दुमका:रिमांड पर लेकर पूछताछ के बाद दोनों आरोपी शाहरुख और नईम को भेजा जेल,72 घंटे का मिला था रिमांड…

दुमका।झारखण्ड के दुमका की बिटिया को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जलाने के आरोपी शाहरुख हुसैन एवं नईम अंसारी की रिमांड पूरी होने के बाद आज शनिवार को दोनों को दुमका कोर्ट में पेश किया गया।रिमांड के 72 घंटे पूरे होने के बाद पुलिस ने इन्हें अदालत में पेश किया।इसके बाद इन दोनों आरोपियों को दुमका जेल भेज दिया गया।बता दें कि एक तरफा प्रेम में आरोपी शाहरुख हुसैन ने नाबालिग को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया था। बेहद गंभीर स्थिति में उसे रिम्स में भर्ती कराया गया था, जहां हफ्तेभर बाद उसकी मौत हो गयी थी।

दुमका की बेटी को जला कर मारने के आरोपी शाहरुख हुसैन और नईम उर्फ छोटू खान को नगर थाना पुलिस ने रिमांड पर लिया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की।रिमांड को लेकर दुमका पुलिस ने विशेष न्यायाधीश रमेश चंद्रा के न्यायालय में आवेदन दिया था।न्यायालय ने दलील सुनने के बाद दोनों आरोपियों को 72 घंटे की रिमांड पर दिया था।बताया जा रहा है कि पूछताछ में कई जानकारियां दोनों आरोपी ने दी है।जिस पर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

नईम है मास्टरमाइंड !

खबर के अनुसार तीन दिन की लगातार पूछताछ के बाद यह बात सामने आई है कि नईम ही हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता था। उसने ही शाहरुख को घटना को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया था। शाहरूख ने भी सारा ठीकरा नईम के सर पर फोड़ा। उसने यहां तक बताया कि सारी घटना के पीछे नईम का ही हाथ है। पुलिस ने सरकारी गवाह बने कर्ण का भी दोनों से आमना सामना कराया। कर्ण ने यह बात स्वीकार की कि वह दोनों को जानता है। उसे 24 अगस्त की सुबह मुहल्ले के एक लोग से पता चला कि शाहरुख ने किशोरी को पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी है। यहां बता दें कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस को शाहरुख से ज्यादा नईम पर शक था। शाहरूख यह बात पहले ही स्वीकार कर चुका था कि नईम ने ही उसे पेट्रोल लाकर दिया था। हालांकि पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिससे यह साबित होता है कि किशोरी की हत्या एक सोची समझी साजिश के तहत की गई थी। पुलिस के एक अधिकारी का भी कहना है कि पूरे घटनाक्रम का मास्टर माइंड नईम ही है।

इधर पीड़िता के परिवार का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है।पिता ने बताया कि बेटी को लेकर उनलोगों के काफी अरमान थे। बेटी पढ़-लिखकर परिवार का सहारा बनना चाहती थी। वह खुद तो पढ़ती ही थी, उनको भी घर चलाने में मदद करती थी। पिता व दादा ने कहा कि बेटी तड़प-तड़प कर मरी है, लिहाजा उसके हत्यारे को फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए।