राँची:11 दिनों के भीतर सिर्फ रातू रोड कब्रिस्तान में करीब डेढ़ सौ शव दफन किए जा चुके हैं,श्मशान,घाट में लाइन लग रही,श्मशान घाट में शव जलाने के लिए ..पढ़े ये रिपोर्ट..

झारखण्ड न्यूज,राँची।इस आंकड़े से आप नहीं सम्भले तो ये आपकी गलती है।ये खबर हिंदुस्तान वेब पोर्टल और अखबारों के पन्ने में छपी है।ये रिपोर्ट दिल दहलाने वाली है।स्थिति बहुत भयावह हो गई है।रिपोर्ट के अनुसार,महामारी काल में मुस्लिम समाज के मृतकों को आने वाले समय में दो गज जमीन भी नसीब नहीं होगी। समाज में मृतकों की बढ़ती संख्या की वजह से ऐसे हालत बन रहे हैं। अगर संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो आने वाले छह माह में रातू रोड कब्रिस्तान में शव दफन नहीं हो सकेगा। राज्य का सबसे बड़ा कब्रिस्तान राजधानी राँची के रातू रोड में है। बताया जा रहा है कि 11 दिनों के भीतर सिर्फ रातू रोड कब्रिस्तान में करीब डेढ़ सौ शव दफन किए जा चुके हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ने की वजह से कब्र खोदने वाले मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। हालात ये है कि कब्रिस्तान में कब्रिस्तान कमेटी को अधिक पैसे देकर मजदूरों को लाना पड़ रहा है। यहां तक कि कब्र के ऊपर मिट्टी डालने के पहले रखी जाने वाली लकड़ी के पटरे भी टिंबर में उपलब्ध नहीं हैं। इससे भी लोगों को परेशानी हो रही है।

हर दिन 14 शव किए जा रहे दफन:
कब्रिस्तान की देखरेख कर रहे शाहीद अख्तर टुकलू, मो नकीब और मो जाहिद ने बताया कि हर दिन 12 से 14 शव दफन के लिए रातू रोड कब्रिस्तान में लाए जा रहे हैं। इसमें राँची के अलावा दूसरी जगहों के भी हैं। चार अप्रैल से अब तक करीब डेढ़ सौ शव को इस कब्रिस्तान में दफन किया जा चुका है। शव दफनाने का काम सुबह से देर रात तक चल रहा है। कब्रिस्तान की स्थिति बहुत ही भयावह होती जा रही है। इसी रफ्तार से मौतें हुईं तो आने वाले समय में कब्रिस्तान में शव दफन करने के लिए जगह नहीं मिलेगी।

टिंबर व्यवसायी परेशान, लकड़ी की किल्लत:
कब्र के ऊपर डालने वाली लकड़ी का पटरा की भी किल्लत हो गई है। इससे टिंबर व्यवसायी खासा परेशान हैं। हालत ये है कि पटरा मिलने में परेशानी होने की वजह से कई शवों के ऊपर प्लाइ बोर्ड डाल दिया जा रहा है। टिंबर व्यवसायी बिट्टू खान ने बताया कि रातू रोड समेत शहर के कई कब्रिस्तानों में वे कब्र के ऊपर लगाने वाली लकड़ी के पटरे की सप्लाई करते हैं। मगर मौतों की संख्या बढ़ने की वजह से पटरे की किल्लत हो गई है। दूसरे टिंबर से मंगवाकर लकड़ी के पटरे कब्रिस्तान में भेजे जा रहे हैं। आने वाले टाइम में और भी दिक्कत होगी।

कब्र खोदने के लिए नहीं मिल रहे मजदूर:
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कब्र खोदने वाले मजदूरों की भी दिक्कत होने लगी है। कब्रिस्तान कमेटी के सदस्यों के अनुसार रातू रोड में दो मजदूरों को पहले से ही रखा है। कमेटी दोनों को वेतन भी देती है। मौतों की संख्या बढ़ने की वजह से मजदूरों को बाहर से लाना पड़ रहा है। कई बार तो मजदूर ही नहीं मिल रहे हैं तो कमेटी के लोग खुद ही कब्र खोद दे रहे हैं। जो मजदूर मिल रहे हैं, वे मजदूरी भी अधिक ले रहे हैं।

राँची के इन इलाकों में भी है कब्रिस्तान:
डोरंडा ओवरब्रिज के पास कब्रिस्तान, डोरंडा मनीटोला कब्रिस्तान, डोरंडा परासटोली कब्रिस्तान, बरियातू कब्रस्तान, कांटाटोली कब्रिस्तान आदि।

–रातू रोड कब्रिस्तान में आए दिन 12 से 14 लोग दफन किए जा रहे हैं। इसी रफ्तार से शव का दफन कब्रिस्तान में होता रहा तो आने वाले छह माह के बाद दिक्कतें होने लगेंगी। इसके बाद कब्रिस्तान में जगह तक नहीं मिलेंगी।–हाजी मोख्तार अहमद,महासचिव अंजुमन इस्लामिया

सीठियो घाट से नौ शव वापस किए गए:
कोरोना संक्रमण के बीच शहर में मौतें भी बढ़ गयी हैं। शहर के श्मसान घाटों में हर दिन बड़ी संख्या में शव आ रहे हैं। गुरुवार को सीठियो घाट पर 15 शव लाए गए थे, लेकिन यहां सिर्फ छह का अंतिम संस्कार किया गया। नौ शव वापस कर दिए गए। घाट संचालकों का कहना था कि वह बाहर के इलाके के शव को नहीं जलाने देंगे। मौत का स्पष्ट कारण की जानकारी नहीं होने के कारण नौ शवों को वापस किया गया। इसके बाद कुछ शवों को हटिया घाट पर ले जाया गया। जानकारी के अनुसार बुधवार को सीठियो घाट पर कांटा टोली, डोरंडा और दूसरे इलाके से भी शव आए थे। बुधवार को 15 शवों को जलाया गया था। इसके बाद निर्णय लिया गया कि इस घाट पर सिर्फ धुर्वा और आसपास के इलाके के लोगों के शव को ही जलाया जाएगा।

हरमू मुक्तिधाम में 25 शव का हुआ दाह संस्कार:
मारवाड़ी सहायक समिति द्वारा संचालित हरमू मुक्तिधाम एवं स्वर्गधाम में दाह संस्कार के लिए लाए जाने वाले शवों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। मुक्तिधाम एवं स्वर्गधाम में गुरुवार को देर शाम सात बजे तक 25 शव का अंतिम संस्कार परिजनों के द्वारा किया गया। हालांकि पूर्व सूचना के मुताबिक गुरुवार को कुल 28 मृत शरीर को अंत्येष्टि के लिए लाया जाना था। गुरुवार को जिन शव की अंत्येष्टि हुई उनमें 50 से अधिक आयु वर्ग के मृतक ज्यादा थे। शवों में से कुछ युवा एवं कुछ अधेड के भी थे। बताया गया कि इनमें से कई बढ़ती आयु की अवस्था में थे। वहीं कुछ गंभीर रोग से ग्रसित थे। कुछ की मौत सामान्य अवस्था में हो गयी थी। जानकारी के मुताबिक हरमू मुक्तिधाम में 13 और स्वर्गधाम में 12 लोगों के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि हुई।

अंतिम संस्कार के लिए लाइन:

राँची में मौत का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को राँची के पांच श्मशान घाट और दो कब्रिस्तान में अबतक का रिकॉर्ड एक दिन में 100 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इनमें अधिकृत रूप से 48 शव कोरोना संक्रमित थे।

कोरोना संक्रमित 46 शव का अंतिम संस्कार घाघरा श्मशान घाट पर हुआ। वहीं 2 संक्रमित डेड बॉडी को रातू रोड कब्रिस्तान में दफन किया गया। हरमू मुक्तिधाम, नामकुम और चुटिया मुक्तिधाम में भी अचानक शव की संख्या बढ़ गई। डोरंडा के घाघरा में पूरे दिन लाश लाने वाले एंबुलेंस की लाइन लगी रही। हरमू मुक्तिधाम में देर शाम तक कुल 26 शव का दाह संस्कार हुआ।

नहीं मिले पैसे, शव जलाने से इनकार;
इधर,घाघरा श्मशान में शव जलाने वालों ने हाथ खड़े कर दिए। क्योंकि उन्हें अबतक पैसे नहीं मिले हैं। गुरुवार को डीसी नामक व्यक्ति को बुलाकर शव जलाया गया, लेकिन कुछ देर बाद वह शराब पीने चला गया। तब परिजनों ने को ही शव जलाने पड़े।