Jharkhand:बकोरिया कांड की जांच करने सीबीआई की टीम पहुंची पलामू, साढ़े छह साल बाद भी नहीं सुलझी है गुत्थी

राँची।झारखण्ड के पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में 8 जून 2015 को हुई कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ की जांच करने सीबीआई की टीम सोमवार पलामू पहुंची है। सीबीआई की टीम घटनास्थल का जायजा लेगी. सीबीआई की टीम अब तक इस मामले में 350 से अधिक लोगों का बयान दर्ज कर चुकी है. गौरतलब है कि इससे पहले भी बीते 13 सितंबर 2021और 28 अक्टूबर 2021 को सीबीआई की टीम पलामू पहुंची थी। 8 जून 2015 को हुई कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ केसाढ़े छह साल से अधिक समय बीत जाने के बाद परिजनों को इंसाफ नहीं मिल पाया है।

सीबीआई कर रही है मामले की जांच:

कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ में मारे गये 12 लोगों को पुलिस ने माओवादी बताया और अपनी पीठ थपथपा ली. शर्मनाक यह रहा कि पुलिस ने इस मुठभेड़ के बदले इनाम भी बांटे. लेकिन कुछ ही दिनों में यह मुठभेड़ सवालों के घेरे में आ गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और डीजीपी डीके पांडेय पर फर्जी एनकाउंटर कराने का आरोप लगने लगा. काफी हो-हंगामे के बाद मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गयी. लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी मुठभेड़ में मारे गये लोगों के परिजनों को इंसाफ नहीं मिल पाया है. पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी थी कि इन 12 लोगों में से सिर्फ डॉ आरके उर्फ अनुराग के अलावा किसी का कोई नक्सल रिकॉर्ड नहीं था।

झारखण्ड हाइकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने दर्ज की थी प्राथमिकी

पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र बकोरिया में आठ जून 2015 को हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में CBI दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी।यह प्राथमिकी झारखंड हाइकोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिए आदेश पर दर्ज की गयी थी. इस घटना में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था।मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाइकोर्ट में CID की जांच पर सवाल उठाते हुए CBI जांच की मांग की थी। CBI ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी।