धनबाद:स्व.विनोद बिहारी महतो के परिवार में सम्पत्ति विवाद को लेकर हिंसक झड़प,दो महिलाएं समेत तीन घायल

धनबाद।झारखण्ड के आंदोलन में अहम योगदान निभाने वाले शिक्षाविद स्व. बिनोद बिहारी महतो के परिवार के लोगों के बीच चल रहा संपत्ति विवाद शनिवार को हिंसक हो गया। इस घटना में 2 महिलाएं और एक पुरुष घायल हुए हैं। इनके सिर में चोट आई है। मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। विवाद की जांच प्रारंभ कर दी गई है। मामला सदर थाना क्षेत्र के चिरागोड़ा का है।बताया जा रहा है कि स्व. बिनोद बिहारी महतो के पुत्र स्व. राजकिशोर महतो की पुत्रवधु विनीता सिंह और राजकिशोर महतो के भाई फूला महतो की पत्नी सोमा महतो गंभीर रूप से जख्मी हो गई हैं। परिवार के एक युवक को भी चोट आई है। बताया जा रहा है कि विनीता सिंह तथा सोमा महतो के बीच घर में प्रवेश करने को लेकर विवाद हो गया। इस दौरान मौके पर दोनों तरफ से कुछ और लोग मौजूद थे। घटना के बाद दोनों पक्षों ने पुलिस के समक्ष अपनी-अपनी शिकायत दर्ज कराई है। वहीं सोमा का कहना है कि उनकी संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। वह लोग सुबह अपने घर पहुंचते तो उन्हें अपने मकान में दाखिल होने से रोका गया। वहीं विनीता सिंह का कहना है कि कुछ लोग अवैध रूप से उनके घर में घुसे और तोड़फोड़ करने लगे। घर का सामान निकालकर बाहर फेंकने लगे। विरोध करने पर उन्हें पीटा गया। इसमें उनकी तरफ से दो लोग घायल हो गए।

बताया जा रहा है अब तक संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद पुलिस और कानूनी दायरे में चल रहा था। शुक्रवार को सोमा महतो अपनी शिकायत लेकर थाने पहुंची थी। पुलिस ने जांच का भरोसा दिया था। शनिवार को अचानक दोनों पक्षों की भिड़त ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। पुलिस ने घटना में घायल लोगों को इलाज के लिए शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों मौके पर जुट गए। पुलिस ने किसी तरह लोगों को वहां से हटाया।इधर प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दोनों पक्षों की बीच हुई मारपीट की घटना में घर का पूरा परिसर रणक्षेत्र में तब्दील हो गया था। घर की खिड़कियों में लगे शीशे टूट गए हैं।

झारखण्ड के निर्माण में रहा बिनोद बिहारी महतो का अहम योगदान

धनबाद जिला के सुदूर बलियापुर बड़ादाहा गांव में जन्मे शिक्षाविद बिनोद बिहारी महतो पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए। चार फरवरी 1973 अलग झारखण्ड राज्य निर्माण के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन, प्रसिद्ध मजदूर नेता एके राय, टेकलाल महतो आदि के साथ मिलकर उन्होंने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का गठन किया। वर्षों अलग झारखण्ड राज्य के लिए आंदोलन चलाकर इसे मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के अलावा महाजनी शोषण का भी तीव्र विरोध किया। वर्तमान में धनबाद में इनके नाम पर राज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।