प्रधान महालेखाकार के ऑडिट में पकड़ा गया धोखाधड़ी:झारखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष और दो पूर्व सदस्य के विरुद्ध 11.14 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज

राँची।झारखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा, पूर्व सदस्य संजय कुमार मिश्रा और पूर्व सदस्य सुनील कुमार के विरुद्ध 11 लाख 14 हजार 400 रुपए की राशि की धोखाधड़ी करने का मामला धुर्वा थाना में 25 जुलाई को दर्ज कराया गया है। इनके विरुद्ध आयोग के सहायक प्रशाखा पदाधिकारी मो.शकील अहमद द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। तीनों पर किसी व्यक्ति के विश्वास का आपराधिक हनन करने की धारा 406,धोखाधड़ी 420 और आपराधिक कृत्य सभी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो की धारा 34 के तहत मामला दर्ज हुआ है। इनके द्वारा 11 लाख 14 हजार रुपए की वित्तीय अनियमितता वर्ष 2012-13 से लेकर वर्ष 2015-16 के बीच किया गया। जिसे ऑडिट के दौरान प्रधान महालेखाकार ने पकड़ा था। जिसकी जानकारी प्रधान महालेखाकार द्वारा वर्ष 2016-17 में विभाग को इस वित्तीय अनियमितता की जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। मामला प्रकाश में आने के बाद विभाग द्वारा इन तीनों को कई बार पत्राचार किया गया कि ये उक्त राशि का समायोजन करा दे। लेकिन तीनों द्वारा उक्त राशि विभाग में जमा नहीं कराई गई। जिसके बाद धुर्वा थाने में इनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और इन तीनों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा गया है।

यूनिसेफ से केनरा बैंक नामकुम के खाता में पैसे ट्रांसफर करा, निजी लोगो के किया गया भुगतान

प्रधान महालेखाकर ने ऑडिट के दौरान पकड़ा कि इनके द्वारा यूनिसेफ से केनरा बैंक नामकुम के खाता संख्या 267010107683 में वर्ष 2012-13 से 2015-16 के दौरान कुल 11,97,595 ट्रांसफर कराया गया। उक्त राशि में से 11,14,400 रुपए का भुगतान इनके द्वारा निजी व्यक्तियों को भुगतान किया गया। ऑडिट में पाया गया कि इनके द्वारा उक्त राशि का दुरुपयोग किया गया, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि आयोग के कार्यालय में इस बैंक खाता से संबंधित पासबुक कार्यालय में उपलब्ध नहीं था। प्रधान महालेखाकर ने निरीक्षण प्रतिवेदन में कहा है कि प्रथम दृष्टया में प्रतीत होता है कि इनके द्वारा समानान्तर रूप से बिना कार्यालय की जानकारी के खाता खोलकर संचालन किया गया।

महिला बाल विकास एवं विभाग के प्रधान सचिव की भी मिल चुकी है एफआईआर की अनुमति

इन तीनों पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा, पूर्व सदस्य संजय कुमार मिश्रा और पूर्व सदस्य सुनील कुमार के विरुद्ध वित्तीय अनियमितता के मामले में महिला बाल विकास एवं विभाग के प्रधान सचिव की भी एफआईआर करने की अनुमति प्राप्त है। दर्ज प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि अन्य आवश्यक दस्तावेज कागजात जांच के लिए कार्यालय उपलब्ध कराया जाएगा। मामले की जांच के लिए दारोगा नारायण सोरेन के अनुसंधान पदाधिकारी बनाया गया है।

बच्चों के कार्यक्रम के लिए यूनिसेफ व सरकार ने दिए थे पैसे

बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजित करने के लिए यूनिसेफ व राज्य सरकार की ओर से झारखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को राशि दी गई थी। जिसके तहत बच्चों के लिए संवाद और अन्य कल्याणकारी कार्यक्रम आयोजित किए जाने थे। लेकिन इन तीनों द्वारा एक अलग से निजी खाता खोला गया। फिर यूनिसेफ की ओर से दिए गए राशि को उक्त निजी खाते में ट्रांसफर कर लिया गया। उसके बाद राशि की निकासी इनके द्वारा कर ली गई। बच्चों के उपर उक्त राशि खर्च नहीं हुई। एजी ने जब मामले का ऑडिट किया तो गड़बड़ी पकड़ी गई और विभाग को इससे अवगत कराया गया।

हमलोगो ने सारा हिसाब दे दिया था- पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा

आयोग की पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि यूनिसेफ की ओर से जो राशि दी गई थी उसे बच्चों के कार्यक्रम पर ही खर्च किया गया था। पूरे खर्च का हिसाब किताब विभाग को दे दिया गया था। हम लोगो की ओर से कई गड़बड़ी नहीं की गई है।

रिकवरी के लिए कोई नोटिस नहीं मिला -पूर्व सदस्य सुनील कुमार
पूर्व सदस्य सुनील कुमार ने कहा कि राशि की गड़बड़ी को जो भी आरोप हम पर लगाया गया है वह गलत है। जो भी राशि आती थी वह अध्यक्ष के द्वारा खर्च किया जाता था। किसी भी तरह की रिकवरी के लिए नोटिस विभाग की ओर से हमको नहीं मिला है। जो भी पैसे आए उसे बच्चों पर ही खर्च किया गया।

कोई गबन नहीं किया हूँ, तीन साल से सैलेरी भी नहीं मिला-संजय मिश्रा

पूर्व सदस्य संजय मिश्रा ने कहा कि जो आरोप हम लगाया गया है वह गलत है।कहा उनके पास कोई अधिकार ही नहीं है पैसा निकालने और खर्च करने का।अध्यक्ष के द्वारा ही खर्च किया जाता था जो राशि आती थी।उन्होंने कहा कि कोई राशि गबन नहीं किए हैं।