तबादले के बाद शिक्षक की विदाई:सम्मान के लिए उमड़ा पूरा गांव,ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते दी विदाई,छात्र के साथ गांव के लोग भावुक भी हुए..

झारखण्ड न्यूज,राँची।टीचर के सम्मान के लिए उमड़ा पूरा गांव, ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते दी विदाई।जिन बच्चों को टीचर नरेंद्र ने पढ़ाया वो इस मौके पर खास तौर पर भावुक दिखे।उन्होंने नरेंद्र के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।गांव के हर बड़े-बुजुर्ग ने नरेंद्र को गले से लगाया और गांव के बच्चों की शिक्षा पर की गई मेहनत के लिए शुक्रिया कहा।
भावुक दिखे स्कूली छात्र:
शिक्षक को भविष्य का निर्माता कहा जाता है।बच्चों का आने वाला कल संवारने में उनका बड़ा योगदान होता है।यह मामला है आंध्र प्रदेश के दूर दराज के आदिवासी क्षेत्र के एक गांव के स्कूल में एक युवा शिक्षक का तबादला हुआ तो वहां बुधवार को नजारा देखने लायक था।शिक्षक को कंधे उठाकर पूरे गांव का चक्कर लगाया गया। क्या महिलाएं, क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या जवान, सभी ने ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए उसे विदाई थी।

विजयानगरम जिले में गुम्मालक्ष्मीपुरम मंडल के तहत आने वाले गांव मल्लुगुडा में सरकारी स्कूल में नरेंद्र गौडू पिछले दस साल से पढ़ा रहे थे। जिस स्कूल में नरेंद्र पढ़ा रहे थे उसकी इमारत 2016 में ढह गई. इसके बावजूद नरेंद्र ने बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं आने दिया. वे पेड़ के नीचे, पास की इमारतों के बरामदे, जहां भी जगह मिलती, बच्चों की क्लासेज लेते रहे।

बताया जा रहा है,नरेंद्र जब गांव में आए तो स्कूल में सिर्फ 20 बच्चे पढ़ते थे. लेकिन जैसे जैसे नरेंद्र के पढ़ाने के ढंग की बच्चे और उनके अभिभावक तारीफ करने लगे, आसपास के गांवों के बच्चे भी यहां आकर पढ़ने लगे।
बच्चों की पढ़ाई की फिक्र और मिलनसार बर्ताव की वजह से बीते 10 साल में गांव का हर घर नरेंद्र को अपने घर के सदस्य की तरह ही प्यार और सम्मान देने लगा।

जैसे ही नरेंद्र के तबादले की खबर आई तो गांव में हर किसी को दुख हुआ. लेकिन फिर जब नरेंद्र की तरक्की का पता चला तो सभी गांव वालों ने खुशी खुशी ढोल नगाड़ो के साथ उन्हें विदाई देने का फैसला किया. नरेंद्र के पैरों को पवित्र हल्दी के पानी से धोया गया. फिर उन्हें कंधों पर बिठाकर गांव का चक्कर लगाया गया. नरेंद्र के साथ उनकी पत्नी का भी सम्मान किया गया।

जिन बच्चों को नरेंद्र ने पढ़ाया वो इस मौके पर खास तौर पर भावुक दिखे. उन्होंने नरेंद्र के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. गांव के हर बड़े-बुजुर्ग ने नरेंद्र को गले से लगाया और गांव के बच्चों की शिक्षा पर की गई मेहनत के लिए शुक्रिया कहा।