#JHARKHAND:दुमका में लावारिश मिली नवजात,गोद लेने के लिये कई लोग आए हैं,परन्तु नियमानुसार ही बच्चे को किसी को दिया जा सकता है!

दुमका।बुधवार की सुबह जब लोगों की कान में एक बच्चे की रोने आवाज आई लोग उधर ही दौड़ पड़े।फिर जो देखा लोग आवाक रह गया।घटना कल बुधवार की है।जिस माँ ने महीनों जिसे कोख में पाला हो और उसके बाद कलयुगी माँ निर्दयी होकर जन्म के साथ ही उस नवजात को लावारिश भगवान भरोसे छोड़ दें तो यहाँ वो कहावत बेमानी लगती हैं जिसमें कहा गया है कि माता कभी कुमाता नहीं होती। बुधवार की सुबह हँसडीहा के पगवारा पहाड़ के समीप जब एक नवजात शिशु की रोने की आवाज लोगों के कानों में गयी तो उसकी आवाज और मासूमियत पर सब का दिल पसीज गया। खबर आग की तरह क्षेत्र में फैली तो उसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।

लोगों ने इसकी जानकारी हँसडीहा थाना को दी।हँसडीहा थाना के एसआई उत्तम पासवान ने तुरंत नवजात को सरैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। जहाँ उसकी प्रारंभिक जांच करवाने के बाद पुलिस ने किसी के सामने नहीं आने पर उसे दुमका जाकर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। जानकारी के अनुसार सुबह टहलने के लिए ग्रामीणों को पगवारा पहाड़ के समीप एक बच्चें की रोने की आवाज सुनाई पड़ी, जिसके बाद ग्रामीण जब पास गयें तो देखा एक नवजात बच्ची चादर में लिपटी लावारिश अवस्था में पड़ी है। पुलिस ने परिजनों के विषय में पता लगाने का प्रयास किया, नहीं मिलने पर उसे बाल कल्याण समिति के जिम्में सौंप दिया गया।नवजात शिशु को पुलिस द्वारा प्रस्तुत किये जाने पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार साह की अध्यक्षता में हुए बैठक डीसीपीओ प्रकाश चंद्र, समिति की सदस्य सुमिता सिंह ने नवजात को डीएमसीएच में भर्ती कराने का निर्देश दिया। बताया गया है की वहाँ नवजात को अभी चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। स्वस्थ पाये जाने पर उसकी कोरोना जाँच भी की जायेगी और सबकुछ ठीक रहा तो उसे अडॉप्शन सेंटर में रखा जायेगा। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार साह ने बताया कि बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। लगता है कि उसे सुबह में ही वहां लाकर फेंक दिया गया था। समिति की देखरेख में उसे मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया गया है। इस बच्ची को गोद लेने के लिए कई परिवार सामने आ रहे हैं।

किसी संस्था से बच्चे को गोद लेने के लिए भावी मां-बाप को कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। केन्द्र सरकार ने इसके लिए सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए या कारा ) गठित की है। यह संस्था महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। कारा नोडल बॉडी की तरह काम करती है। यह मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है। वर्ष 2015 में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया के नियमों में संशोधन किया गया। इसमें कहीं भी पैसे के लेन-देन का जिक्र नहीं है। पर संभावित मां-बाप को शारीरिक रूप से, मानसिक तौर पर, भावनात्मक रूप से और आर्थिक दृष्टि से सक्षम होना जरूरी है। कोई भी संभावित माता-पिता जिनकी अपनी कोई जैविक संतान हो या न हो, वे बच्चा गोद ले सकते हैं बशर्ते अगर संभावित अभिभावक शादीशुदा हैं तो उन दोनों की आपसी सहमति होना जरूरी है। एक सिंगल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है जबकि एक सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है। संभावित मां-बाप अगर दो साल से अधिक समय से शादीशुदा हों, तभी वो बच्चा गोद ले सकते हैं। संभावित माता-पिता और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच उम्र का फासला कम से कम 25 साल होना ही चाहिए। इसके लिए संभावित माता-पिता को कारा के साईट पर अपना आॅनलाईन निबंधन करवाना होता है।