मगध आम्रपाली परियोजना;खुलासा :तीन साल से एनआईए कर रही जांच,पर लेवी वसूली पर नही लगा लगाम,हाईकोर्ट के आदेश के बाद झारखण्ड में बनी टेरर फंडिंग रोकने के लिए कमिटी नाकाम

–वसूली का बदल गया तरीका, बे रोक टोक अवैध वसूली जारी, पहले नक्सलियों तक ही पहुंच रहा था वसूली का करोड़ो रुपया, अब जेल में बंद बड़े गैंगस्टरों के गैंग तक पहुंचने लगा रहा रकम, सिर्फ टेरर फंडिंग ही नही राज्य और केंद्र को करोड़ो का राजस्व का भी नुकसान

 –खदान से रोज निकलते है 2000 ट्रक, इनसे हो रही है हर दिन 1.50 करोड़ की वसूली, पहले अलग अलग नाकों पर होती थी वसूली, अब एक ही जगह पर ले लिए जा लिए जा रहे है रकम, कागज में नहीं किया जा रहा है पैसे का जिक्र

–महीने में हो रही है 45 करोड़ और साल का 540 करोड़ की हो रही है अवैध वसूली

झारखण्ड न्यूज exclusive

राँची। झारखण्ड के चतरा जिले में 13 हजार एकड़ में फैले मगध आम्रपाली परियोजना से तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) के टेरर फंडिंग की जांच एनआईए विगत तीन वर्षों से कर रही है। इसके बाद भी यहां धड्डल्ले से अवैध वसूली जारी है। खदान से रोज 2000 ट्रक और हाइवा निकल रहे है, इनसे हर दिन 1.50 करोड़ की वसूली हो रही है। पहले नक्सलियों तक लेवी का पैसा जा रहा था। अब लेवी वसूली का पैसा गैंगस्टरों के गिरोह तक पहुंचने लगा है। सिर्फ लेवी वसूलने का तरीका बदल गया है। जबकि झारखण्ड उच्च न्यायलय ने भी 2019 में अवैध रूप से हो रही लेवी वसूली को लेकर राज्य सरकार को आदेश जारी किया था कि इसके लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए और उसपर निगरानी रखी जाए। ताकि भविष्य में ऐसी घटना ना हो। लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी झारखण्ड पुलिस इस वसूली के खेल को रोकने में असफल रही है। नतीजा कोयला टॉन्सपोर्टरों से यहां धडल्ले से वसूली जारी है।

अवैध वसूली के मामले में चतरा जिले के टंडवा थाना में कांड संख्या 22/18 दर्ज हुआ था। जिसे टेकओवर कर एनआईए जांच कर रही है। इस मामले में 54 लोगो के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई थी। अबतक टीपीसी उग्रवादी संगठन, ट्रांसपोर्टर और सीसीएल के कर्मी भी एनआईए जांच के घेरे में आ चुके है। उग्रवादी संगठन का एनआईए की दबिश के बावजूद भी वसूली का काम जारी है। उग्रवादी संगठन मगध आम्रपाली से करोड़ों का लेवी आज भी वसूल रहे हैं।अब इनके वसूली का तरीका बदल गया है। मगध आम्रपाली से अब टीपीसी के अलावे जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर के गिरोह को भी बड़ी रकम वसूली की पहुंच रही है ताकि कोयला ढुलाई का काम बिना किसी बाधा के चलते रहे। यहां से हर दिन करीब 1.5 करोड़ रुपए की अवैध वसूली ट्रांसपोर्टरों से हो रही है। क्योंकि मगध आम्रपाली से हर दिन 2000 कोयला ट्रक (हाइवा सहित) निकलते है।

ऐसे चल रहा है वसूली का खेल :-पहले कई नाको पर होती थी वसूली अब एक ही जगह पर ले लिए जा रहे है पैसे, हिसाब भी कच्चा

मगध अाम्रपाली में पूर्व में टीपीसी और दबंग कमेटी द्वारा अवैध वसूली की जाती थी। अब दबंग कमेटी की जगह ट्रांसपोर्ट कंपनियों और लिफ्टरों ने ले लिया है। मगध आम्रपाली परियोजना से निकलने वाले कोयले को पहले साइडिंग में भेजा जाता है। कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने के लिए ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों द्वारा एक निश्चित दर तय कर दी गयी है। कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने वाले ट्रकों-हाइवा वाहनों को अब कुछ निश्चित जगहों (झोपड़ीनुमा होटलो में) चालान दिया जाता है। मगध आम्रपाली में ऐसे आठ झोपड़ियां व कुछ प्वाइंट बनाए गए है। जहां ट्रकों व हाइवा चालकों को चालान दिया जाता है जहां साइडिंग में कोयला गिराना होता है। इसी चालान पर अब पूरा वसूली का खेल चल रहा है। चालान में कोयले का टोटल वेट और सिर्फ एडवांस का जिक्र रहता है। लेकिन कोयला ट्रांसपोर्टिंग का भाड़े का दर नहीं लिखा होता है। अब वाहन मालिकों से भाड़े का दर मौखिक तय हो रहा है। जो दर ट्रक मालिकों को दिए जाते है वह निर्धारित दर से काफी कम होता है। इसी में वसूली का पूरा खेल चल रहा है और हर दिन 1.5 करोड़ का वसूली किया जा रहा है।

अब एक ही जगह हो रही है वसूली ट्रक मालिकों से

पेपर के नाम पर 1500 रुपए, प्रति टन ढुलाई रेट में 200 रुपए (एक ट्रक में 20 टन कोयला होता है यानि एक से 4000 रुपए), चालान में जितना एडवांस िलखते है उसमें भी 1200 से 1500 काट लेते है, 600 रुपए लोडिंग-अनलोडिंग के नाम पर। कुल कटौती एक ट्रक से हर दिन 7600 रुपए। प्रति दिन 2000 ट्रक व हाइवा मगध आम्रपाली से कोयला लेकर निकलते है। यानि हर दिन 1.52 करोड़ रुपए की ट्रकों से वसूली जारी है।

पहले वसूली का ये था गणित

20 रुपए एनएच से माइंस के रास्ते में प्रवेश करने पर, 60 रुपए माइंस एरिया में प्रवेश करने पर, 150 रुपए कुं़ी गेट पर, 1200 रुपए कमेटी अॉफिस में, 1100 रुपए कमेटी के नाम पर, 600 रुपए अनलोडिंग के नाम पर, 254 रुपए प्रति टन कमेटी के नाम पर होती थी वसूली।    

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया था आदेश वसूली पर रोक के लिए उच्च स्तरीय कमेटी करे गठित

सागर साव बनाम राज्य सरकार के मामले में झारखण्ड हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए हुए आदेश जारी किया था कि आम्रपाली परियोजना में हो रही अवैध वसूली पर निगरानी व रोक के लिए राज्य सरकार उच्च स्तरीय कमेटी गठित करे। झारखण्ड उच्च न्यायालय ने 18 जनवरी 2019 को आदेश जारी किया था। जारी आदेश में कहा गया था कि परियोजना में माओवादियों और स्थानीय अपराधियों द्वारा अवैध रूप से लेवी वसूली जा रही है। आदेश में यह भी कहा गया था कि राज्य सरकार इसकी मॉनिटरिंग कराए। गठित कमेटी परियोजना में हो रही अवैध वसूली की लगातार मॉनिटरिंग करे, ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो।  


टंडवा थाना में 52 पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी, टीएसपीसी सुप्रीमो गोपाल सिंह भोक्ता व आक्रमण जी भी था शामिल

16 फरवरी 2018 को टंडवा थाना में 52 नामजद के विरुद्ध उग्रवादी संगठन से मिली भगत कर लेवी वसूलने का मामला दर्ज हुआ था। जिसे एनआईए ने टेकओवर करते हुए (कांड संख्या 06/18) अनुसंधान शुरू किया था। इनमें टीएसपीसी सुप्रीमों गोपाल सिंह भोक्ता व उग्रवादी आक्रमण जी का भी नाम शामिल था। अन्य नामजद जिपर प्राथमिकी दर्ज हुई थी उनमें पंकज कुमार साव, सुमन कुमार दास, अरविंद कुमार, मंटू सिंह, सुरेश प्रसाद, आशीष कुमार चौधरी, कैलाश गंझू, अमलेश कुमार दास, सूरज उरांव, जयराम उरांव, परमेश्वर उरांव, रामलाल उरांव, राजेंद्र उरांव, किशन पासवान, बिनोद भूईया, महेश राम, कन्हाई राम, प्रदीप राम, युगल यादवस संजीत यादव, रधुवीर साहू, दिनेश्वर साहू, आदित्य कुमार साहू, सुरेंद्र कुमार, रामलखन साहू, संतोष यादव, विजय साहू, राजेश कुमार सिंह, उमेश यादव, हुलास यादव, त्रिवेणी यादव, बिंदू गंझू, भिखन गंझू, मुकेश गंझू, लक्ष्मण गंझू, अनिश्चय गंझू, सौरभ जी, देवेंद्र जी उर्फ मनिकांत जी, अर्जुन गंझू, बिनोज गंझू, कबीर गंझू, संगम, अभिमन्यु, प्रशांत जी, परमेश्वर गंझू, मनोहर गंझू, बिरबल गंझू, तुलसी गंझू, छोटू सिंह व अन्य शामिल है। इनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 384, 385, 386, 387, 120 (बी), 17 (1)(2)सीएलए एक्ट, यूएपी एक्ट और एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था।

वसूली को लेकर गैंगस्टर अमन साहू का ऑडियो हुआ था वायरल

कोयला ट्रांसपोर्टरो से वसूली को लेकर जेल में बंद गैंगस्टर अमन साहू का हाल ही में एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। जिसमें वसूली को लेकर बातचीत चल रही थी। बताया जा रहा था कि गोली चलाने पर 5 लाख रुपए मिलता है बिना गोली चलाई 2 लाख रुपया मिल जाता है तो क्या परेशानी है। अगर ऊपर के अधिकारियों को मैनेज कर लिया जाए तो सब काम आराम से चलेगा। ऑडियो में इसपर भी चर्चा हुई थी कि इसे लेकर कुछ पुलिस वालों की बैठक भी हुई थी। इसके बाद भी इस ऑडियो की जांच नहीं की गई।