलोमीटर दूर गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखण्ड की ग्रामीण महिलाएँ आज लेमन ग्रास की खेती के जरिए आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही है। झारखण्ड की इन महिला किसानों द्वारा की जा रही लेमन ग्रास की खेती की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई 2020 को मन की बात कार्यक्रम में भी की थी।

ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिए सखी मंडल की महिलाओं को औषधीय पौधों की खेती से जोड़ा गया है, जिसमें लेमन ग्रास की खेती प्रमुख है। सिर्फ बिशुनपुर प्रखण्ड में सखी मंडल की करीब 500 बहनों को लेमन ग्रास की खेती के जरिए अच्छी आमदनी हो रही है।

लाखों की कमाई का जरिया बनी लेमन ग्रास की खेती


बिशुनपुर के रहकूबा टोली की सुमाती देवी समूह से ऋण लेकर अपने 26 हज़ार वर्ग फीट जमीन में लेमन ग्रास की खेती शुरू की। सुमाती देवी बताती हैं, “मैंने तो कभी लेमन ग्रास का नाम तक नहीं सुना था मगर अब इससे होने वाले फायदे को जानने के बाद हम दूसरों को भी लेमन ग्रास की खेती करने की सलाह देते है। बंजर भूमि पर सोने की तरह कमाई कराती है लेमन ग्रास। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत हम लोगों को प्रशिक्षण मिला और मैंने इसी साल जनवरी में लेमन ग्रास खेती की शुरूआत की थी। लॉकडाउन के बावजूद अब तक करीब 1 लाख 10 हजार की कमाई हो चुकी है, जबकि खेती पर खर्च सिर्फ 22 हजार रुपये हुए हैं।”

वहीं नवागढ़ सीरका गाँव की रुपमूर्ति देवी ने भी अपनी करीब 22 हज़ार वर्ग फीट जमीन में लेमन ग्रास की खेती कर करीब 1 लाख 45 हजार की आमदनी की है। रुपमूर्ति देवी बताती हैं कि पिछले दो साल से लेमनग्रास की खेती से उनके आर्थिक हालात में सुधार आई है। सिरका गाँव की एक और महिला किसान बसंती देवी बताती हैं कि सखी मंडल से जुड़ने के बाद उन्होंने लेमनग्रास की खेती शुरू की। वहीं बेंती गाँव की सुशांती बताती हैं, “हमने लेमनग्रास की खेती 2018 से शुरू की। अब मैं 10 एकड़ में खेती कर रही हूँ। अभी मेरे खेत में करीब 25 लाख के लेमन ग्रास लगे हैं। मुझे खुशी है कि खाली पड़ी बंजर जमीन पर हम लोग अब कमाई कर पा रहे हैं।”

विशुनपुर प्रखण्ड में लेमन ग्रास की खेती में स्थानीय विकास भारती एवं कृषि विज्ञान केंद्र का भी तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।

लेमन ग्रास की खेती- लागत कम, मुनाफा अधिक

महिला किसान सुमती देवी
लेमनग्रास की खेती के जरिए सालाना लाखों की कमाई करने वाली झारखंड की इन ग्रामीण महिलाओं में से एक सुमती देवी बताती हैं कि अमूमन एक एकड़ जमीन में लेमन ग्रास की खेती में करीब 20-25 हजार रुपये की लागत आती है। एक बार जब 4 महीने में फसल तैयार हो जाती है तो वह करीब एक लाख की हो जाती है। इस प्रकार एक एकड़ से करीब 77 हजार रुपये की आमदनी एक कटाई में होती है। वहीं इसके डंठल का तेल निकाला जाता है, उसकी कीमत करीब 25 से 30 पैसे प्रति डंठल होती है।

सुमती के मुताबिक तेल की कीमत करीब 3 हजार रुपये लीटर है जो कि थोक व्यापारियों को करीब 2000 रुपये प्रति लीटर में बेचा जाता है। वहीं लेमन ग्रास की पत्तियाँ भी काफी महंगी बिकती है।

लेमन ग्रास अथवा नींबू घास का महत्व उसकी सुगंधित पत्तियों के कारण है। पत्तियों के वाष्प आसवन के द्वारा तेल प्राप्त होता है जिसका उपयोग कॉस्मेटिक, सौंदर्य प्रसाधन, कीटनाशक, दवाओं में होता है। एंटीऑक्सिडेंट के रुप में भी लेमन ग्रास का उपयोग प्रभावी है।

ऐसे करें लेमन ग्रास की खेती – लाखों में होगी आमदनी

रोपे गए लेमन ग्रास के पौधे
लेमेन ग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन में भी आसानी से की जा सकती है तथा एक बार पौधा लगाने के बाद 5 वर्षों तक प्रति वर्ष 3 से 4 बार इसकी पत्तियों (स्लिप) की कटाई एवं बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है। लेमन ग्रास एरोमेटिक प्लांट की श्रेणी में आता है। इसे लगाने की विधि आसान है। सभी तरह की मिट्टी में इसे लगाया जा सकता है, लेमन ग्रास के एक छोटे से पौधे को विकसित कर कई पौधे तैयार किए जा सकते हैं। करीब 6 महीने में ये पौधे तैयार हो जाते हैं और साल में 3 से 4 बार इसकी कटाई कर अच्छी अमदनी होती है। इसकी खेती में सिंचाई की जरुरत नहीं के बराबर होती है। रोपाई जुलाई से सितंबर माह तक कर सकते है। सितंबर के बाद करने से सिंचाई की जरुरत पड़ती है। गर्मी के मौसम में सिंचाई की व्यवस्था है तो एक बार सिंचाई की जा सकती है।

झारखण्ड में आजीविका मिशन के जरिए सखी मंडल से कर्ज लेकर सुदूर गाँव की महिलाएँ लेमन ग्रास की खेती एवं प्रोसेसिंग के जरिए अच्छी आमदनी कर रही हैं। बाजार में तेल की अच्छी कीमत को देखते हुए आजीविका मिशन के तहत सखी मंडल की महिलाओं को तेल आसवन के लिए ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिए आसवन इकाई भी स्थापित करवाई गई है ताकि प्रोसेसिंग के जरिए अच्छी आमदनी हो। इस पहल से ग्रामीण महिलाओं के आत्मविश्वास में इजाफा हुआ है, लेमन ग्रास से आमदनी कर परिवार का पालन-पोषण कर आमदनी बढ़ाने में सक्षम हुई है। ये महिलाएं अब ‘ग्रामीण सेवा केन्द्र’ के जरिए अपने उपज का मूल्य वर्धन कर बड़े बाजारों में बिक्री कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। लेमन ग्रास का तेल निकालने, पैकिंग करने के अलावा अन्य औषधीय पौधों जैसे तुलसी, हर्रा, बेहेरा की खेती और मूल्य वर्धन कर बिक्री कर रही है।

लेमन ग्रास के पौधे

राज्य भर में बसंती देवी ,सुमाती देवी एवं सुशांती जैसे हजारों महिला किसान हैं जिन्हें महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के जरिए लेमन ग्रास की खेती से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना एवं जोहार परियोजना के तहत राज्य के 16 जिलों के 31 प्रखण्ड में 16,500 से ज्यादा महिला किसानों को लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

लीक से हटकर औषधीय पौधों की खेती के जरिए आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम करने वाली झारखंड की इन महिलाओं को द बेटर इंडिया सलाम करता है।

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