अपने इलाके (पश्चिम) की बस्ती के आंदोलन को नजरअंदाज करने वाले सरयु राय को केवल वोट की खातिर सूझ रहा पूर्वी के 86 बस्तियों के मामला?


जमशेदपुर पशिचमी क्षेत्र के कुमरूम बस्ती के लोगों से मिलने तक नहीं गए थे सरयू राय


रांची : झारखंड पश्चिमी सीट से टिकट कटने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ रहे उनके ही सरकार के मंत्री रहे सरयू राय क्या वोटों के जुगाड़ के लिए भावनाओं से खेल रहे हैं? जमशेदपुर पूर्वी सीट से ताल ठोक रहे सरयू राय चुनावी भाषण में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के 86 बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने का मुद्दा उठा रहे हैं। लेकिन उनकी कथनी और करनी का अंतर हमारे पड़ताल में सामने आ चुका है।
क्या है मामला
जमशेदपुर पश्चिमी में एक बस्ती है कुमरूम। जब कुमरूम गाँव के 200 घरों को तोड़कर वहां प्रधनमंत्री आवास बनाया जा रहा था, तब वहां के लोगों ने अपनी समस्याओं को लेकर जोरदार आंदोलन किया था।
जब वे राज्य के मंत्री और अपने विधायक सरयू राय के पास पहुँचे तो सरयू राय ने उनकी कोई मदद नहीं कि और उनके आंदोलन को नज़र अंदाज़ कर दिया। आज वो समय है जब सरयू राय सत्ता पाने की चाह में फिर से छियासी बस्तियों की समस्याओं का जिक्र कर उन्हें दूर करने की बात कह रहे हैं। लेकिन वो भूल गए कि जब उनके हाथ में सबकुछ था तब उन्होंने उनके लिए कुछ नहीं किया।

एक आंख में सूरमा, दूसरे में काजल –
कुमरूम गाँव के ग्राम सचिव ठाकुर मांझी के साथ गाँव के बाकी लोग भी सरयू राय से नाराज़ हैं। ठाकुर मंझी कहते हैं कि सरयू राय एक आंख में सुरमा और दूसरे में काजल की बात कर रहे हैं। जब वे दहशत में थे, जब उनके घर टूटने वाले थे, तन उन्हें अपने विधायक से कोई मदद नहीं मिली।

राजनीति के खेल में सरयू राय के बदले तेवर –
इन सब बातों से साफ है कि सरयू राय चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। वे उन बातों की घोषणा कर रहे है, जो उन्होंने सरकार में रहते नहीं किया। लेकिन बस्तियों के लोगों की नाराजगी सबकुछ साफ कर देती है।