कैसे बेटा ? एकलौते बेटे ने माँ का अंतिम संस्कार नहीं किया,बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज

राँची।एक बार सोचिए माँ ने कैसे पालन पोषण की थी।जब बेटा बच्चा से जवान हुआ होगा।अगर आप नहीं सोच पा रहे हैं तो इस खबर को पढ़ने के बाद जरूर सोचें कहाँ गया माँ बेटे का रिश्ते ,कहाँ गई इंसानियत ?दरवाजे पर खड़ी एंबुलेंस।उसमें रखा माँ का शव। गिड़गिड़ाती बहनें..और अपनी पत्नी के साथ घर में बंद बेटा। यह तस्वीर है झारखण्ड की राजधानी राँची की।जी हां, यहां एकलौते बेटे ने माँ की मौत के बाद उनके शव को घर के आंगन तक नहीं आने दिया। लोगों को रोकने के लिए लिए घर में ताला तक तक जड़ दिया। बेटिया गुहार लगाते रहीं। हाथापाई भी हुई लेकिन न बेटा माना न बहू। इतना ही नहीं आखिरी में जब अपनी माँ की आखरी विदाई के लिए बेटियां तैयार हुई तब उस निर्दयी बेटे ने हिदायत दी कि अंतिम संस्कार भी दूसरे गांव में ले जाकर करो।

बहनें दहाड़ मार-मार कर कहते रहीं भैया माँ को कोरोना नहीं था
भाई के इस रैवये से आहत बहनें रोने लगीं और बार बार कहती रही कि माँ को कोरोना नहीं था। उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी। लेकिन भाई और उसकी पत्नी पर तनिक भी असर नही पड़ा। अंत में दोनों बहनों ने ही माँ के शव को कंधा दिया और गांव से एक किलोमीटर दूर मसना स्थल में अपनी माँ को दफन कर अंतिम रस्म पूरी की।

13 दिन तक बेटा अस्पताल झाकंने तक नहीं आया:

गांव की 55 वर्षीय सांझो देवी की मौत सीसीएल के गांधीनगर अस्पताल में हो गयी थी। उनकी तबीयत बिगड़ने पर बेटी रीना देवी और दीपिका कच्छप अस्पताल में भर्ती करायी और उनकी सेवा कर रही थी। 13 दिनों तक माँ का इलाज चला लेकिन एक दिन भी बेटे लालू उरांव अस्पताल नहीं गया। बेटे को शक था कि उसकी माँ को कोरोना हो गया है। इस कारण बेटा अस्पताल नहीं जा रहा था।

पिता की मौत के बाद माँ ने अपनी नौकरी बेटे को दे दी थी

लालु उरांव के पिता सीसीएल में नौकरी करते थे। सेवाकाल के दौरान ही वर्ष 2009 में उनकी मृत्यु हो गयी। इसके बाद अनुकंपा के आधार पर पहले उनकी पत्नी सांझो देवी को नौकरी का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन माँ ने बेटे को नौकरी दे दी। वर्ष 2011 में बेटे लालू उरांव को सीसील में नौकरी मिली।

नौकरी मिलते ही बेटा माँ को भूल गया

लालू की बहनों ने बताया कि अनुकंपा पर नौकरी मिलने के बाद से ही वह हमेशा झगड़ा करता था। माँ को भरण पोषण के लिए पैसे भी नहीं देता था। इस कारण उनकी माँ मजदूरी कर अपना गुजारा करती थी। दोनों बहनों की शादी हो गयी है और वह ससुराल में रहती हैं।