एटीएस की फर्जी छापेमारी : हथियार घर से मिला, लेकिन दिखाया गया कि दोनों के पास से मिले, सदर थाना में एटीएस ने दर्ज कराई प्राथमिकी, जेल भेजे गए दोनों साजिशकर्ता, निर्दोषों को मिला थाने से बेल

पुलिस मुख्यालय ने लिया मामले को गंभीरता से, जांच में पाए गए दोषी अधिकारियों व कर्मियों पर हो सकती है कार्रवाई, मेडिका अस्पताल के पास जमीन को हड़पना चाहता था दिलावर, इसलिए रची ये झूठी कहानी

राँची।जिन दो लोगो को झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने गुरुवार को बूंटी मोड़ स्थित एक घर से दो देशी कट्टा और कारतूस के साथ पकड़ा था, उनके विरुद्ध एटीएस ने सदर थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करा दी। जबकि पकड़े गए दोनों युवक आदिल अफरीदी उर्फ मामा और राकेश कुमार सिंह पूछताछ में निर्देश निकले। दोनों को जेल भेजने की भी पूरी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन रांची पुलिस ने छानबीन शुरू की तो मामला कुछ और निकला और असली साजिशकर्ता गिरफ्तार कर लिए गए। रांची पुलिस की छानबीन इस मामले में फिलहाल जारी है। एटीएस के छापेमारी में हथियार किसी के पास से नहीं मिले थे, बल्कि घर से बरामद किए गए थे। सीसीटीवी फुटेज और मौके से बरामद बाइक की भी जांच पुलिस न की। शब्बीर जिसकी बाइक से गया था, उसकी तलाश पुलिस कर रही है। फिलहाल पुलिस ने प्राथमिकी अभियुक्त आदिल व राकेश को थाने से जमानत दे दिया है। साजिशकर्ता दिलावर खान व शब्बीर पुलिस गिरफ्त में हैं, जिन्हें रविवार को जेल भेज दिया गया। दिलावर के साथी जमीन कारोबारियों व उसके पुराने आपराधिक इतिहास को पुलिस खंगाल रही है।

एटीएस के डीएसपी ने सदर थाने में कराया है मामला दर्ज

गुरुवार को गिरफ्तार आदिल अफरीदी और राकेश कुमार सिंह के विरुद्ध एटीएस के डीएसपी अवध कुमार यादव ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट अॉफ इंडिया (सिमी) के लोगो के होने की सूचना बूंटी स्थित मेडिकल अस्पताल के पीछे महुरम टोली में स्वर्गीय वंशी टोप्पो के घर में होने की सूचना मिली थी। जिसके आधार पर छापेमारी की गई। छापेमारी में दो युवकों को पकड़ा गया। जब उनकी तलाशी ली गई तो आदिल अफरीदी के पास से लोडेड पिस्टल व कारतूस मिले। वहीं राकेश की तलाशी में भी उसके पास से भी एक लोडेड देसी पिस्टल व कारतूस िमले। आदिल मूल रूप से धुर्वा के सिठियो का रहने वाला है और वर्तमान में सदर थाना क्षेत्र के बडग़ाईं में रहता है।

शुक्रवार को असली साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया था पुलिस ने

रांची पुलिस ने जब मामले की छानबीन की तो पता चला कि बडग़ाईं का रहने वाला दिलावर खान अपने एक सहयोगी कांके निवासी शब्बीर व ड्राइवर के साथ मिलकर यह पूरी कहानी रची थी। दिलावर ने शब्बीर के हाथों आदिल व राकेश को फंसाने के लिए हथियार भेजा था। शब्बीर ने गांजा पीने के दौरान चुपके से हथियार व कारतूस को वहां प्लांट कर दिया था। जिसके बाद दिलावर ने एटीएस को इस बात की सूचना दी थी कि बूंटी में मेडिकल अस्पताल के पीछे दो लोग जो प्रतिबंधित संगठन सिम्मी से जुटे है हथियार के साथ है। इसके बाद ही एटीएस की टीम वहां छापेमारी की थी।

दोषी पुलिस अफसरों-कर्मियों पर हो सकती है कार्रवाई

एटीएस की इस छापेमारी में हुए खुलासे की जांच चल रही है। पुलिस मुख्यालय को रांची पुलिस की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। जांच रिपोर्ट में एटीएस की टीम अगर दोषी मिली तो इस टीम के दोषी अफसर-कर्मी पर भी प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई हो सकती है। अब तक की हुई जांच से यह माना जा रहा है कि कार्रवाई तय है। पुलिस मुख्यालय यह पता लगा रहा है कि जमीन कारोबारी दिलावर खान के साथ एटीएस के क्या रिश्ते हैं। अगर एटीएस ने जान बूझकर कार्रवाई की होगी तो टीम के अफसर-कर्मी का बचना मुश्किल होगा। छापेमारी में एटीएस के डीएसपी अवध कुमार यादव (नेतृत्वकर्ता), डीएसपी दाउद किड़ो, पुलिस निरीक्षक ब्रह्मदेव प्रसाद, पुलिस निरीक्षक सुमन कुमार सुमन, पुलिस निरीक्षक राकेश कुमार गुप्ता, पुलिस निरीक्षक अमरजीत प्रसाद, दारोगा तुलेश्वर प्रसाद कुशवाहा, दारोगा अमित रोशन कुल्लू, जमादार अरुण केरकेट्टा, जमादार सुनील कुमार सिंह, सिपाही नीरज कुमार साहू, सिपाही संजय मछुआ, सिपाही रोहित तिर्की और सिपाही महेश बहादुर सोनार शामिल थे।

सीआईडी को मिल सकता है अनुसंधान

इस मामले को पुलिस मुख्यालय ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में अनुसंधान की जवाबदेही अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को मिल सकती है। जब-जब पुलिस पर आरोप लगा है, अनुसंधान की जवाबदेही सीआईडी को मिलती रही है। इस केस में भी पुलिस मुख्यालय में यही चर्चा है कि केस सीआईडी के पास जा सकता है।

मेडिका के पास की जमीन पर कब्जा करना चाहता था दिलावर

इस कांड का साजिशकर्ता जमीन कारोबारी दिलावर खान मेडिकल अस्पताल के पास वाहन पार्किंग की करोड़ों की जमीन पर कब्जा करना चाहता था। एक बार पहले ही उसने जमीन घेरने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी। वह आदिल अफरीदी को रास्ते से हटाना चाहता था, क्योंकि वह उक्त जमीन की घेरेबंदी में बाधक बन रहा था। इसलिए उसने यह कहानी रची और एटीएस को गुमराह किया।