#मानव तस्करी:कोरोना काल के समय में भी नहीं थम रही मानव तस्करी,दलाल निजी वाहनों से बच्चियों को ले जा रहे हैं बाहर।

कोरोना काल के समय में भी नहीं थम रही मानव तस्करी, निजी वाहनों से बच्चियों को ले जा रहे दलाल

राँची:झारखण्ड में मानव तस्करी के मामले में अव्वल राज्यों में आता है।लंबे समय से यहां की लड़कियों को महानगरों में अवैध तरीके से ले जाने का काम होता रहा है। कोरोना के समय में जब ज्यादातर परिवहन के साधन बंद थे तब भी दलाल सक्रिय थे और यहां से मानव तस्करी का धंधा चलता रहा है।

अनगड़ा के गांवों की है बरामद लड़कियां

गुजरात के सूरत स्थित फैक्ट्री से बीते शुक्रवार को अनगड़ा की 30 लड़कियां बरामद की गयी है।इनमें छह नाबालिग भी हैं।इन सभी को सूरत के पलसाना श्रीम्प फैक्ट्री से बरामद किया गया

प्राप्त जानकारी के अनुसार ये सभी अपने गांवों से छह अगस्त से ही गायब थी. इन सभी को सिलाई-कढाई के नाम पर गुजरात ले जाया गया पर फैक्ट्री में इन्हें मछली ढोने और पैकिंग के काम में लगा दिया गया था. जब इन लड़कियों को फैक्ट्री से रेस्कयू किया गया तो इनमें से कई बीमार भी थीं.बरामद लड़कियां अनगड़ा के सुदूरवर्ती क्षेत्रों बूढ़ा कोचा, लेप्सर, गोंदली टोली, टाटी सिंगारी सहित अन्य गांव की रहनेवाली थी. दलाल इन्हें सिलाई कढ़ाई सिखाने और अच्छे पैसे दिलाने के नाम पर गुजरात ले गए थे. जब लड़कियों को अवैध तरीके से ले जाने की जानकारी मिली तो भाजपा नेता आरती कुजूर ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी और इन्हें छुड़ाने का आग्रह किया था।इसके बाद इन लड़कियों को फैक्ट्री से बरामद किया गया।

सेव द चिल्ड्रेन की रिपोर्ट में कहा गया था गांवों में घूम रहे हैं दलाल

गौरतलब है कि बच्चों के लिए काम करनेवाली संस्था सेव द चिल्ड्रेन ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि कोरोना के समय में भी झारखण्ड के गांवों में मानव तस्कर सक्रिय हो गए हैं और उन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. गांवों में रोजगार का अभाव है और कोरोना महामारी के इस दौर में हालात और खराब हो गए हैं।

दिल्ली के शेल्टर होम में है झारखण्ड की 80 बच्चियां

बाल अधिकार कार्यकर्ता बैजनाथ कुमार ने कहा कि सिर्फ खूंटी ही नहीं बल्कि राज्य के कई जिलों से कोरोना के समय में भी बच्चों की तस्करी हुई है। सिर्फ दिल्ली में ही एक शेल्टर होम में झारखण्ड के 80 बच्चों को रेस्कयू कर रखा गया है. इनमें सबसे ज्यादा बच्चें साहेबगंज (बरहेट) से है. इन सभी को निजी वाहनों से दिल्ली ले जाया गया था. पहले रेल से इन्हें ले जाया गया था अब फ्लाइट से भी ले जाया जा रहा है।बैजनाथ ने कहा कि पुलिस, एनजीओ और सबंधित एजेंसियां इस मामले में अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों की निगरानी समितियां भी अभी शिथिल पड़ गयी है। इन्हें ठीक किए बिना मानव तस्करी पर अंकुश लगाना संभव नहीं है।