ईडी का दावा: हेमंत सोरेन के कब्जे वाली जमीन के दो प्लॉट का कोलकाता में तैयार किया था सद्दाम हुसैन ने फर्जी डीड,गिरफ्तार

 

–ईडी ने कोलकाता स्थित रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस को डीड भेज कराई जांच, चार सदस्यीय कमिटी ने जांच में बताया उक्त डीड को फर्जी, कोलकाता में दर्ज हो चुका है फर्जीवाड़ा का केस

–बड़गाई के बरियातू स्थित 8.86 एकड़ जमीन मामले में ईडी ने की तीसरी गिरफ्तारी, इससे पूर्व बड़गाई अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानू प्रताप प्रसाद व हेमंत सोरेन की हो चुकी है गिरफ्तारी

राँची।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़गाई अंचल के बरियातू स्थित 8.86 एकड़ जमीन मामले में तीसरी गिरफ्तारी की है। ईडी ने इस मामले में फर्जी डीड बनाने वाले सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार किया है। मंगलवार को ईडी ने सद्दाम को गिरफ्तार करने के बाद ईडी की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया और उसके सात दिनों के रिमांड का आग्रह किया। लेकिन कोर्ट ने उसे पूछताछ के लिए चार दिनों की रिमांड की स्वीकृति प्रदान की। ईडी सद्दाम से 12 अप्रैल तक पूछताछ करेगा। ईडी ने सद्दाम को रिमांड पर लेने से पूर्व विशेष कोर्ट को बताया है कि सद्दाम हुसैन ने हेमंत सोरेन के कब्जे वाली जमीन में से दो प्लॉट का फर्जी डीड अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर कोलकाता से तैयार किया था। इसमें उसका सहयोग गिरफ्तार राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और अफसर अली ने किया। ईडी की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई है कि मो. सद्दाम के घर की जब छानबीन की गई तो उसके घर से फर्जी डीड मिले थे। जिसे उसने अफसर के साथ मिलकर कोलकाता से तैयार करवाया था। उसने वर्ष 1940 के सेल डीड नंबर 3985 में फर्जीवाड़ा किया। जिसे बलका पाहन के नाम से बना कर उसकी बिक्री असगर हुसैन को दिखाया। ये सेल डीड गिरफ्तार राजस्व उप निरीक्षक भानू प्रताप प्रसाद व उसके गिरोह की ओर से तैयार किया गया था।

ईडी ने कोलकाता स्थित रजिस्ट्रार ऑफ़ एश्योरेंस को डीड भेज करवाई जांच, निकला फर्जी

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि उक्त डीड को कोलकाता स्थित रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस को जांच करने के लिए भेजा गया था। उक्त डीड की जांच के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कोलकाता ने चार सदस्यीय कमिटी का गठन किया था। कमेटी ने जब उक्त डीड की जांच की तो पाया गया कि वह फर्जी है। कमिटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर फर्जीवाड़ा की जानकारी देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की गई। कमिटी की अनुशंसा पर हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 196/23 फर्जीवाड़ा मामले में भादवि की धारा 465, 467, 468,120बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। कोलकाता में हुए फर्जीवाड़ा मामले में ईडी ने कोलकाता के रजिस्ट्रार अॉफ एश्योरेंस के कार्यालय से रिकार्ड में किए गए फर्जीवाड़ा की तस्वीर भी प्राप्त किया था जिसे सद्दाम को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया।

पूर्व में 14 अप्रैल को गिरफ्तार हुआ था सद्दाम

सद्दाम को ईडी ने पूर्व में सेना की उपयोग वाली 4.55 एकड़ और चेशायर होम रोड की एक एकड़ जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले में 14 अप्रैल 2023 को गिरफ्तार किया था। सद्दाम हुसैन फर्जी डीड बनाने वाले गिरोह के सक्रिय सदस्य अफसर अली का सहयोगी है। गिरफ्तारी के बाद से सद्दाम हुसैन बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है। ईडी अबतक बड़गाई अंचल के बरियातू स्थित 8.86 एकड़ जमीन मामले में बड़गाई अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानू प्रताप प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहले गिरफ्तार कर चुका है।

ईडी ने दी थी हेमंत पर दाखिल चार्जशीट में भी सद्दाम की जानकारी

ईडी ने गत 30 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दाखिल चार्जशीट में बताया था कि 13 अप्रैल 2023 को ईडी ने भानु प्रताप प्रसाद व अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी। उस छापेमारी में सद्दाम हुसैन, इम्तियाज अहमद व अन्य के ठिकानों से हस्त लिखित डायरी मिले थे। उक्त डायरी में भानु प्रताप प्रसाद को नकद भुगतान से संबंधित बातों का भी उल्लेख था। यह भी लिखा हुआ था कि नकदी भुगतान बड़गाईं अंचल के गाड़ी मौजा की 4.83 एकड़ जमीन से संबंधित दो जाली डीड बनाने के लिए रुपयों का लेन-देन भी हुआ था। इनमें एक डीड 1940 का दूसरा 1947 का बनाया गया था। डायरी के उक्त पन्ने में करीब 20 लाख रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ था। इनमें दो लाख रुपये भानु प्रताप प्रसाद को मिला था।

हेराफेरी की पूरी हो गई थी तैयारी लेकिन एन वक्त पर ईडी को मिल गए दस्तावेज

बरियातू रोड की 8.86 एकड़ जमीन को हड़पने की कोशिश के मामले में ही पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई है। सद्दाम बड़गाईं अंचल के पूर्व राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के कहने पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पक्ष में उक्त विवादित 8.86 एकड़ जमीन के कागजात में हेराफेरी करने की कोशिश कर रहा था। उक्त जमीन की प्रकृति बदलने से लेकर हेमंत सोरेन व उनके पारिवारिक सदस्यों के नाम मूल दस्तावेज में गलत तरीके से चढ़ाने, पुराने रैयतों का नाम मिटाने की तैयारी में था। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी थी, इससे पहले ईडी को भनक लग गई और पूरा मामला खुल गया।