हल्दी-मेहंदी किसी और के नाम…..शादी किसी और से:बहन ने भागकर शादी की तो भाई ने निकाली शव यात्रा… कहा-श्राद्ध और पिंडदान भी करेंगे…..

पूर्णिया।बिहार के पूर्णिया जिले में शादी से ठीक एक दिन पहले लड़की अपने प्रेमी संग भाग गई। इसके बाद लड़की के भाई ने अपनी बहन की कुश की अर्थी सजा डाली, दाह संस्कार तक कर दिया।बताया जाता है कि बीते 11 जून को लड़की की शादी तय कर रखी थी। मेहंदी और संगीत के बाद 10 जून को हल्दी की रस्म पूरी हुई। अगले दिन लड़की लाल जोड़े में मंडप में बैठती कि इससे पहले ही हल्दी वाली रात प्रेमी संग फरार हो गई। शादी वाले दिन ही लड़की ने प्रेमी संग मंदिर में सात फेरे तक ले लिए। हल्दी वाले दिन से फरार दुल्हन अब वापस लौट आई है। वहीं इन सब से नाराज भाई ने बहन की कुश की अर्थी निकाली। यह अर्थी जिस रास्ते से गुजरी इसे देखने वालों का मजमा लग गया।भाई ने अपनी बहन की निकाली कुश की अर्थी

वहीं,लड़की के भाई बिहारी गुप्ता ने अपने गांव टीकापट्टी के ही अरुण मंडल के बेटे सुधांशु कुमार पर अपहरण का मामला दर्ज करवाया। एफआईआर होते ही टीकापट्टी पुलिस हरकत में आई। सोमवार को लड़की दुल्हन के जोड़े में टीकापट्टी थाने में पहुंची। लड़के के ऊपर किए गए अपहरण के केस को फर्जी बताते हुए सहमति से लड़की ने प्रेम प्रसंग में शादी की बात पुलिस को बताई है। शादी का जोड़ा पहने स्वीटी ने टीकापट्टी थाना पहुंचकर पुलिस को बताया है कि उसे ये शादी मंजूर नहीं था। इसलिए उसे मजबूरन भागना पड़ा, जिस दिन उसकी शादी होनी थी। उसी दिन प्रेम प्रसंग में मंदिर में उसने अपने प्रेमी सुधांशु से शादी कर ली है।

इधर बहन के इस फैसले से नाराज भाई ने सोमवार शाम परिजनों के साथ मिलकर पहले अपने बहन की कुश की मूर्ति तैयार की। इसके बाद इस अर्थी को कंधे पर लेकर पूरे बाजार में घुमाया। नाराज भाई ने अर्थी में बहन का फोटो भी लगा रखा था। इतना ही नहीं हिन्दू रीति रिवाज से बहन की अर्थी को लेकर श्मशान तक गया। हिंदू रीति रिवाजों से दाह संस्कार तक कर डाला।

पिता की मौत के बाद, बहनों को कमी नहीं खलने दी-भाई

नाराज भाई बिहारी गुप्ता का कहना है कि पिता की मौत के बाद अपनी दोनों बहनों को कभी पापा की कमी खलने नहीं दी। एक बहन की शादी हो गई थी। दूसरी की शादी भी उसकी रजामंदी के बाद ही तय की गई। उसकी बहन अगर किसी लड़के को पसंद करती थी, तो उसे शादी तय होने से पहले ही बताना चाहिए था। शादी में इतने रुपए खर्च हो गए। 11 को शादी होनी थी। इससे एक दिन पहले हल्दी के कार्यक्रम को वह भाग गई। इससे न सिर्फ पैसे बरबाद हुए। बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूमिल हुई। लड़के वालों से उन्हे कई बात सुननी पड़ी। सोमवार को जब वह थाने आई तो अपने प्यार के लिए मुझे ही गलत ठहराने लगी। इसके बाद मैंने तय कर लिया आज से मेरी बहन मेरे घर के लिए मर चुकी है। उसे मरा हुआ मान कर सिर्फ अर्थी सजाकर दाह संस्कार तो किया ही, बल्कि अब उसका श्राद्धकर्म और पिंडदान भी करेंगे।