अधिक उम्र की महिला व पुरुष बंदियों को पेंशन योजना से आच्छादित करें: हेमन्त सोरेन

राँची। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने राज्य सजा पुनरीक्षण बैठक की अध्यक्षता की। सूबे के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अधिकारियों से कहा है कि वृद्ध बंदियों को कारामुक्त करने से पूर्व उनकी आर्थिक स्थिति का जायजा लें, अनुसूचित जाति, जनजाति के बंदियों के अपराध की प्रकृति की सूची तैयार करें। रिहा हो रहे बंदियों की वर्तमान आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करें। उन्होंने एक मामले में कहा कि पति की हत्या की दोषी 75 वर्षीय महिला को कारामुक्त करने का प्रस्ताव ठीक है। लेकिन क्या यह सुनिश्चित किया गया है कि उक्त वृद्ध महिला का जीवनयापन कैसे होगा। क्या इनका राशन कार्ड है, कारामुक्त होने के उपरांत क्या करेगी। इसकी कुछ योजना बनी है या नहीं। अगर नहीं तो यथाशीघ्र महिला के परिवार, उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाएं। यह सुनिश्चित करें कि कारामुक्त हो रहे वृद्ध लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। पेंशन, राशनकार्ड, आवास योजना का लाभ दें। ये बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कही। श्री सोरेन राज्य सजा पुनरीक्षण बैठक में अधिकारियों को निदेश दे रहे थे।

वृद्ध बंदियों को पेंशन योजना से आच्छादित करें, एस सी, एसटी बंदियों की सूची तैयार बनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विभिन्न कारा में बंद वृद्ध बंदियों को पेंशन योजना से आच्छादित करने की दिशा में पॉलिसी का निर्माण करें। ताकि उन्हें या उनके आश्रितों को आर्थिक मदद प्राप्त हो सके। कारा प्रशासन द्वारा कार्य के एवज में मिल रहे लाभ के अतिरिक्त पेंशन देने की योजना सरकार की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विभिन्न कारागार में बंद अनुसूचित जाति व जनजाति बंदियों के अपराध की प्रकृति की सूची तैयार करें। ताकि राज्य सरकार उनके लिए कुछ कर सके।

मनोचिकित्सक की बहाली करें

मुख्यमंत्री ने कहा कि बंदियों को कारामुक्त करने से पूर्व काउंसलिंग करें। ताकि रिहा होने के उपरांत वे किसी तरह की आपराधिक गतिविधियों में शामिल न हों। साथ ही मनोचिकित्सक की नियुक्ति करें, जिससे नियुक्त मनोचिकित्सक राज्य के कारागारों में बंदियों का काउंसलिंग करें। यह झारखण्ड जैसे राज्य के लिए जरूरी है। ज्ञान के अभाव में बंदी कानूनी लड़ाई लड़ पाने में असक्षम हैं।

आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को कारामुक्त करने में इन बातों का रखा जा रहा ध्यान..

बंदियों को रिहा करने के लिए बंदियों के अपराध की प्रकृति, आचरण, उम्र, कारा में व्यतीत वर्ष, उनकी आपराधिक मानसिकता (ताकि बाहर निकल कर पुनः अपराध न करे), बंदी के परिवार की सामाजिक – आर्थिक स्थिति का अवलोकन कर किया जा रहा है। जघन्य अपराध की श्रेणी में आने वाले बंदियों पर किसी तरह का विचार नहीं किया जा रहा है। छोटी-छोटी बात व गैर इरादतन हत्या करने के दोषी बन्दियों के मामले भी आये सामने।

बैठक में मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिव गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग श्री एल खियांग्ते, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, पुलिस महानिदेशक श्री एमवी राव, प्रधान सचिव सह विधि परामर्शी विधि विभाग श्री प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष वाणिज्यकर ट्रिब्यूनल श्री संजय प्रसाद, कारा महानिरीक्षक श्री दीपक विद्यार्थी व अन्य उपस्थित थे।